फसल की खेती (Crop Cultivation)

सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह

21 मई 2022, इंदौर । सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह भाकृअप – भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान, इंदौर ने किसानों को आगामी खरीफ सत्र के लिए उपयोगी सलाह दी है , जो निम्नानुसार है –

मौसम विभाग द्वारा जारी पूर्वानुमान  के अनुसार इस वर्ष  सोयाबीन की खेती किए  जाने वाले प्रमुख क्षेत्रों में सामान्य या सामान्य से अधिक वर्षा  होने का अनुमान है. अतः कृषकों को सलाह है कि जहां तक सम्भव हो सोयाबीन की बोवनी बी.बी.एफ (चौड़ी क्यारी प्रणाली) या (रिज -फरो पद्धति ) कुड-मेड-प्रणाली से ही करें।

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सोयाबीन के उत्पादन में स्थिरता  की दृष्टि  से 2 से 3  वर्ष  में एक बार अपने खेत की गहरी जुताई करना लाभकारी होता है। कृषकों को सलाह है कि  अपने खेत की ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करे।  गहरी जुताई के पश्चात विपरीत दिशा  में कल्टीवेटर एवं  पाटा चलाकर खेत को तैयार करें। सामान्य वर्षों में विपरीत दिशा  में दो बार कल्टिवटर एवं पाटा चलाकर खेत को तैयार करें।

अंतिम  बखरनी से पूर्व गोबर की खाद (10 टन/हे) या मुर्गी  की खाद (2.5 टन/हे) को खेत में फैलाकर अच्छी  तरह मिला दें।  विगत कुछ वर्षों में देखी गई सूखे की स्थिति  को देखते हुए सलाह है कि सुविधा अनुसार 10 मीटर के अंतराल पर सब- सोइलर चलाएं।  इससे मिट्टी की कठोर परत तोड़ने एवं नमी का संचार अधिक समय तक रखने में सहायता मिलती है। सलाह है कि अपने जलवायु क्षेत्र के लिए अनुकूल न्यूनतम 2-3 सोयाबीन की किस्मों  का चयन कर बीज उपलब्धता एवं  बीज परीक्षण  के माध्यम से अपने पास उपलब्ध बीज का अंकुरण (न्यूनतम 70%) सुनिश्चित करें। सोयाबीन की खेती के लिए आवश्यक  आदान (बीज, खाद-उर्वरक , फफूंदनाशक, कीटनाशक, खरपतवारनाशक , जैविक कल्चर आदि ) का क्रय कर इनकी उपलब्धता सुनिश्चित करें।

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