क्या आप धान की खेती कर रहे है, तो जरा ध्यान दें इधर भी
29 अक्टूबर 2024, भोपाल: क्या आप धान की खेती कर रहे है, तो जरा ध्यान दें इधर भी – यदि आप किसान होकर धान की खेती कर रहे है तो जरा इधर भी ध्यान दें। दरअसल यहां बात हो रही है धान के भाव को लेकर। बताया जा रहा है कि धान के भाव को लेकर किसानों को माथे पर चिंता उभर सकती है क्योंकि भाव कम रूप से मिलने वाले है।
गौरतलब है कि धान की फसल इस समय पककर तैयार हो रही है। नवंबर-दिसंबर में धान की कटाई होगी। आने वाले सीजन में धान के भाव पर बड़ा असर पड़ने वाला है। इसकी वजह इजरायल और ईरान के बीच शुरू हुए संघर्ष को बताया जा रहा है। वैश्विक स्तर पर चल रही उठापटक का असर भारतीय कृषि पर पड़ता नजर आ रहा है। इजरायल तथा ईरान के बीच तनाव से बासमती चावल का निर्यात प्रभावित होने की संभावना है। इससे जहां निर्यातकों की चिंता एवं बेचैनी बढ़ गई है वहीं बासमती धान के उत्पादकों को भी भारी घाटा हो रहा है। चावल थोक मंडी भाव गिरकर पिछले साल से काफी नीचे आ गया है। भारत बासमती चावल का प्रमुख उत्पादक व निर्यातक देश है। वैश्विक निर्यात बाजार में इसकी भागीदारी 80 प्रतिशत तथा पाकिस्तान की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत रहती है। भारत से लगभग 40 प्रतिशत बासमती चावल का निर्यात पंजाब से होता है। ईरान भारतीय बासमती चावल का अग्रणी खरीदार रहा है। एक समय तो भारत से 25 प्रतिशत बासमती चावल का निर्यात अकेले ईरान को किया जाता था। लेकिन वहां घरेलू किसानों के हितों की रक्षा के लिए चावल के आयात पर दो-तीन माह का प्रतिबंध लगाए जाने से स्थिति कुछ हद तक अनिश्चित हो गई है। प्रतिबंध हटने के बावजूद भी वहां चावल का आयात करने में संदेह है। बीमा कंपनियों ने ईरान को निर्यात के लिए इंश्योरेंस देना बंद कर दिया है। जिससे घरेलू प्रभाग में बासमती धान की कीमतों में 700 से 800 रुपए प्रति क्विंटल तक की भारी गिरावट आ गई है क्योंकि निर्यातक एवं राइस मिलर्स विभिन्न थोक मंडियों में इसकी खरीद करने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। इससे किसानों की चिंता स्वाभाविक रूप से बढ़ती जा रही है। चालू वित्त वर्ष के दौरान बासमती धान के दाम में भारी गिरावट देखी जा रही है जबकि सरकार ने बासमती चावल के लिए नियत 950 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) को भी वापस ले लिया है। अन्य देशों में निर्यात जारी है, लेकिन इसके बावजूद आने वाले सीजन में बासमती दान के भाव में भारी गिरावट का खतरा बना हुआ है।
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