जानिए लंबी दूरी के परिवहन के लिए उपयुक्त केले की किस्म कर्पुरावल्ली (एबीबी) का उपयोग
29 दिसम्बर 2023, भोपाल: जानिए लंबी दूरी के परिवहन के लिए उपयुक्त केले की किस्म कर्पुरावल्ली (एबीबी) का उपयोग – केले की किस्म कर्पुरावल्ली (एबीबी) को कर्पुरा वाज़हाई, कोष्ठा बोन्था, बूडी बाले, कंथाली, बूडिडा बुककिसा और बनरिया के नाम से भी जाना जाता है। कर्पुरावल्ली (एबीबी) तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, बिहार और अन्य उत्तर पूर्वी राज्यों में उगाई जाने वाली एक लोकप्रिय किस्म है।
यह किस्म 14 महीने की अवधि में पक कर तैयार हो जाती है। इसका गहर का आकार और गहर का औसत वजन 25 किलोग्राम होता हैं। इसमें 12 हाथ होते हैं जिसके अंदर 185 फल के गुच्छे पाये जाते हैं। फल की लंबाई 12-15 सेमी और घेरा 12 सेमी होता हैं। यह फल हल्की राख से लेपित होते हैं और अच्छी गुणवत्ता रखते हैं। इसके फल का छिलका पतला होता है।
कर्पुरावल्ली (एबीबी) के फलों की शेल्फ लाइफ लंबी होती है और ये लंबी दूरी के परिवहन के लिए उपयुक्त होते हैं। इस किस्म के फल 30-32° बी के टीएसएस के साथ बहुत मीठे होते हैं। इसके गूदे का रंग हाथीदांत जैसा सफेद से हल्का पीला होता है।
इसके मीठे गूदे का उपयोग विभिन्न मूल्य वर्धित उत्पादों जैसे जूस, अंजीर, वाइन, मीठी चटनी, केला फ्रूट बार्स आदि के लिए किया जाता है। इस किस्म की नर कली अत्यधिक पसंद की जाती है। इसके अलावा इसका उपयोग सब्जी व अचार के रूप मे भी किया जाता हैं। इसके गूदे से बनने वाला ‘थोक्कू’ एक प्रकार का अचार हैं, जो अत्यधिक स्वादिष्ट होता है।
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