राज्य कृषि समाचार (State News)पशुपालन (Animal Husbandry)

पशु आहार यीस्ट याने खमीर को करें शामिल

लेखक: डॉ. श्रुति गर्ग, रू.ङ्क.स्ष्. स्कॉलर, पशु पोषण विभाग, पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, नवानिया, वल्लभनगर, उदयपुर, gargshruti686@gmail.com

24 जून 2025, भोपाल: पशु आहार यीस्ट याने खमीर को करें शामिल – पशुपालन में आहार का सही चयन एवं पोषणात्मक संतुलन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पारंपरिक रूप से अनाज, भूसा, चारा पत्ती और प्रोटीन स्रोतों पर निर्भर पशु आहार ने लाभ तो दिए हैं, लेकिन आज के दौर में उत्पादन लागत, गुणवत्ता एवं पशु स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए नए एवं प्रभावी आहार घटकों की आवश्यकता बढ़ गई है। ऐसे में यीस्ट (खमीर) एक प्रभावी एवं सस्ते जैवप्रयुक्त पोषण स्रोत के रूप में उभरकर आया है।

यीस्ट क्या है?

यीस्ट एक एककोशिकीय कवक है, जो शर्करा या दूसरे कार्बोहाइड्रेट स्रोतों को किण्वित करके बढ़ता है। आहार अनुपूरक के रूप में सबसे अधिक प्रयुक्त प्रकार हैं:

Saccharomyces cerevisiae (ब्रेड यीस्ट) Saccharomyces boulardii यीस्ट का उपयोग कई दशकों से मानव आहार, बेकरी उद्योग एवं अल्कोहल किण्वन में होता आया है। पशु आहार में इसके समावेश ने भी आशाजनक परिणाम दिखाए हैं।

पोषणात्मक संरचना

पौष्टिक रूप से यीस्ट निम्नलिखित तत्वों का अच्छा स्रोत है:

  • उच्च गुणवत्ता वाली प्रोटीन (40:50: तक शुष्क आधार पर)
  • विटामिन क्च समूह (क्च1, क्च2, क्च6, क्च12, निकोटिनिक अम्ल)
  • मुख्य खनिज (जस्ता, तांबा, मैग्नीशियम, सेलेनियम)
  • ग्लूकन एवं मैनन-ओलिगोसैकराइड, जो इम्यूनो-मॉड्यूलेटरी गुण रखते हैं

इन पोषक तत्वों के कारण यीस्ट पशु आहार की पोषणीय गुणवत्ता बढ़ाता है, जिससे पशु का स्वास्थ्य, प्रतिरोधक क्षमता एवं उत्पादन प्रदर्शन सुधरता है।

पशु स्वास्थ्य और उत्पादन पर प्रभाव

आवश्यक अमीनो एसिड का पूरक स्रोत: पशु, विशेषकर पुन: चबाने वाले (तनउपदंदजे) एवं पोल्ट्री के आहार में प्रोटीनीय योजक के रूप में यीस्ट अच्छी तरह कार्य करता है। इससे दूध उत्पादन, मास वृद्धि एवं मांस की गुणवत्ता में सुधार होता है।

रूमेन माइक्रोबियल सक्रियता में वृद्धि : पुन: चबाने वाले जानवरों में रूमेन (रूयूमन) में लाभकारी बैक्टीरिया का विकास होता है। यीस्ट रूयूमन का चभ् संतुलित रखकर सेल्यूलोज एवं अन्य फाइबर के पाचन को बेहतर बनाता है।

प्रतिरक्षा प्रणाली का सशक्तीकरण: ग्लूकन एवं डव्ै इम्यून को सक्रिय करते हैं, जिससे पशु रोगों के प्रति अधिक प्रतिरोधी बनते हैं। संक्रमण एवं स्ट्रेस की स्थिति में भी बेहतर रिकवरी होती है।

उचित आहार परॉक्सेसिंग एवं स्वादिष्टता: यीस्ट आहार के स्वाद को बढ़ाता है, जिससे पशु अधिक मात्रा में चारे का सेवन करते हैं। बेहतर सेवन का मतलब अधिक ऊर्जा उपलब्धता और बेहतर प्रोडक्शन।

प्रयोग विधि एवं मात्राएँ

पोल्ट्री (मुर्गी): प्रति टन चारे में 1-2 किलो सक्रिय सूखे यीस्ट
गैर-पुनर्चर्वक पशु (सुअर, घोड़े आदि): प्रति टन चारे में 0.5-1 किलो
दुग्धीय पशु (गाय, भैंस): रूयूमन डायट में प्रति पशु दिन में 5-10 ग्राम सूखे यीस्ट या 10-20 ग्राम तरल फॉर्म।
प्रयोग से पूर्व आहार विशेषज्ञ या पशु पोषण विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें। मात्रा अत्यधिक होने पर पाचन गड़बड़ी की संभावना हो सकती है।

आर्थिक व पर्यावरणीय लाभ

सस्ते में अधिक उत्पादन: कम मात्रा में उच्च पोषण देने वाले यीस्ट की कीमत तुलना में उचित होती है, जिससे पशु उत्पादनों की लागत कम होती है।

चारा अपव्यय में कमी: बेहतर पाचन से चारे का अपव्यय घटता है, जिससे चारा लागत में बचत होती है।

पर्यावरणीय प्रभाव: रूमेन फर्मेन्टेशन में सुधार से मीथेन उत्सर्जन कम होता है, जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने में सहायक है।

संभावित चुनौतियाँ एवं सावधानियाँ

भंडारण एवं स्थिरता: सूखे यीस्ट को सूखा और ठंडा स्थान चाहिएय आद्र्रता से सक्रियता घट सकती है।

डोज का अनुचित प्रयोग: अत्यधिक मात्रा से पाचन विकार हो सकते हैं।

गुणवत्ता मानक: प्रमाणित एवं विश्वसनीय ब्रांड का ही प्रयोग करें।

पशुपालन में पशुआहार में यीस्ट का समावेश एक वरदान सिद्ध हो सकता है। यह न केवल पशु के स्वास्थ्य, उत्पादन क्षमता एवं प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी लाभदायक है। उचित मात्रा एवं गुणवत्तापूर्ण उत्पाद का चयन कर आहार में शामिल करने पर पशुपालकों को दीर्घकालिक लाभ मिलेगा, जिससे पशुपालन व्यवसाय और अधिक सतत एवं लाभप्रद बन सकेगा।

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