Animal Husbandry (पशुपालन)

वर्षा ऋतु में पशुओं की देखभाल

Share
  • डॉ. राजेश नेहरा , डॉ. बसंत
    पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, राजुवास, बीकानेर (राज.)

25 जुलाई 2022,  वर्षा ऋतु में पशुओं की देखभाल – मनुष्यों की तरह वर्षा ऋतु में पशुओं में भी अनेक बीमारियां हो जाती हंै। इन बीमारियों से बचने के लिए पशुओं की उचित देखभाल एवं टीकाकरण आवश्यक है, ताकि बीमारियों को फैलने से पहले ही रोका जा सके। पशुपालक भाई वर्षा ऋतु में पशुओं की उचित देखभाल के लिए निम्न बातों का ध्यान रखें –

टीकाकरण

पशुओं में वर्षा ऋतु में मुख्य रूप से लंगड़ा बुखार एवं गलघोटू का टीकाकरण मई-जून माह में किया जाता है, अगर पशुपालकों ने अपने पशुओं का अभी तक भी टीकाकरण नहीं करवाया है, तो तुरंत टीकाकरण करवा लें। जिन पशुओं में इन लोगों का लक्षण दिखाई दें उनका तुरंत उपचार कराएं एवं मृत्यु होने पर उनका सही ढंग से निस्तारण करें।

परजीवियों से बचाव

इस मौसम में मक्खी मच्छर आदि बहुत अधिक हो जाते हैं, जो पशुओं को काफी परेशान करते हैं। यह परजीवी पशुओं का खून चूसने के साथ-साथ कई तरह की बीमारियां भी फैलाते हैं। जिस प्रकार मनुष्य में मच्छर के काटने से मलेरिया बुखार फैलता है, उसी प्रकार एक विशेष प्रकार की मक्खी के काटने से पशुओं में ट्रिपेनोसोमियेसिस एवं अन्य कई बीमारियां फैलती है। अन्य कई प्रकार के परजीवी जैसे चिंचड, किलनी, जूं आदि भी खून चूसने के साथ-साथ कई घातक बीमारियां फैलाते हैं। अंत: परजीवी भी इस मौसम में काफी सक्रिय होते हैं एवं पशुओं के उत्पादन को काफी प्रभावित करते हैं।

रोकथाम

मक्खी-मच्छरों से बचाव के लिए पशुपालकों को सुबह-शाम नीम की पत्तियों एवं घास-फूस से धुआं करें, साथ ही पशुओं के बगलों में, थन के आसपास पेट के नीचे राख एवं मेलाथियान पाउडर मिलाकर रगड़ें। वर्षा ऋतु शुरू होने से पूर्व एवं बाद में कृमिनाशक दवा पिलायें।

आहार

इस ऋतु में हरी घास, चारा इत्यादि काफी मात्रा में उपलब्ध होता है, अत: पशुओं को हरा चारा खिलायें। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि केवल हरा चारा ही नहीं खिलायें साथ में कुछ सूखा चारा जैसे गेहूं का भूसा/तुड़ी, मक्का/ज्वार की कुत्तर आदि भी खिलाएं क्योंकि अकेला हरा चारा या घास ज्यादा मात्रा में खिलाने पर पशुओं में दस्त हो जाते हैं एवं दलहनी हरा चारा ज्यादा खिलाने से आफरा या ब्लॉट हो जाता है, जिससे पशु की मृत्यु भी हो सकती है।

आवास

बरसात के मौसम में आवास की उचित व्यवस्था हो, पशुओं के आवास में कीचड़ गोबर इत्यादि नहीं हो एवं पानी की निकासी का उचित प्रबंध हो। गंदगी एवं गीली जगह में ज्यादा देर तक खड़े रहने पर पशुओं के खुर खराब हो जाते हैं एवं कई बार उचित देखभाल के अभाव में कीड़ों का संक्रमण भी हो जाता है। अत: आवास सूखा एवं साफ-सुथरा हो।

महत्वपूर्ण खबर: मध्यप्रदेश में वर्षा का दौर जारी, कई बांधों के गेट खोले

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *