शीतलहर से फसल को बचाएं: गंधक, सिंचाई और धुएं का सही उपयोग
19 दिसंबर 2024, अजमेर: शीतलहर से फसल को बचाएं: गंधक, सिंचाई और धुएं का सही उपयोग – सर्दियों के मौसम में पाला और शीतलहर किसानों के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। पाले के प्रभाव से फसलों की पत्तियां, फूल, और फल झुलसकर खराब हो जाते हैं, जिससे फसल उत्पादन पर भारी असर पड़ता है। राजस्थान के कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को इस कठिन परिस्थिति से निपटने के लिए विशेष सलाह जारी की है। अजमेर के कृषि अधिकारी श्री पुष्पेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि संयुक्त निदेशक कृषि विभाग श्री शंकर लाल मीणा द्वारा फसलों की सुरक्षा के लिए उपयोगी उपाय सुझाए गए हैं।
फसलों को ढककर करें सुरक्षा
सीमित क्षेत्र वाले उद्यानों और नगदी फसलों को पाले से बचाने के लिए उन्हें टाट, पॉलीथीन, या भूसे से ढकना चाहिए। नर्सरी और किचन गार्डन में उत्तर-पश्चिम दिशा से आने वाली ठंडी हवा को रोकने के लिए वायुरोधी टाट लगाई जा सकती है। शाम के समय क्यारियों को ढककर रात में सुरक्षित रखें और दिन में इसे हटा दें। इस उपाय से भूमि का तापमान कम नहीं होगा और फसलें सुरक्षित रहेंगी।
सिंचाई से मिट्टी की नमी बनाए रखें
पाले से बचाव के लिए हल्की सिंचाई एक प्रभावी उपाय है। शाम को फसलों की सिंचाई करने से मिट्टी में नमी बनी रहती है, जिससे तापमान तेजी से गिरने से रोका जा सकता है। नमीयुक्त मिट्टी में अधिक समय तक गर्मी रहती है, जो फसलों को शीतलहर और पाले के नुकसान से बचाने में सहायक है।
धुएं का उपयोग
फसल क्षेत्रों में मेडों और खेतों के बीच-बीच में घास-फूस जलाकर धुआं करें। यह वातावरण को गर्म बनाए रखने में मदद करता है और पाले के प्रभाव को कम करता है। यह एक पारंपरिक और सरल उपाय है, जो सर्दी के मौसम में किसानों द्वारा लंबे समय से अपनाया जाता रहा है।
गंधक और थायो यूरिया का छिड़काव
पाले से फसल की सुरक्षा के लिए 0.2% घुलनशील गंधक (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें। यह फसलों को ठंड के प्रभाव से बचाने के साथ-साथ पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। गंधक का यह प्रभाव लगभग दो सप्ताह तक रहता है। यदि शीतलहर की संभावना बनी रहती है, तो 15 दिनों के अंतराल पर पुनः छिड़काव करें। इसके अलावा, थायो यूरिया का 500 पीपीएम (आधा ग्राम प्रति लीटर पानी) घोल बनाकर भी छिड़काव किया जा सकता है।
दीर्घकालीन समाधान: वायु अवरोधक पेड़ों का रोपण
फसलों को लंबे समय तक पाले और ठंडी हवाओं से बचाने के लिए खेत की उत्तर-पश्चिमी मेडों पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बबूल, खेजड़ी आदि लगाए जा सकते हैं। ये पेड़ ठंडी हवाओं को रोककर फसलों को सुरक्षित रखते हैं और तापमान में स्थिरता बनाए रखने में मदद करते हैं।
श्री राठौड़ ने बताया कि सरसों, गेहूं, चना, आलू, और मटर जैसी फसलें पाले के प्रति बेहद संवेदनशील होती हैं। गंधक के छिड़काव से न केवल इन फसलों को सुरक्षित रखा जा सकता है, बल्कि पौधों में लौह तत्व की जैविक सक्रियता भी बढ़ती है। यह प्रक्रिया फसल को जल्दी पकाने और उसकी गुणवत्ता बनाए रखने में मदद करती है।
किसानों के लिए हेल्पलाइन और सहायता
किसानों को किसी भी जानकारी या सहायता की आवश्यकता हो तो वे अपने निकटतम कृषि कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, किसान कॉल सेंटर के निःशुल्क नंबर 18001801551 पर संपर्क कर विशेषज्ञों से परामर्श लिया जा सकता है।
सर्दियों में पाला और शीतलहर फसलों के लिए बड़ी समस्या हो सकती है, लेकिन सही समय पर उठाए गए ये कदम आपकी फसल को सुरक्षित रखने और उपज को बचाने में सहायक होंगे।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: