फसल की खेती (Crop Cultivation)किसानों की सफलता की कहानी (Farmer Success Story)

खतरनाक जलीय खरपतवार ‘वाटर फर्न’ पर नियंत्रण: जैविक उपाय से मिली बड़ी सफलता

14 दिसंबर 2024, भोपाल: खतरनाक जलीय खरपतवार ‘वाटर फर्न’ पर नियंत्रण: जैविक उपाय से मिली बड़ी सफलता – साल्विनिया मोलेस्टा, जिसे आमतौर पर ‘वाटर फर्न’ कहा जाता है, दक्षिण-पूर्वी ब्राजील की एक आक्रामक जलीय खरपतवार है। इसकी तेज़ी से बढ़ने की क्षमता इसे स्थानीय जल निकायों और पारिस्थितिकी के लिए एक बड़ा खतरा बनाती है। हाल के वर्षों में, यह खरपतवार भारत के कई हिस्सों में तेजी से फैला है, जिससे सिंचाई, जलविद्युत उत्पादन, जलीय कृषि और मछली पालन को भारी नुकसान हुआ है। मध्य प्रदेश के बैतूल, जबलपुर और कटनी जिलों में इसका प्रकोप गंभीर रूप से महसूस किया गया, जहां पानी की उपलब्धता और जलीय फसलों के उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। ऐसे में, एक जैविक समाधान ने न केवल इन समस्याओं का समाधान किया, बल्कि भविष्य के लिए एक स्थायी मॉडल भी प्रस्तुत किया।

खरपतवार प्रबंधन की चुनौतियां:

साल्विनिया मोलेस्टा जैसे विदेशी खरपतवार के प्रबंधन में कई चुनौतियां सामने आती हैं। इसकी तेज़ी से बढ़ने की क्षमता और बायोमास (80 टन/हेक्टेयर तक) इसे यांत्रिक और रासायनिक तरीकों से नियंत्रित करना मुश्किल बनाती है। रसायनों के इस्तेमाल से पर्यावरण प्रदूषण और पानी की गुणवत्ता में गिरावट जैसी समस्याएं पैदा होती हैं। वहीं, यांत्रिक तरीकों से खरपतवार को हटाने की लागत बहुत अधिक होती है, और हटाने के बावजूद पुनः विकास की संभावना बनी रहती है।

जैविक समाधान: सिर्टोबैगस साल्विनिया का उपयोग

इन चुनौतियों को देखते हुए, मध्य प्रदेश के कटनी जिले के पाडुआ गांव में जैविक समाधान के रूप में एक मेजबान-विशिष्ट कीट सिर्टोबैगस साल्विनिया का उपयोग किया गया। इस कीट का उपयोग पहले केरल में सफलतापूर्वक किया जा चुका था। दिसंबर 2019 में, इस कीट को कटनी जिले के एक गंभीर रूप से संक्रमित तालाब में छोड़ा गया।

शुरुआती 6 महीनों तक कोई प्रभाव देखने को नहीं मिला, लेकिन इसके बाद कीटों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई। 11 महीनों में इनकी संख्या नगण्य से बढ़कर 125.5 वयस्क प्रति वर्ग मीटर हो गई। इस प्रक्रिया में कीटों ने खरपतवार की कलियों और नई वृद्धि को नष्ट कर दिया, जिससे इसका पुनर्जनन रुक गया।

18 महीने में 100% सफलता:

इस जैविक नियंत्रण प्रक्रिया में 18 महीनों के भीतर तालाब से साल्विनिया मोलेस्टा का 100% उन्मूलन संभव हो सका। 8 महीनों में 50% नियंत्रण और 11 महीनों में 80% नियंत्रण प्राप्त हुआ। कीटों ने खरपतवार की जड़ों और कलियों को नष्ट कर दिया, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि यह फिर से विकसित न हो सके।

सिर्टोबैगस साल्विनिया के उपयोग से खरपतवार नियंत्रण एक स्थायी और पर्यावरण के अनुकूल समाधान साबित हुआ। यह तकनीक न केवल कम लागत वाली है, बल्कि इसे ग्रामीण समुदायों द्वारा आसानी से अपनाया जा सकता है।

ग्रामीणों की भूमिका और परिणाम

कटनी जिले के पाडुआ गांव के ग्रामीणों ने इस समाधान को अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्षों से हाथ से खरपतवार हटाने के उनके प्रयास व्यर्थ साबित हुए थे। लेकिन इस जैविक समाधान के बाद, न केवल तालाब साफ हुआ, बल्कि मछली पालन और अन्य जलीय कृषि गतिविधियों में भी सुधार हुआ।

साल्विनिया मोलेस्टा के जैविक नियंत्रण का यह प्रयास मध्य भारत में पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुआ है। यह मॉडल दिखाता है कि सही दृष्टिकोण और स्थानीय प्रयासों के माध्यम से, जटिल पर्यावरणीय समस्याओं का स्थायी समाधान संभव है। देश के अन्य हिस्सों में भी इस समाधान को अपनाया जा सकता है, जिससे पर्यावरण और समुदाय दोनों को लाभ होगा।

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