फसल की खेती (Crop Cultivation)

ऐसे करें कपास में प्रमुख कीट की रोकथाम

ऐसे करें कपास में प्रमुख कीट की रोकथाम – कपास की फसल पर सम्पूर्ण विश्व मेें लगभग 1326 कीट प्रजातियां पाई गई हैं जिनमें से 162 प्रजातियां हमारे देश में भी कपास उत्पादक क्षेत्रों में पायी गई हैं। इन 162 कीट प्रजातियों में से 9 कीट प्रजातियां लगभग 50 प्रतिशत कपास उत्पादन को प्रतिवर्ष नष्ट कर देती हैं।

सफेद मक्खी – पत्तियां पीली पड़कर सूखने लगती हैं। सूखी हुई पत्तियाँ, कलियां, फूलपुड़ी एवं घेंटे गिरने लगते हैं।

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माहो – इस कीट के सुस्त प्रकृति के शिशु एवं वयस्क मुलायम शाखाओं एवं पत्तियों की निचली सतह पर बड़ी संख्या में पाए जाते हैं ये रसपान कर हानि पहुँचाते हैं।

तेला – फसल की आरंभिक अवस्था से परिपक्वता तक हानि पहुंचाता है। आरंभिक अवस्था की फसल पर कीट प्रकोप होने पर पत्तियाँ रजत श्वेत दिखाई देती हैं और क्रमश: पीली पड़कर सिकुड़ जाती है।

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कपास का लाल मत्कुण – इस कीट के शिशु एवं वयस्क समूह में रहकर पत्तियों एवं हरे घेटों से रस चूसते हैं। प्रकोपित घेंटे छोटे रह जाते हैं व समय से पूर्व खुल जाते हैं और इनमें रुई खराब हो जाती है।

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मिली बग – कीट की शिशु एवं पंखहीन मादा द्वारा हानि पहुंचायी जाती है। कीट की ये अवस्थाएं पौधों के तने शाखाओं, पर्ण वृन्तों, पत्तियों, फूलपुड़ी-घेंटों एवं कभी-कभी जड़ों पर भी समूहों में पायी जाती है। यह शाखाओं एवं पत्तियों पर अधिक रहना पसंद नहीं करती है। ये अवस्थाएं पौधे के इन भागों से रस चूसकर हानि पहुंचाती हैं।

प्रबंधन-

  • खाद-उर्वरकों एवं सिंचाई (सिंचित फसल में) का संतुलित उपयोग करें।
  • लोबिया को अंतरवर्तीय फसल के रुप में लगायें।
  • चिपचिपे प्रपंचों का उपयोग रस चूसक कीटों के लिए करें। विशेषकर पीले चिपचिपे प्रपंच सफेद मक्खी के लिए अत्यंत उपयोगी पाए गए हैं।
  • वैकल्पिक पोषक पौधों को नष्ट करें- जैसे सफेद मक्खी के लिए लटजीरा या एकेरेन्थस एस्पेरा तथा मिली बग के लिए गाजरघास या पारथेनियम।
  • नीम तेल 5 मिली/ली.+ टीपाल या सेन्डोविट 1 मिली./ली. का छिड़काव सफेद मक्खी या मिली बग के प्रकोप की आरंभिक स्थिति में करें।
  • कपास का बीज इमिडाक्लोप्रिड 70 डब्ल्यू एस 10 ग्राम/किग्रा या थायोमेथाक्साम 5 ग्रा./किग्रा से उपचारित करने के बाद ही बोयें।
  • कीट प्रकोप की स्थिति में इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 200 मिली सक्रिय तत्व/ हे. या थायोमेथाक्साम 25 डब्ल्यू जी 50 से 100 ग्राम सक्रिय तत्व/ हे. या एसिटामिप्रिड 20 एसपी 15 से 20 ग्राम सक्रिय तत्व/ हेक्टेयर का छिड़काव करें।
  • सफेद मक्खी के लिए ट्राइजोफॉस 40 ईसी 400 मिली सक्रिय तत्व/ हे. या डाइफेनथ्यूरान 50 डब्ल्यू पी 500 ग्राम सक्रिय तत्व/ हेक्टेयर का छिड़काव करें।
  • मिली बग के लिए प्रोफेनोफास 50 ईसी 750 मिली सक्रिय तत्व/ हे. या मेलाथियान 50 ईसी 500 मिली सक्रिय तत्व/ हेक्टेयर या एसीफेट 75 एसपी 400 ग्राम सक्रिय तत्व/ हेक्टेयर का छिड़काव उपयोगी है।

चितकबरी इल्ली

प्रकोपित पौधे का ऊपरी सिरा मुरझाकर लटका हुआ दिखाई देता है। प्रभावित पौधों की वृद्धि पर प्रभाव पड़ता है। फसल पर जैसे ही कलियां, फूल, फूलपुडिय़ां बनना शुरू होती हैं, ये उन्हें हानि पहुंचाने लगती है। घेंटे आने पर ये उनमें प्रवेश कर अंदर हानि पहुंचाने लगती है।

हरी इल्ली या अमेरिकन डेन्डू छेदक

इस कीट की केवल इल्ली अवस्था फसलों के लिए हानिकारक होती है। कपास में यह फूलपुड़ी या घेटों को हानि पहुंचाती है।

ग्रे व्हीविल

कीट की इल्ली एवं वयस्क दोनों अवस्थाएं फसल के लिए हानिकारक होती है। इल्ली (ग्रब) भूमि में रहती है और जड़ों व अंकुरित हो रही पौध को हानि पहुंचाती है।

गुलाबी डेन्डू छेदक

इस कीट की इल्ली अवस्था कलियां, फूलों, फूलपुडिय़ों, विकसित एवं विकसित हो रहे घेटों व उनमें बन रहे बीजों को हानि पहुंचाती है।

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अर्धकुण्डलक इल्ली

इस कीट की केवल अवस्था पत्तियों पर छोटे-छोटे छिद्र कर हानि पहुंचाती है। बाद की अवस्था में या अधिक प्रकोप की स्थिति में इल्लियां सम्पूर्ण पत्तियों को काटकर नष्ट कर देती हैं एवं पत्तियां पर केवल मध्य शिराएं शेष रह जाती हैं।

तम्बाकू की इल्ली

यह आरंभ में पत्तियों की निचली सतह पर रहकर हरे पदार्थ को खाती है तत्पश्चात ये सम्पूर्ण खेत में बिखरकर पत्तियों को खाती है।

पर्ण लपेटक

इस कीट की इल्ली अवस्था पत्तियों को लपेटकर काटती है। अत्याधिक प्रकोप की स्थिति में पौधा सम्पूर्ण पर्णविहीन हो जाता है।

  • कपास की 10-12 कतारों के बाद एक कतार मक्का की लगायें, यह पक्षियों के लिए आश्रय स्थल का कार्य करेंगी।
  • गुलाबी डेन्डू छेदक से सुरक्षा हेतु बीज को अप्रैल-मई की तेज गर्मी में 2 से 3 दिनों के लिए सुखाएं अथवा उसे बुवाई पूर्व 60 डिग्री से. तापक्रम पर 15 मिनिट के लिए रखें।
  • गुलाबी डेन्डू छेदक से रक्षा हेतु बीज को बुवाई पूर्व वायु अवरोधक पात्रों अथवा भंडारगृहों मेें मिथाइल ब्रोमाइड 2 लीटर/100 घन मीटर से प्रद्यूमित किया जा सकता है।
  • कीटनाशकों में एसीफेट 75 एसपी 500 ग्राम सक्रिय तत्व/हे. या स्पाइनोसेड 45 एसपी 100 ग्राम सक्रिय तत्व/हे या इंडाक्साकार्ब 14.5 एसपी 100 ग्राम सक्रिय तत्व/हे. या इमामेक्टिन बेन्जोएट 5 एसजी 8-10 ग्राम सक्रिय तत्व/हे या प्रोफेनोफास 50 ईसी 1000 नाभिकीय बहुभुज विषाणु (एचएनपीव्ही एवं एसएनपीव्ही) 400 इल्ली समतुल्य/हे. का उपयोग भी लाभदायक है।
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