गोल्ड फिश की देखभाल कैसे करें
गोल्ड फिश एक मीठे पानी की मछली है यह बहुत लोकप्रिय मछली है साधारणतया कठोर परिस्थिति में तथा 4 से 32 डिग्री सेंटीग्रेड तापक्रम की व्यापक सीमा में रहने में योग्य है इस मछली का जीवनकाल अपेक्षाकृत अधिक होता है और सबसे आम, मछलीघर मछलियों में से एक है। गोल्ड फिश की नस्लें आकार और रंग में भिन्न होती हैं जो कि सफेद, पीले, भूरे, नारंगी, लाल और काले रंगों के संयोजन में मौजूद हैं। गोल्ड फिश स्केल रंग और आकार में भिन्न होती हैं और इसलिए, वे अद्वितीय दिखती है। गोल्ड फिश इस ग्रह पर पाई जाने वाली मछलियों की सबसे अधिक खोजी गई प्रजाति है, अध्ययन में पाया गया है कि गोल्डफिश की कुछ विशिष्ट विशेषताएं हैं। गोल्ड फिश बहुत ही शांतप्रिय मछली है।
- गोल्डफिश अपने मालिकों की पहचान कर सकती हैं माना जाता है कि सुनहरी मछली की स्मृति अवधि 3 महीने तक रहती है।
- मछली में रंगों, आकृतियों और ध्वनियों के बीच अंतर करने की क्षमता होती है।
- सुनहरी मछली में सकारात्मक सुदृढ़ीकरण पाया जाता है।
- साधारणतया इसकी लम्बाई 3 से 5 इंच (8 से 13 से. मी.) तक होती है, परन्तु इससे अधिक भी हो सकती है।
गोल्ड फिश की देखभाल
गोल्ड फिश की देखभाल सबसे महत्वपूर्ण है, और जिस तरह से उनकी देखभाल की जानी चाहिए वह समग्र विकास के लिए एकदम सही होनी चाहिए।
- प्राकृतिक आवास गोल्ड फिश की मछली के फलने-फूलने के लिए सबसे अच्छा वातावरण प्रदान करता है।
आहार:
अपने सुनहरी मछली को सही और उचित आहार खिलाएं और यह सुनिश्चित करने के लिए कि विभिन्न मछलियों को तैरने वाले खाद्य पदार्थ और डूबते हुए खाद्य पदार्थ एक साथ खिलाने का प्रयास करें ताकि सभी मछलियों को उन्हें खाने का मौका मिल सके मछली को दिये जाने वाले भोजन में प्रोटीन की मात्रा अधिक होनी चाहिये।
सहचारी:
अन्य गोल्ड फिश के साथ रखने पर ये अधिक सहज रूप से रहती है, इनके साथ नियोन, प्लेटी, और गप्पी मछलियों को रखा जा सकता है परन्तु इनकी गतिविधियों पर सतत निगरानी की आवश्यकता है
व्यवहार: सुनहरी मछली का व्यवहार पर्यावरण की स्थिति के अनुसार बदलता रहता है और वे प्रजनन से लेकर खिलाने वाले व्यवहार तक के विभिन्न प्रकार के व्यवहार दिखाते हैं।
रोग
गोल्ड फिश में मुख्यतया जीवाणु जनित रोग होता है, इसी प्रकार ईच अथवा सफेद धब्बों अथवा कवक संबंधी समस्याएं भी देखी गई हैं।
नर और मादा गोल्ड फिश की पहचान
मादा गोल्ड फिश की पहचान उसके शरीर का मोटा (अंडे भरे होने के कारण) और गोल आकार देखकर करते हैं मादा शरीर का रंग गहरा होता है मादाएं प्रजनन के मौसम में अंडे का विकास करती हैं जिसके कारण मादा अलग दिखती है प्रजनन के मौसम में गुदा गोल दिखाई देता है, जबकि नर को उनके गलफड़ों और पंखों पर उनके ट्यूबरकल द्वारा आसानी से पहचाना जा सकता है नर के शरीर का आकार मादा की अपेक्षा छोटा होता है।
जल गुणवत्ता कारक | |
पीएच मान | 7.2-7.6 |
तापक्रम | 5 से 27 डिग्री से.ग्रे. |
जल की कठोरता | 200 से 400 पीपीएम |
अमोनिया | 0.025 पीपीएम से कम |
नाइट्रेट | 40 पीपीएम से कम |
प्रजनन
घरेलू मछलीघर में इसका प्रजनन सामान्य रूप से नहीं हो पाता है, प्रजनन को प्रेरित करने के लिए उन्हें अपने प्राकृतिक आवास की तरह गुणवत्ता देखभाल की आवश्यकता होती है, जिसमें अधिक स्थान, सही पोषण और विशिष्ट तापमान (25-27डिग्री सेंटीग्रेड) के साथ पानी की गुणवत्ता भी शामिल होती है, प्रजनन के समय नर मछली टेंक में मादा मछली का पीछा करने लगते हैं, प्रजनन शुरू करने से पहले आपको नर और मादा की संख्या को पता होना चाहिए, प्रजनन से पहले ही शिशु मीन को अलग करने की व्यवस्था कर ली जानी चाहिये जब ये मछलियां प्रजनन के लिए तैयार होती हैं, तब जलीय पौधों पर अपने अंडे छोड़ती हैं इसके बाद वयस्क मछलियों को तुरंत टेंक से बाहर निकाल दें। अंडों का विकास होने के बाद 4 से 7 दिन के अंदर इनमे से शिशु मीन निकल आते हैं, तथा उन्हें पकडऩे के बाद 48 घंटों में उन्हें खिलाना शुरू कर सकते हैं, इनके पोना को इन्फूसोरिया और ब्राइन श्रिम्प (आरटीमिया) भोज्य सामग्री के रूप में दिया जाना चाहिये। उचित देखभाल के साथ पोना लगभग दो साल की उम्र में पूर्ण परिपक्वता तक पहुंच जाएगा।
सामान्य सुझाव
इन मछलियों के पालन के लिये इन्हे पर्याप्त स्थान उपलब्ध करवाना जरुरी होता है, क्योंकि इन्हे छोटे पात्र में रखने पर ये जल्दी रोगग्रस्त हो जाती हैं, इसलिए 50 ली. के टेंक जिसमे फिल्टर लगे हों तथा वायु प्रवाह की व्यवस्था के साथ समय समय पर जल बदलने का भी प्रावधान किया जाना चाहिये। पेंदे में पडुे कंकरों के मध्य अपव्यर्थों को बाहर निकाल दें। जल की गुणवत्ता अच्छी बनाये रखें।
- नितेश कुमार यादव
मात्स्यकी महाविद्यालय, उदयपुर (राज.)