बाजरा की बुवाई का ये है अभी समय, वैज्ञानिकों ने दी किसानों को जरूरी सलाह
07 जुलाई 2025, भोपाल: बाजरा की बुवाई का ये है अभी समय, वैज्ञानिकों ने दी किसानों को जरूरी सलाह – बाजरा की बुवाई के लिए अभी समय है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार जुलाई के तीसरे सप्ताह तक बुवाई का काम किया जा सकता है। इधर राजस्थान के कृषि विभाग ने किसानों को सलाह जारी करते हुए कहा है कि यदि बेहतर उत्पादन करना है तो दी गई सलाह पर जरूरी रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए।
कृषि विभाग के मुताबिक, बाजरा की खेती से ज्यादा उत्पादन लेने के लिए उर्वरक प्रबंधन, प्रतिरोधक किस्मों का उपयोग, बीजोपचार, मृदा उपचार व खरपतवार प्रबंधन बहुत जरूरी हैं। बीजोपचार व मृदा उपचार बीज व मृदा जनित रोगों व कीटों की रोकथाम का सबसे आसान, सस्ता व प्रभावी तरीका हैं।
बीजों को कवकनाशी, कीटनाशक व जीवाणु कल्चर से उपचारित करना चाहिए। खाद व उर्वरकों का प्रयोग मृदा जांच रिपोर्ट के आधार पर ही करना चाहिए। कृषि रसायनों को उपयोग करते समय सदैव चश्मा, हाथों में दस्ताने, मुंह पर मास्क और पूरे वस्त्र पहनें। बाजरा की फसल में मुख्यतः तुलासिता और हरित बाली रोग, अरगट रोग और दीमक व सफेद लट कीट आदि का प्रकोप होता है। रोगों से बचाव के लिए बीजों को बुवाई से पहले 6 ग्राम मेटालेक्जिल से और दीमक, सफेद लट, तना मक्खी व तना छेदक कीटों से बचाव के लिए 8.75 मि.ली. इमिडाक्लोप्रिड 600 एफ.एस. अथवा 7.5 ग्राम क्लोथायोनिडिन 50 डब्ल्यू.डी.जी. से प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें। बीजों को एजोटोबैक्टर जीवाणु कल्चर से उपचारित करने के लिए 500 मिली पानी में 250 ग्राम गुड़ को गर्म करके घोल बनाए और घोल के ठंडा होने पर इसमें 600 ग्राम जीवाणु कल्चर मिलाएं। इस मिश्रण से एक हेक्टेयर क्षेत्र में बोये जाने वाले बीज को इस प्रकार मिलायें कि सभी बीजों पर इसकी एक समान परत चढ़ जाएं। इसके बाद इन बीजों को छाया में सुखाकर जल्द बोने के काम में लें।
बुवाई समय और बीज दर : बाजरे की बुवाई का समय मध्य जून से जुलाई का तीसरा हफ्ता तक है और बीज दर 4 किलो प्रति हेक्टेयर तक होती हैं।
खाद-उर्वरक प्रबंधन : बाजरे के लिए 104 किलो यूरिया और 65 किलो डीएपी या 130 किलो यूरिया और 188 किलो एसएसपी प्रति हेक्टेयर की जरूरत रहती है। बुवाई से पहले यूरिया की आधी मात्रा और डीएपी या एसएसपी की पूरी मात्रा कतारों में डाल दें और यूरिया की आधी मात्रा बुवाई के 25-30 दिन बाद वर्षा होने पर दें।
सिंचाई प्रबंधन : सिंचाई की व्यवस्था होने पर पौधों में फुटान, सिट्टे निकलते और दाना बनते समय जरूरत अनुसार सिंचाई करें।
खरपतवार प्रबंधन : खरपतवार प्रबंधन के लिए बाजरे की बुवाई के तुरंत बाद एट्राजीन 50 डब्ल्यूपी आधा किलो सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। बुवाई के तीसरे-चौथे हफ्ते तक निराई-गुड़ाई करके खरपतवार जरूर निकालें।
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