Animal Husbandry (पशुपालन)

बकरियों को होने वाले रोग व उपचार

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  • डॉ. अनुप्रिया कुलचानिया, राजस्थान कृषि अनुसन्धान संस्थान दुर्गापुरा, जयपुर
  • डॉ. प्रह्लाद पूनियां, यंग प्रोफेशनल-2, केन्द्रीय कपास अनुसंधान संस्थान, सिरसा, हरियाणा
  • महेंद्र कुमार घासोलिया, श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर

 

4  दिसम्बर 2022, बकरियों को होने वाले रोग व उपचार – बकरी जिसे गरीबों की गाय भी कहा जाता है किसानों के लिए आय बढ़ाने का अच्छा जरिया है। सामन्यतः बकरी पालन में बहुत कम खर्च आता है परन्तु यदि यदि बकरियों को रोग लग जाए तो वह आपके लिए मुसीबत का कारन हो सकता है। इसलिए आज आपके लिए बकरियों को सामन्यतः लगने वाले रोग एवं उसका उपचार किस तरह कर सकते हैं बता रहे है।

हाजमे तथा भूख लगने की आयुर्वेदिक दवाएं

बकरी को भूख न लगने पर, कब्ज, कमजोरी इत्यादि की शिकायत होने पर उसे HB Strong नामक दवा एक दिन में 2.5 ग्राम दो बार लगातार तीन चार दिन तक दी जा सकती है. इसके अलावा इन्ही सब समस्याओं के लिए Rumbion Bolus नामक आयुर्वेदिक दवा का उपयोग HB Strong Powder  के साथ किया जा सकता है। इन दवाओं का उपयोग सामान्य हेल्थ टॉनिक के रूप में भी किया जा सकता है और बकरियों को यह दवा गुड़ के साथ भी दी जा सकती है।

बकरियों की लीवर टॉनिक

अक्सर बकरियों का लीवर वर्षा ऋतू में खराब हो सकता है, इसलिए इस बकरियों को लीवर सम्बन्धी कोई भी बीमारी होने पर उन्हें स्प्ट 52 च्तवजमब (जिसे हिमालय ड्रग द्वारा निर्मित किया गया है) की 15-20 मिली. दिन में दो बार लगातार 8-10 दिनों तक देना होगा। उपर्युक्त दवा के अलावा स्पअवस जो की एक इंडियन हर्ब है की 8-12हउ मात्रा भोजन या गुड़ के साथ मिलाकर दिन में एक से दो बार 8-10 दिनों तक खिलानी चाहिए।

बकरी के अतिसार डायरिया का आयुर्वेदिक ईलाज

यदि बकरी को डायरिया या अतिसार की समस्या हो तो बकरी की बीमारियों का आयुर्वेदिक ईलाज करने के लिए उसे Diovet (जिसका निर्माण Charak Phermaceuticals से किया गया है) 25ml  दवा दिन में दो बार दी जा सकती है। इसके अलावा इसी समस्या के लिए Neblon जो की एक इंडियन हर्ब है का उपयोग 6-10 ग्राम दिन में 2-3 बार छह घंटे के अन्तराल में किया जा सकता है यह आयुर्वेदिक दवा चावल के मांड या गुड़ के साथ दी जा सकती है।

अपच या पेट की सूजन में प्रयग में लायी जाने वाली दवा

यदि बकरी पेट में सूजन या अपच जैसी बीमारी से ग्रस्त हो तो बकरी की बीमारियों का आयुर्वेदिक ईलाज करने के लिए उसे Timpol  (जो की एक Indian Herbs है) की पेट में गैस जमा होने के कारन होने वाली सूजन से निजात देने के लिए 20-25 ग्राम दवा 250 मिली गुनगुने पानी में दिन में दो बार दी जा सकती है। यदि पशु को अधिक तकलीफ है तो हर 4 घंटे के अन्तराल में यह दवा दी जा सकती है। यदि बकरी का पेट फूल गया हो तो 250-500 मिली पानी या फिर बादाम के तेल के साथ यही दवा दिन में दो बार दी जा सकती है।

 

बकरी के सर्दी जुकाम के लिए आयुर्वेदिक दवा

बकरी के सर्दी जुकाम एवं ब्रांकाइटीस जैसी बीमारियों से जूझने पर इन बकरी की बीमारियों का आयुर्वेदिक ईलाज करने के लिए Caflon (जो की एक इंडियन हर्ब है) दिन में दो तीन बार 6-12 ग्राम की मात्रा में गुड़ या गरम पानी के साथ मिलाकर दी जा सकती है।

मूत्र संक्रमण में प्रयोग में लायी जाने वाली आयुर्वेदिक दवाएं

मूत्र तंत्र में संक्रमण, मूत्र थैली में प्रदाह या फिर मूत्र त्याग करते समय दर्द की शिकायत होने पर बकरी को Bangshil नामक दवा तीन टेबलेट दिन में दो बार लगातार चैदह दिनों तक या फिर जरुरत के मुताबिक दिन में दो बार दो टेबलेट दी जा सकती हैं इस दवा का प्रयोग एंटीबायोटिक दवाओं के साथ भी किया जा सकता है। इसके अलावा इन्हीं बकरी की बीमारियों का आयुर्वेदिक ईलाज करने के लिए बकरी को Cystone (जिसका निर्माण हिमालय ड्रग द्वारा किया जाता है) की दिन में दो टेबलेट तीन बार देनी चाहिए यदि बकरी को मूत्र पथरी की शिकायत है तो यह दवा छह महीने तक दी जा सकती है।

मादा बकरी को उत्तेजित करने वाली दवा

यदि बकरी की ओवरी ठीक ढंग से कार्य नहीं करे तो मादा बकरी समय होने पर भी गर्भ घारण के लिए उत्तेजित नहीं होती है तो Projana HS (जो की एक इंडियन हर्ब है ) Janova (जो की डाबर आयुर्वेद द्वारा निर्मित है) की दो कैप्सूल दो दिनों तक देनी होगी ये दवाइयां खिलाने के बाद भी यदि 10 दिनों के अंदर बकरी उत्तेजित नहीं होती है तो ग्यारहवें, बारहवें दिन उसी मात्रा में फिर से दवा दी जा सकती है। इसके अलावा बकरी के समय पर उत्तेजित न होने का अगला कारण बकरी के शरीर में खनिज पदार्थों की कमी भी हो सकता है ऐसी स्थिति में बकरी को Cofecu (जो एक इंडियन हर्ब है) की आधी टेबलेट बीस दिनों तक लगातार खिलाई जा सकती हैं

बकरी का दूध बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक दवा

बकरी के प्रसवोपरांत बकरी को अनेक समस्याएं जैसे दूध कम आना, चयापचयी असुविघा, थकान, थन से ठीक तरह से दूध नहीं आना. इत्यादि हो सकती हैं इन समस्याओं अर्थात इन बकरी की बीमारियों का आयुर्वेदिक ईलाज करने के लिए Galog (एक इंडियन हर्ब) प्रतिदिन 10-15 ग्राम एक बार गुड़ के साथ मिलाकर बीस दिनों तक दी जा सकती हैद्य इसके अलावा PayaproBolus (डाबर द्वारा निर्मित) एक दिन में एक बार 1-2 इवसने दस से पन्द्रह दिनों तक दी जा सकती है।

बकरी के घाव दाद चर्मरोग की आयुर्वेदिक दवा

बकरी की त्वचा पर समय समय पर घाव, दाद एवं अन्य चर्मरोग होते रहते हैं इन बकरी की बीमारियों का आयुर्वेदिक ईलाज करने के लिए Hima Ointment (एक इंडियन हर्ब है) का प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन इसे त्वचा या घाव पर लगाने से पहले नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर त्वचा या घाव को साफ करना बेहद जरुरी होता है। इसके अलावा Topicure Spray का मी उपयोग इन समस्याओं में किया जा सकता है।

 

बकरी के जूं का आयुर्वेदिक ईलाजः

बकरी एक पशु है इसलिए अक्सर इनके शरीर में जूं, कीड़े एवं अन्य कीट अपना घर कर लेते हैं इनका आयुर्वेदिक ईलाज करने के लिए Pestoban (इंडियन हर्ब) या Peste का उपयोग पानी के साथ 1: 10 के अनुपात में किया जा सकता है। अर्थात इन दोनों दवा में से किसी का भी प्रयोग करके जितनी दवाई ली जाय उसके दस गुना पानी उसमे मिलाकर बकरी के शरीर पर छिड़क दिया जाता है और ध्यान देने वाली बात यह है की बकरी के शरीर पर यह दवा छिडकने के 48 घंटे बाद तक बकरी को नहलाना नहीं है। यदि एक ही बार में जूं एवं अन्य कीट समाप्त नहीं होते हैं तो तीन चार दिन बाद यह प्रक्रिया फिर से दोहराई जा सकती है।

बकरी के आँखों का आयुर्वेदिक ईलाज

बकरी की आँखों में कंजकटीवाइटिस, आँखे सफेद हो जाने, चोट लगने पर आँखे लाल हो जाने जैसी समस्या अक्सर होती रहती हैं इन बकरी की बीमारियों का आयुर्वेदिक ईलाज करने के लिए Nanco Eye Lotion का उपयोग दिन में 2 बार दो बूंदों के रूप में किया जा सकता है अर्थात कहने का आशय यह है की बकरी की आँखों में यह दवा दिन में दो बूंद दो बार डालनी होगी।

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