कॉमन कार्प मछली के लिए नर्सरी तालाब प्रबंधन
- विकास कुमार उज्जैनियां, साईप्रसाद भुसारे
भौतिक डी. सावलीया, माईबम मालेमंङम्बा मैतै
भा.कृ. अनु.प.-केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान, मुंबई
7 सितम्बर 2022, कॉमन कार्प मछली के लिए नर्सरी तालाब प्रबंधन –
कॉमन कार्प नदियों के मध्य और निचली धाराओं, जलमग्न क्षेत्र और उथले सीमित जल स्त्रोत जैसे झीलों, ऑक्सबो झीलों और जलाशयों में रहते हैं। कार्प मुख्य रूप से जल स्त्रोत के निचले हिस्से में निवास करते हैं लेकिन जल निकाय के मध्य और ऊपरी परतों में भोजन की तलाश करते हैं। विशिष्ट ‘कार्प तालाब‘ उथले, यूट्रोफिक (सुपोषी) तालाब होते हैं जिनमें उथला जल निकाय तल और बांध पर घने जलीय वनस्पति होते हैं। जब जल तापमान 23 डिग्री सेल्सियस और 30 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है तब कॉमन कार्प मछली की अच्छी वृद्धि होती है।
नर्सरी तालाब छोटे आयताकार होते है जिनमें हैचलिंग या जीरे को फ्राई तक बड़ा किया जाता है। इसका क्षेत्रफल लगभग 0.01 से 0.1 हेक्टर तथा गहराई 1 से 1.5 मीटर होती है। इन तालाबों का धरातल समतल होता है एवं निकासी द्वार की ओर हल्की ढलान होती है। मत्स्य बीज उत्पादन में नर्सरी तालाब के प्रबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, क्योंकि कार्प की जीरा (बीज) अवस्था काफी नाजुक एवं संवेदनशील होती है। यदि नर्सरी तालाब सही प्रकार से तैयार ना किया गया हो तो मत्स्य बीज की मृत्यु भी हो सकती है। नर्सरी में जीरा मरने के मुख्य कारण निम्न हैं:
- मत्स्य हैचरी एवं नर्सरी तालाब में जल गुणवत्ता में भिन्नता।
- प्राकृतिक भोजन (प्लवक) एवं परिपूरक आहार का अभाव।
- नर्सरी तालाब में जलीय कीड़ों/जीव-जन्तुओं की उपस्थिति।
- जलीय तापमान में अचानक बदलाव/ऑक्सीजन की कमी।
- बैक्टीरिया, शैवाल व परजीवियों से भिन्न भिन्न बीमारियां।
नर्सरी तालाब में मत्स्य बीज संचय करने से पूर्व तालाबों को तैयार करना अति आवश्यक है। इसके लिए निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान दें।
अवांछित जीव-जंतुओं को अलग करें
गर्मी के मौसम में नर्सरी तालाब को सुखा लें, जिससे अवांछनीय एवं परभक्षी मछलियां नष्ट हो सकंे और अन्य जलीय जीव जंतुओं को तालाब के बाहर निकाला जा सके। यदि यह संम्भव न हो तो तालाब में विष का प्रयोग करना पड़ता है। विष के प्रयोग से मछलियों पर असर नहीं होता है। यह विष निम्नलिखित मात्रा में दिया जाता है:
जलीय पौधों की रोकथाम
नर्सरी तालाबों में विभिन्न प्रकार के जलीय पौधे पाये जाते हैं जो जीरे के पालन-पोषण में अवरोध उत्पन्न करते हैं। ज्यादातर जलीय पौधों को हाथ द्वारा निकाला जा सकता है। सतह पर तैरने वाले पौधों को छानकर निकाल दिया जाता है। नर्सरी तालाब छोटा होने के कारण अन्य उन्मूलन विधि की जरूरत नहीं होती है।
चूने का प्रयोग
मत्स्य पालन में चूने का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है। चूना जल को साफ करता है और मत्स्य बीजों को विभिन्न रोगों से दूर रखता है। यदि जलीय समुअंक (पीएच) कम होता है तो चूने के प्रयोग से उसे बढ़ाया जा सकता है एवं स्थिर भी किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त चूना जल की अम्लीय स्थिति को उदासीन बनाता है। यदि चूना डालने से पूर्व मिट्टी का पीएच ज्ञात कर लिया जाये तो नीचे दी गई तालिका के हिसाब से चूने की मात्रा प्रयोग करें।
जल भरना
नर्सरी तालाब में जल लगभग 1 मीटर भरें। किसान इस बात का ध्यान रखें कि तालाब में जल भरते समय कोई भी अवांछनीय मछली व जीव जन्तु या उसके अंडे या लार्वा तालाब में ना आ पाये। अत: इनलेट पाइप पर बारीक छननी बांध कर पानी को छान कर भरें।
खाद डालना
मत्स्य पालन प्रक्रिया में अनेक प्रकार के उर्वरकों का उपयोग किया जाता है। कुछ महत्वपूर्ण उवर्रकों एवं प्रयोग विधियों की चर्चा नीचे की गयी है।
- लगभग 10,000 कि.ग्रा. गोबर प्रति हे. की दर से उपयोग करने पर 10 से 15 दिन में उपयुक्त मात्रा में जन्तु प्लवक पैदा हो जाते हैं।
- नर्सरी तालाब में निम्नलिखित उर्वरकों के घोल के इस्तेमाल से 3 दिन में आवश्यक सभी प्लवक जैसे डायटम, रोटीफर्स, क्लैडोसिरा व कोपिपोड आदि प्रचुर मात्रा में पैदा हो जाते हैं।
गोबर 5000 कि.ग्रा./हे.
सिंगल सुपरफॉस्फेट-250 कि.ग्रा./ हे.
मूँगफली की खली-250 कि.ग्रा./ हे.
जलीय कीट-पतंगों का विनाश
नर्सरी तालाबों में जीरा डालने से 12-24 घंटे पूर्व, हानिकारक जलीय कीटों के विनाश के लिए ‘ऑयल-इमल्शन’ का उपयोग किया जाता है। 56 कि.ग्रा. सस्ता तेल या डीजल तथा 18 कि.ग्रा. साबुन का मिश्रण एक हेक्टर के तालाब के लिए पर्याप्त होता है। इमल्शन बनाने के लिए सर्वप्रथम साबुन को पानी में घोलते हैं। जब तक कि कत्थई भूरा रंग न आ जाये तब तक उसे तेल में मिलाते हैं। इसका जल की सतह पर एक पतली फिल्म के रूप में छिडक़ाव करते हैं। इसके छिडक़ाव से शीघ्र ही सारे कीट सांस घुटने से मर जाते हैं क्योंकि तेल की यह परत कीटों की सांस नली को बंद कर देती है।
जीरा संचयन
प्रात:काल या शाम के समय नर्सरी तालाब में जीरा संचयन किया जाता है। जीरा संग्रहण 30-50 लाख प्रति हेक्टर की दर से किया जा सकता है। संचयन के पूर्व मत्स्य जीरा को अनुकूलन के लिए पैकेट/कंटेनर सहित तालाब में दस से पंद्रह मिनट स्थिर रहने दें। इसके बाद पैकेट का मुंह खोलकर धीरे से जीरा को पानी में छोड़ दें। ताकि पैकेट/कंटेनर का पानी और तालाब का जल तापमान के अंतर के कारण होने वाली मृत्यु दर को कम कर सकते हंै।
आहार
मत्स्य जीरा का विकास एवं उत्तरजीविता तालाब में उपलब्ध भोज्य पदार्थों पर निर्भर है। उपलब्ध प्लवकों के अलावा बाहर से भी परिपूरक आहार दिया जाता है। इसके लिए बारीक की हुई मूंगफली/सरसों/तिल की खली को चावल/गेहंू की भूसी के साथ बराबर मात्रा में मिलाकर आहार के रूप में मछली को खिलाया जाता है।
नोट: उपरोक्त विधि से 60-70 प्रतिशत तक उत्तरजीविता आसानी से प्राप्त की जा सकती है।
महत्वपूर्ण खबर:15 सितंबर तक पशुओं के आवागमन एवं हाट बाजार पर प्रतिबंध