आईएआरआई ने व्हाइट ग्रब कीट नियंत्रण के लिए विकसित की नई जैविक तकनीक
30 दिसम्बर 2023, नई दिल्ली: आईएआरआई ने व्हाइट ग्रब कीट नियंत्रण के लिए विकसित की नई जैविक तकनीक – सफ़ेद द्रव्य कीट को व्हाइट ग्रब के नाम से भी जाना जाता है। यह कई मुख्य फसलों में लगने वाला प्रमुख कीट हैं। यह कीट पौधों की जड़ को खाता हैं जिससे पौधा सूख जाता है और उपज को भी नुकसान होता हैं। इसके निवारण हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा संस्थान) ने एक विशिष्ट जैविक तकनीक तैयार की है। जिससे किसान कम लागत में इस कीट का नियंत्रण कर सकते हैं। पूसा संस्थान के विशेषज्ञ डॉ. शरद मोहन ने इस कीट को नियंत्रित करने के लिए जैविक तरीके के साथ रासायनिक उपाय की भी जानकारी दी हैं जो इस प्रकार हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) ने एक सूत्रकृमि तकनीकी को डेवलप किया हैं। जोकि कीट को मारने के लिए एक ऑर्गेनिक तरीका हैं। इसमें एक सूत्रकृमि का उपयोग करते हैं जिसको किसान बड़े ही आसानी से अपने घर में विकसित कर सकते हैं। इसको विकसित करने के लिए एक कीड़े की जरूरत होती हैं जिसको गैलेरिया मेलोनेला के नाम से जाना जाता हैं। यह कीट मधुमक्खी के छत्ते में पाया जाता हैं। सूत्रकृमि को जब इस कीड़े के ऊपर डालते हैं तो यह कीड़ा 24 घंटे के अंदर मर जाता हैं। इस एक कीड़े के अंदर अगर 2-5 सूत्रकृमि घुसे हैं और उस कीड़े को मारा हैं तो 10 दिन के अंदर ये सूत्रकृमि 3 लाख में तब्दील हो जाता हैं। मरने के बाद इस कीट को कौडोवर (मरा हुआ गैलोरिया मेलोनेला) कहा जाता हैं।
इस कीड़े को किसान सीधा खेतों में डाल सकते हैं और कोई भी मिट्टी में जो कीड़ा पाया जाता हैं जैसे की व्हाइट ग्रब (सफेद गिड़ार), टर्माइट या दीमक हो उनके लिए यह बहुत अच्छा कारगार सिध्द होता हैं।
कैडेवर का कैसे करें उपयोग
यह कैडेवर कीट 3000-5000 प्रति एकड़ की दर से डाले जाते हैं। इन कीटों को खेत में डालने से पहले हल्की सिंचाई देनी चाहिए तथा कैडेवर को 1 इंच की गहराई में डालना चाहिए। इसके अलावा इसका उपयोग पौधे के उम्र के हिसाब से भी कर सकते हैं जैसे कि एक छोटे पेड़ में 10 कैडेवर की आवश्यकता होती हैं और बडे़ पेड़ में 40-50 कैडेवर को डाला जाता हैं। इसको खेत में डालने का एक तरीका और हैं आप पहले जहां इसको डालना हैं उस जगह पर एक स्टार बना लें। स्टार के जितने भी पाइंट हैं उनमें इन कैडेवर को गाड़ दे और हल्की सिचांई कर दें।
केवल 50-60 पैसे में एक कैडेवर बन जाता हैं। अगर आप एक एकड़ में 5 हजार कैडेवर डाल रहे हैं तो आपकी पूरी लागत केवल 25,00 रूपये आयेगी। इस तकनीकी को किसान एक लघु उद्योग के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
रासायनिक उपाय
जो किसान रासायनिक तरीके से व्हाइट ग्रब (सफेद गिड़ार), दीमक को नियंत्रित करना चाहते हैं तो वे किसान इमिडाक्लोप्रिड या क्लोरपाइरीफोस का इस्तेमाल कर सकते हैं।
किसान व्हाइट ग्रब के नियंत्रित करने के लिए क्लोरपाइरीफोस की 400 एमएल मात्रा को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर 1 एकड़ में छिड़काव करें। वही इमिडाक्लोप्रिड की 65 एमएस मात्रा को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर 1 एकड़ में छिड़काव कर सकते हैं।
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम)