सोयाबीन की 15 नई किस्में
वर्ष 2021 के दौरान अधिसूचित
- डॉ. बी. यू. दुपारे ,डॉ. मृणाल कुचलन
डॉ. पूनम कुचलन ,डॉ. एस.डी. बिल्लौरे
भा.कृ.अनु.प.-भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, खंडवा रोड, इंदौर (मप्र)
ईमेल: soyextn@gmail.com
3 जून 2022, सोयाबीन की 15 नई किस्में – सोयाबीन न केवल मध्य प्रदेश अपितु सम्पूर्ण देश में खरीफ के मौसम में बोई जाने वाली महत्वपूर्ण फसल है जो कि 21वीं सदी के प्रारंभ से ही भारत के तिलहनी परिदृश्य में क्षेत्रफल एवं उत्पादन की दृष्टि से लगातार प्रथम स्थान पर विराजमान होकर बहुत कम समय में नई फसलों के स्थानापन्न होने के लिए विश्व में एक नया कीर्तिमान बनाया हैं। देश के लाखों लघु एवं सीमांत कृषकों की आर्थिक उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली इस सुनहरी फसल की व्यावसायिक खेती मुख्यत: मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ के कृषकों द्वारा की जा रही है। इन राज्यों के अतिरिक्त, सोयाबीन की खेती परंपरागत रूप से उत्तर पूर्वी राज्यों, उत्तराखंड एवं हिमाचल के पहाड़ी क्षेत्रों के साथ-साथ उत्तरी भारत के पंजाब, हरियाणा, बिहार जैसे राज्यों के कुछ इलाकों में की जा रही है।
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सोयाबीन की व्यावसायिक खेती के लिए आधारभूत एवं रणनीतिक अनुसन्धान के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् द्वारा स्थापित अखिल भारतीय समन्वित सोयाबीन अनुसंधान परियोजना वर्ष 1967 से क्रियान्वित की जा रही है जिसके अंतर्गत राज्यों में उपकेंद्रों की स्थापना की गई जो कि सम्बंधित कृषि विश्वविद्यालयों से सम्बद्ध होकर स्थानीय जलवायु के अनुसार तकनीकी का विकास एवं उसके बहुस्थालीय परीक्षण हेतु कार्य करते हुए अपना योगदान दे रहे हैं। इस प्रणाली के माध्यम से इस वर्ष फऱवरी 2021 को अधिसूचित 15 सोयाबीन किस्मों सहित अभी तक देश के विभिन्न क्षेत्रों के लिए कुल 141 सोयाबीन की उन्नत किस्में अनुशंसित की गई हैं। वर्तमान में यह परियोजना देश के 19 राज्यों के 33 विभिन्न समन्वयन केन्द्रों पर क्रियान्वित की जा रही है जिसमें मुख्यत: सोयाबीन उत्पादन तकनीकी की स्थानीय उपयुक्तता तथा विकसित तकनीकी के मूल्यांकन का कार्य किया जा रहा है। भारत में सोयाबीन की खेती के हिसाब से देश के विभिन्न राज्यों को 6 प्रमुख क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है –
उत्तर पहाड़ी क्षेत्र : हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्र।
उत्तरी मैदानी क्षेत्र : पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के पूर्वी मैदान, मैदानी-उत्तराखण्ड व पूर्वी बिहार।
पूर्वी क्षेत्र: छत्तीसगढ़, झारखण्ड, बिहार, उड़ीसा एवं पश्चिम बंगाल।
उत्तर पूर्वी पहाड़ी क्षेत्र : असम, मेघालय, मणीपुर, नागालैण्ड व सिक्किम।
मध्य क्षेत्र : मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश का बुन्देलखण्ड भाग, राजस्थान, गुजरात, उत्तर-पश्चिमी महाराष्ट्र।
दक्षिणी क्षेत्र : कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश व महाराष्ट्र का दक्षिणी भाग।
विगत कई वर्षों से देश की सोयाबीन उत्पादकता का औसत 1टन/हेक्टेयर के आसपास स्थिर हुआ है जिसमे वृद्धि लाने हेतु सभी स्तरों पर सामूहिक प्रयास किये जा रहे है। विशेष रूप से फसल की उत्पादकता में हानि करने वाले जैविक कारकों (सेमीलूपर इल्लियां, चने की इल्ली, तम्बाकू की इल्ली, चक्र भृंग जैसे कीटों का प्रकोप) के साथ-साथ अजैविक तनावों (फसल अवधि के दौरान कई बार लगातार लम्बी अवधि तक सूखा, अधिक तापमान, बादल भरा मौसम) तथा जलवायु परिवर्तन जनित मानसून/वर्षा (देरी से आगमन, असामान्य वितरण, फसल परिपक्वता के दौरान लगातार अधिक वर्षा के कारण जलभराव आदि) जैसी समस्याओं के कारण इन जैविक एवं अजैविक तनावों से मुकाबला करने वाली प्रतिरोधी एवं अधिक उत्पादन क्षमता वाली सोयाबीन की किस्मों के विकास हेतु प्रयास किये जा रहे हैं। इसी के फलस्वरूप इस वर्ष विभिन्न क्षेत्रों के लिए अनुकूल कुल 15 नवीनतम सोयाबीन किस्मों की अनुशंसा की गई हैं
जो कि हाल ही में भारत सरकार के राजपत्र (भाग-2, खंड 3, उप-खंड (ii) दिनांक 2 फऱवरी 2021 के माध्यम से प्रकाशित कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग की अधिसूचना में शामिल है। अत: कृषकों की जानकारी हेतु इन नवीनतम किस्मों की परिपक्वता अवधि, अधिकतम उत्पादन क्षमता तथा विशेष गुणधर्मों बाबत जानकारी तालिका 1 में दी जा रही हैं।
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प्रजनक संस्थान एम.ए.सी.एस.- आघारकर संशोधन संस्था, पुणे; एन.आर.सी. एवं एन.आर.सी.एस.एल.-भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर; आर.एस.सी.-इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर; ए.एम.एस.एम.बी. एवं ए.एम.एस. सोयाबीन संशोधन केंद्र, (डॉ. पी.डी.के.वी.), अमरावती, जे.एस.-जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर; आर.वी.एस.-राजमाता विजयाराजे विश्वविद्यालय, ग्वालियर, आर.के.एस.- कोटा कृषि विश्वविद्यालय, राजस्थान, डी.एस.बी.- कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, धारवाड़, कर्नाटक।
वर्ष 2021 के दौरान अधिसूचित सोयाबीन की नई किस्में
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