गाय की पà¥à¤°à¤¸à¤µ के बाद देखभाल

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  • डॉ. सà¥à¤¨à¥€à¤² नीलकंठ रोकड़े
    पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•, केनà¥à¤¦à¥à¤°à¥€à¤¯ कपास अनà¥à¤¸à¤‚धान संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨,
    नागपà¥à¤°, महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤°Â 
    मो. : 09850347022

28  मई 2021, नागपà¥à¤° । गाय की पà¥à¤°à¤¸à¤µ के बाद देखभाल – पà¥à¤°à¤¸à¤µ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ के निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤–ित लकà¥à¤·à¥à¤£ होते हैं –

पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤• लकà¥à¤·à¤£

पà¥à¤°à¤¸à¤µ के 3-4 दिन पहले अयन तथा थनों पर सूजन दिखाई देती है तथा ऊपर की तà¥à¤µà¤šà¤¾ गà¥à¤²à¤¾à¤¬à¥€ दिखाई देती है। उसमें खीस भरा होता है जिससे अयन सखà¥à¤¤ दिखता है। पूंछ की दोनों मांसपेशियाठढ़ीली पड़ जाती हैं और पà¥à¤Ÿà¥à¤ à¥‡ पर गढà¥à¤¢à¥‡ बन जाते हैं। गाय बेचैन रहती है तथा à¤à¤•ानà¥à¤¤ में रहना पसंद करती है। उसके योनीदà¥à¤µà¤¾à¤° पर सूजन दिखाई देती है तथा उससे सफेद चिपचिपा पदारà¥à¤¥ (मà¥à¤¯à¥à¤•स) बाहर आता दिखाई देता हैं। यह सब लकà¥à¤·à¥à¤£ दिखाई देने शà¥à¤°à¥‚ होते ही गाय को à¤à¤• अलग बाड़े में रखें। इस बाड़े का फरà¥à¤¶ थोड़ा खà¥à¤°à¤¦à¤°à¤¾ होना चािहये लेकिन चà¥à¤­à¤¨à¥‡à¤µà¤¾à¤²à¤¾ नहीं हो। फरà¥à¤¶ पर नरà¥à¤® घांसफूंस बिछाकर गाय को ऊपर रखें। बाड़ा हवादार, पà¥à¤°à¤•ाशमान लेकिन जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पानी की अलग से समà¥à¤šà¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¬à¤‚ध करें। बाड़े में गाय पर नजर रखने हेतॠअनà¥à¤­à¤µà¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जो पà¥à¤°à¤¸à¤µ तथा उसके उपरानà¥à¤¤ गाय की देखभाल कैसी करें इसके बारे में जानकारी रखता है उसे तैनात करें। उसे वहां 24 घणà¥à¤Ÿà¥‡ रहना चाहिये। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि पà¥à¤°à¤¸à¤µ कभी भी हो सकता है तब गाय की मदद हेतॠकोई चाहिये।
बाड़े में गरà¥à¤® पानी करने हेतॠबरà¥à¤¤à¤¨, साफ कपड़े, जनà¥à¤¤à¥‚नाशक दवा, कपास, साफ बà¥à¤²à¥‡à¤¡, लाल दवा (पोटेशियम परमेंगनेट), बालà¥à¤Ÿà¥€, मग(लोटा) सभी जरूरी समान पहले से ही तैयार रखें।

पà¥à¤°à¤¸à¤µ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ की दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ अवसà¥à¤¥à¤¾

गाय को पà¥à¤°à¤¸à¤µ पीड़ा शà¥à¤°à¥‚ होती हैं जो कम जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ होती रहती है। जब वह बढ़ती है तो गाय बेचैन हो उठती है और बारबार बैठती है। जब पीड़ा बहà¥à¤¤ बढ़ती है तो लेट जाती है। पीड़ा कम होने पर उठती है। उसके शà¥à¤µà¤¸à¤¨ की तथा नाड़ी की गति बढ़ जाती हैं। यह बहà¥à¤¤ कठनाई भरे पल होते हैं जिनपर बारीक नजर रखनी पड़ती है।

पà¥à¤°à¤¸à¤µ की तृतीय अवसà¥à¤¥à¤¾

पà¥à¤°à¤¸à¤µ पीड़ा चरम सीमा तक पहà¥à¤‚चती है तो तभी जननदà¥à¤µà¤¾à¤° से पानी जैसे दà¥à¤°à¤µ से भरी थैली बाहर आनी शà¥à¤°à¥‚ होती है और धीरे-धीरे बाहर आती है। वह फूट जाती है और उसके भीतर का दà¥à¤°à¤µ बह जाता हैं। इसके बाद बचà¥à¤šà¥‡ के अगले पैर के खà¥à¤° दिखाई देते हैं और घà¥à¤Ÿà¤¨à¥‡ से नीचे उसका मà¥à¤à¤¹ रखा हà¥à¤† दिखाई देता है। यह सामानà¥à¤¯ जनन की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ होती है। कभी-कभी किसी कारणवश बछड़े की गरà¥à¤¦à¤¨ टेढ़ी हो जाती हैं। या बचà¥à¤šà¤¾ तिरछा या उलà¥à¤Ÿà¤¾ हो जाता है यह असामानà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ कहलाती है और इन अवसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं में बचà¥à¤šà¥‡ का जननदà¥à¤µà¤¾à¤° से बाहर निकलना कठिन हो जाता है। गाय बार-बार जोर लगाती है ताकि बचà¥à¤šà¤¾ बाहर निकल जाये पर वैसा नहीं हो पाता इसे कषà¥à¤Ÿ पà¥à¤°à¤¸à¤µ (डिसà¥à¤Ÿà¥‹à¤•िया) कहते हैं। à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ आने पर अनà¥à¤­à¤µà¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ या पशà¥à¤“ं के डॉकà¥à¤Ÿà¤° को बà¥à¤²à¤¾à¤•र गाय की मदद करवायें तथा पà¥à¤°à¤¸à¤µ समà¥à¤ªà¤¨ करवायेें। इस पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को धीमे-धीमे तथा संयम से करें कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जननांग नाजà¥à¤• होते हैं तथा उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ चोट नहीं लगें। अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ बाद में संकà¥à¤°à¤®à¤£ तथा अनà¥à¤¯ नà¥à¤•सान हो सकता है। गाय में 3 से 4 घणà¥à¤Ÿà¥‡ में पà¥à¤°à¤¸à¤µ समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो जाता हैं तथा बà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¾ पडिया और औलटों में à¤à¤•ाध घणà¥à¤Ÿà¤¾ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लग सकता है।

पà¥à¤°à¤¸à¤µ के बाद लगभग छ: घणà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ में गाय जेर बाहर डाल देती है लेकिन जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ उमà¥à¤°, गरà¥à¤­à¤¾à¤¶à¤¯ की मांसपेशियां कमजोर होना, संकà¥à¤°à¤®à¤£ कमजोरी आदि कारणों से कभी-कभी जेर ना गिरे तो गरà¥à¤­à¤¾à¤¶à¤¯ पर सूजन आना, सडऩा, गाय को बà¥à¤–ार होना, भूख कम लगना आदि समसà¥à¤¯à¤¾à¤à¤‚ पैदा होती हैं। अत: अनà¥à¤­à¤µà¥€ डॉकà¥à¤Ÿà¤° को बà¥à¤²à¤¾à¤•र जेर निकलवा लें। डॉकà¥à¤Ÿà¤° उपलबà¥à¤§ न हो तो गाय को 25 गà¥à¤°à¤¾à¤® मà¤à¤—सलà¥à¤«, 200 गà¥à¤°à¤¾à¤® सौंठचूरà¥à¤£ को गà¥à¤¨à¤—à¥à¤¨à¥‡ पानी में मिलाकर पिलायें।

जरूरत पडऩे पर ऑकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨ संपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤• का इंजेकà¥à¤¶à¤¨ भी दिया जा सकता है। जेर गिरने पर उसे दूर जमीन में दफन करें।

सामानà¥à¤¯ देखभाल à¤à¤µà¤‚ पोषण पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन

गाय को ठंड है तो ठंड से बचाà¤à¤‚। नजदीक ताप का पà¥à¤°à¤¬à¤‚ध करें। उसके जननदà¥à¤µà¤¾à¤° तथा आसपास का हिसà¥à¤¸à¤¾ गà¥à¤¨à¤—à¥à¤¨à¥‡ पानी में लाल दवा के कà¥à¤› कण या अनà¥à¤¯ जंतà¥à¤¨à¤¾à¤¶à¤• दवा डालकर उस दà¥à¤°à¤µ से अचà¥à¤›à¥€ तरह धोयें। इसके बाद उसे गà¥à¤¨à¤—à¥à¤¨à¥‡ पानी में कà¥à¤› गà¥à¤¡à¤¼, थोड़ा नमक काला नमक डालकर पिलायें इसके कà¥à¤› देर बाद दो किलो मोटा दलिया/सूजी को साफ तसले में अचà¥à¤›à¥€ तरह पकाकर उसमें 2 किलो गà¥à¤¡à¤¼ मिलाकर तथा थोड़ा सा नमक डालकर खिलायें। पà¥à¤°à¤¸à¤µ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ के दौरान गाय के शरीर में कमजोरी आ जाती हैं और उपरोकà¥à¤¤ उपचार से उसे ऊरà¥à¤œà¤¾ मिलती है जिससे उसे चà¥à¤¸à¥à¤¤à¥€ फà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿ मिलती हैं। उसे 50 गà¥à¤°à¤¾à¤® नमक तथा 50 गà¥à¤°à¤¾à¤® हडà¥à¤¡à¥€ का चूरà¥à¤£ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ खिलायें। हरा चारा पà¥à¤°à¤šà¥à¤° मातà¥à¤°à¤¾ में खिलायें। जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दूध उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• गाय को विटामिन ‘डी’ दें।

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