गेहूं की उच्च उपज के लिए ICAR के विशेष छिड़काव सुझाव
20 दिसंबर 2024, नई दिल्ली: गेहूं की उच्च उपज के लिए ICAR के विशेष छिड़काव सुझाव – गेहूं की फसल में उच्च उपज प्राप्त करना हर किसान का सपना होता है। फसल की सही देखभाल और पोषण प्रबंधन से इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। इसी दिशा में, आईसीएआर-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने किसानों के लिए विशेष छिड़काव के वैज्ञानिक सुझाव जारी किए हैं। इन सुझावों में पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देने वाले पोषक तत्वों और कीट-रोग नियंत्रण के लिए प्रभावी छिड़काव विधियों का उल्लेख किया गया है। आईसीएआर के इन उपायों को अपनाकर किसान अपनी फसल की उपज को न केवल बढ़ा सकते हैं बल्कि उत्पादन की गुणवत्ता भी सुधार सकते हैं।
भारत के प्रमुख क्षेत्रों में गेहूं की बुआई अच्छी प्रगति पर है, और उत्तरी क्षेत्रों में देर से होने वाली बुआई भी आगामी 15 दिनों में पूरी होने की उम्मीद है। इस समय मौसम की स्थिति गेहूं की बुआई और उसके पोषण के लिए अनुकूल मानी जा रही है।
उच्च उर्वरता वाली फसल के लिए विशेष छिड़काव
जल्दी बोई जाने वाली और उच्च उर्वरता वाली फसल के लिए, क्लोरमेक्वेट क्लोराइड (50% एसएल के 0.2% वाणिज्यिक उत्पाद) और टेबुकोनाजोल (25.9% ईसी के 0.1% वाणिज्यिक उत्पाद) के टैंक मिश्रण का छिड़काव पहले नोड चरण (50-55 दिन बाद) में 160 लीटर पानी प्रति एकड़ के साथ करें।
शीघ्र बोई गई फसल का प्रबंधन
शीघ्र बोई जाने वाली और उच्च उर्वरता वाली गेहूं की फसल के लिए, क्लोरमेक्वेट क्लोराइड 50% एसएल के 0.2% वाणिज्यिक उत्पाद और टेबुकोनाजोल 25.9% ईसी के 0.1% वाणिज्यिक उत्पाद के टैंक मिक्स संयोजन का पहला छिड़काव फसल की प्रथम नोड अवस्था (50-55 दिन बाद) में करें। इस प्रक्रिया के लिए 160 लीटर प्रति एकड़ पानी का उपयोग करें।
उच्च उपज के लिए अन्य सामान्य सुझाव
1. क्षेत्र और परिस्थितियों के अनुसार उपयुक्त किस्म का चयन करें– अपने क्षेत्र और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, देर से बुवाई के लिए उपयुक्त गेहूं की किस्म का चयन करें ताकि फसल की वृद्धि और उपज पर कोई प्रभाव न पड़े।
2. अन्य क्षेत्रों की किस्मों से बचें– रोगों की संवेदनशीलता और संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए, अन्य क्षेत्रों की किस्मों को न उगाएं।
3. पानी और लागत की बचत के लिए विवेकपूर्ण सिंचाई करें– खेतों में समय पर और सावधानीपूर्वक सिंचाई करें ताकि पानी की बचत हो और लागत में कटौती हो। फसल को उर्वरक, सिंचाई, शाकनाशी और कवकनाशी का संतुलित उपयोग करते हुए प्रबंधित करें।
4. मौसम पर ध्यान दें– सिंचाई से पहले मौसम का पूर्वानुमान अवश्य जांचें। यदि बारिश की संभावना हो, तो सिंचाई टाल दें ताकि जलभराव से फसल को नुकसान न हो।
5. फसल के पीलापन पर ध्यान दें– अगर फसल में पीलापन दिखाई दे तो नाइट्रोजन (यूरिया) का अधिक उपयोग न करें। कोहरे या बादल वाले मौसम में भी नाइट्रोजन का प्रयोग करने से बचें।
6. पीले रतुआ की नियमित निगरानी करें– फसल पर पीले रतुआ रोग का ध्यानपूर्वक निरीक्षण करें। यदि संक्रमण दिखाई दे तो नजदीकी कृषि विशेषज्ञ, एसएयू या केवीके से सलाह लें।
7. फसल अवशेषों का प्रबंधन करें– फसल अवशेषों को जलाने के बजाय मिट्टी में मिला दें या खेत में ही रहने दें। अवशेषों की उपस्थिति में गेहूं की बुवाई के लिए हैप्पी सीडर या स्मार्ट सीडर का उपयोग करें।
8. संरक्षण खेती में सही समय पर उर्वरक का प्रयोग करें– संरक्षण खेती के तहत, सिंचाई से पहले यूरिया का टॉप ड्रेसिंग करें ताकि पोषण का अधिकतम लाभ फसल को मिल सके।
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