Animal Husbandry (पशुपालन)

दूध उत्पादों में मिलावट और जाँच के सामान्य तरीके

Share
  • अक्षय रामानी , डॉ. रमन सेठ
    डेयरी रसायन विभाग, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान,
    करनाल, हरियाणा

 

24 जनवरी 2023,  भोपाल । दूध उत्पादों में मिलावट और जाँच के सामान्य तरीके – दूध के सभी पोषक तत्व मिलकर दूध को एक महत्वपूर्ण और संपूर्ण भोजन बनाते हैं। यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है कि दूध उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन से युक्त एक सुपरफूड है जो मांसपेशियों, पोषक तत्वों से भरपूर वसा, लैक्टोज जो मस्तिष्क के विकास में सहायता करता है, हड्डियों के निर्माण और ताकत के लिए कैल्शियम, और पाचन प्रोटीन का एक अनूठा मिश्रण है। बढ़ते बच्चे, किशोर, वयस्क और रोगियों के लिए दूध पोषक तत्वों का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

दूध की वसा में मौजूद विटामिन A, D, E, B  कॉम्प्लैक्स तत्व, हमारी आंखों, त्वचा, हड्डियों, रक्त निर्माण व संचालन के लिए अति आवश्यक हैं। दूध की वसा मस्तिष्क की क्रिया, हारमोन्स व एन्जाइम के निर्माण व संचालन के लिए आवश्यक है। मधुमेह तथा उच्च रक्तचाप नियंत्रण तथा कैंसर प्रतिरोध में भी दूध की वसा सहायक है। इसमें मौजूद ओमेगा-3 रक्त वाहिनियों की जकडऩ को कम करता है। दूध की प्रोटीन से प्राप्त आवश्यक अमीनो एसिड की पाचनशीलता 96 प्रतिशत है, यह यकृत, गॉल-ब्लैडर व गुर्दों पर बोझिल नहीं है। दूध की प्रोटीन ना केवल मांसपेशियों के निर्माण में योगदान देती है, बल्कि इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता, रक्तचाप नियंत्रण, कीटाणुनाशक, गैस एसिडिटी नाशक, अतिसार रोधक गुण भी पाये गये हैं। दूध में पाया जाने वाला कैल्शियम और आयोडीन अस्थि रोगों के उपचार में सहायक है।

भारत दुनिया भर में दूध उत्पादन और खपत के मामले में पहले स्थान पर है। इसके बावजूद बड़ी मात्रा में आपूर्ति मिलावटी दूध से होता है। विभिन्न मानकों पर आधारित रिपोर्ट में यह आंकड़ा 65 से 89 फीसदी तक दर्ज किया गया है। यह दूध यूरिया, डिटर्जेंट, अमोनियम सल्फेट, कास्टिक सोडा, फार्मलीन जैसे खतरनाक रसायनों के मिश्रण से बनाया जाता है। आर्थिक लाभ के लिए कुछ निर्माताओं द्वारा दूध और अन्य डेरी उत्पादों में मिलावट पुराने समय से की जा रही है। यही कारण है कि खाद्य पदार्थों में नियामक मानकों को निर्धारित करना तथा भोजन में मिलावट के खिलाफ पता लगाने के लिए तरीके या परीक्षण विकसित करना आवश्यक है। दूध में मिलावट जानबूझकर उत्पादन और प्रसंस्करण के दौरान की जाती है। कभी-कभार अनजाने में या गलती से भी हो जाती है। दूध के उत्पादों में भी मिलावट का प्रकोप बहुत हो रहा है जिससे स्वास्थ्य संबंधी खतरे भी पैदा हो रहे हैं।

दूध में मिलावट क्यों?

दूध और डेरी उत्पादों में अधिकांश मिलावट अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए जानबूझकर की जा रही है। इसके पीछे संभावित कारणों में सबसे प्रमुख मांग और आपूर्ति का असंतुलन है। आम मिलावट चीनी, पानी, स्टार्च, क्लोरीन, हाइड्रेटेड चूना, सोडियम कार्बोनेट, फॉर्मेलिन, अमोनियम सल्फेट और गैर-दूध प्रोटीन (मेलामाइन) आदि की है। दूध की कमी के कारण कुछ लोग यूरिया, सोडियम कार्बोनेट मिलाकर सिंथेटिक दूध तैयार कर रहे हैं, इसलिए दूध में मिलावट, उनकी पहचान और उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्प्रभाव की समीक्षा करना आवश्यक है।

दूध में मिलाये जाने वाले विविध पदार्थ:

 
पानी एवं खाद्य रंग

दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए सामान्यता पानी मिलाया जाता है जो दूध के पोषक मूल्य को कम करता है। दूषित पानी को दूध में मिलाने से दूध लेने वाले समुदाय के लिए स्वास्थ्य संबंधी गंभीर चिंता बनी रहती है। कई खाद्य प्रतिबंधित रंग भी दूध के रंग में सुधार करने के लिए मिलाये जा रहे हैं, जो स्वास्थ्य पर खतरनाक प्रभाव डालते हैं।

चीनी

आमतौर पर दूध में चीनी को मिलाया जाता है ताकि दूध में वसा की मात्रा ना बढ़े, यानी दूध की लैक्टोमीटर रीडिंग को बढ़ाया जा सके, जो पहले से पानी से पतला था।

स्टार्च

स्टार्च का उपयोग एसएनएफ (स्हृस्न) को बढ़ाने के लिए किया जाता है। यदि स्टार्च की मात्रा अधिक हो तो बड़ी आंत में अनिष्ट स्टार्च के प्रभाव के कारण दस्त हो सकते हैं। स्टार्च का शरीर में संचय मधुमेह रोगियों के लिए बहुत घातक साबित हो सकता है। खोआ, छेना या पनीर में भी इसका वजन बनाने के लिए स्टार्च मिलाया जाता है।

यूरिया

एफएसएसएआई (स्नस्स््रढ्ढ) अधिनियम, 2006 और पीएफए (क्कस्न्र) अधिनियम, 1955 के अनुसार दूध में यूरिया की अधिकतम स्वीकार्य सीमा 70 नैनोग्राम प्रति 100 मिलीग्राम है। दूध में यूरिया सफेदी प्रदान करने के लिए मिलाया जाता है, जो दूध की स्थिरता तथा नॉनप्रोटीन नाइट्रोजन सामग्री को बढ़ाता है। यूरिया का उपयोग सिंथेटिक दूध तैयार करने के लिए भी किया जाता है। यह अम्लता, अपच, अल्सर और कैंसर, जैसे स्वास्थ्य संबंधी खतरों को जन्म देता है। 

डिटर्जेंट

पानी में तेल को घुलने और भंग करने के लिए डिटर्जेंट मिलाया जाता है जो एक झागदार घोल बना कर दूध को सफ़ेद रंग प्रदान करता है। डिटर्जेंट दूध की कॉस्मेटिक प्रकृति को बढ़ाकर आंतों की जटिल बीमारियों का कारण बनता है।

मेलामाइन

मेलामाइन को दूध और दूध पाउडर में मिलाया जाता है ताकि प्रोटीन की मात्रा को गलत तरीके से बढ़ाया जा सके। चूंकि मेलामाइन ना तो अनुमत एडिटिव है और ना ही खाद्य संघटक, इसकी सीमा तब तक खाद्य नियमों में निर्धारित नहीं की गई थी, जब तक कि सन् 2008 में चीन में मेलामाइन संदूषण की सूचना नहीं थी। मेलामाइन के लिए यूरोपीय आयोग और संयुक्त राज्य खाद्य और औषधि ने 2.5/किग्रा की अधिकतम स्वीकार्य सीमा आयातित खाद्य दूध पदार्थों में और शिशु आहार में 1 मिलीग्राम/किग्रा निर्धारित की है। मेलामाइन गुर्दे की विफलता का कारण बनता है और चरम मामले में मौत भी हो सकती है।

हाइड्रोजन परऑक्साइड

दूध की ताजगी बढ़ाने के लिए हाइड्रोजन परऑक्साइड मिलाया जाता है, लेकिन यह जठर आंत्र कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। हाइड्रोजन परऑक्साइड शरीर में एंटीऑक्सिडेंट की प्राकृतिक प्रतिरक्षा को कमजोर करता है, जिससे कम उम्र में बुढ़ापे के लक्षण पनप सकते हैं।

एंटीबायोटिक्स एवं कीटनाशक

एंटीबायोटिक्स का उपयोग मुख्य रूप से विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है और 80 प्रतिशत पशु चिकित्सक थनैला रोग के उपचार के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करते हैं और अंतत: ये एंटीबायोटिक दूध में अवशेष के रूप में पाए जाते हैं। ऐसे दूध के सेवन से ऊतकों की क्षति भी हो जाती है। एंटीबायोटिक्स, बैक्टीरिया किण्वन प्रक्रिया में हस्तक्षेप करता है। फसलों पर लगे सूक्ष्मजीवों को मारने तथा दूध को संरक्षित करने के लिए के लिए कीटनाशकों का भी उपयोग किया जाता है। दूध में कीटनाशक की उपस्थिति से विषाक्तता या कार्सिनोजेनेसिस।

दूध संरक्षक

सूक्ष्म जीव का विकास दूध को खराब करता है और खराब हुआ दूध स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। बोरिक एसिड, फॉर्मेलिन, सोडियम कार्बोनेट, सोडियम बाइकार्बोनेट, सैलिसिलिक एसिड, बेंजोइक एसिड, सोडियम एजाइड्स दूध को लंबे समय तक संरक्षित कर सकते हैं। परंतु इनमें जहरीला पदार्थ होता है, जिससे स्वास्थ्य प्रभावित होता है। इससे पेट दर्द, दस्त, उल्टी और अन्य जहर से संबंधित लक्षण विकसित होते है।

सिंथेटिक दूध

भारत में सिंथेटिक दूध एक आम समस्या है। जो यूरिया, कास्टिक सोडा, रिफाइंड तेल और डिटर्जेंट मिलाकर बनाया जाता है। कास्टिक सोडा में सोडियम होता है जो उच्च रक्तचाप और दिल से पीडि़त लोगों के लिए धीमा जहर का कार्य करता है।

 कास्टिक सोडा, लाइसिन (दूध में एक आवश्यक अमीनो एसिड जो बच्चों की बढ़बार के लिए आवश्यक है) के उपयोग से शरीर को वंचित करता है। ऐसा कृत्रिम दूध सभी के लिए खतरा है, लेकिन गर्भावस्था के दौरान अधिक हानिकारक है।

महत्वपूर्ण खबर: खेतों में चूहों के नियंत्रण के लिये भोजन का प्रपंच कैसे तैयार किया जाता है बतायें

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *