पूसा गौतमी: उत्तर भारत के किसानों के लिए एक वरदान
26 सितम्बर 2024, भोपाल: पूसा गौतमी: उत्तर भारत के किसानों के लिए एक वरदान – भारत के उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र, जिसमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, और मध्य प्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं, गेहूं उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र हैं। इन राज्यों में सिंचाई की सुविधा अच्छी है, जो गेहूं की उच्च पैदावार में सहायक होती है।
हालांकि, गेहूं की उच्च पैदावार प्राप्त करने के लिए गेहूं की उन्नत किस्म की जरुरत होती है। वही ICAR के कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं की कई उन्नत किस्मों को विकसित किया है उन्हीं में से एक HD 3086 किस्म है, जिसे ‘पूसा गौतमी’ के नाम से भी जाना जाता है. यह किस्म उत्तर भारत के किसानों के लिए एक वरदान है।
इसके अलावा, गेहूं की उन्नत किस्म: HD 3086 (पूसा गौतमी) समय से बुवाई और सिंचित अवस्था में खेती के लिए उपयुक्त है।
विधि
HD 3086 किस्म समय से बुवाई और सिंचित अवस्था के लिए उपयुक्त मानी जाती है। सिंचित क्षेत्रों में समय पर बुवाई करने से इसकी उत्पादकता अधिक रहती है।
खेती से लाभ
उच्च उपज क्षमता: HD 3086 किस्म की अधिकतम उपज 81 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुंच सकती है, जो किसानों के लिए अधिक लाभदायक साबित होती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता: पीले और भूरे रतुए जैसी बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक होने के कारण फसल सुरक्षित रहती है।
समय से तैयार: इस किस्म की तैयार होने की अवधि किसानों को समय पर कटाई और अगली फसल की तैयारी के लिए उपयुक्त समय देती है।
किस क्षेत्र के लिए उपयुक्त
– दक्षिण भारत
– उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र
– पूर्वी भारत
– उत्तर पूर्वी भारत
उत्पादन क्षमता
औसत उपज: उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों में औसत उपज 54.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में औसत उपज 50.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
अधिकतम उपज: उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों में इसकी अधिकतम उपज 81 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक जा सकती है. और उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में अधिकतम उपज 61 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
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