विश्व प्रसिध्द पुंगनूर गाय की विशेषता, उपयोग व पहचान
13 मई 2023, नई दिल्ली: विश्व प्रसिध्द पुंगनूर गाय की विशेषता, उपयोग व पहचान – भारत में गाय का पालन कई वर्षों से चलता आ रहा हैं। किसान कई सदियों से खेती के साथ गावों में गायो को भी पालते आ रहे हैं। भारत में गाय की बहुत सारी देसी नस्लें हैं, जिनकी सबकी अपनी-अपनी खासियत होती हैं। इनमें से आपने विभिन्न प्रजातियों की गायो को देखा होगा और कुछ के बारें सुना भी होगा, इन्हीं में शामिल हैं एक पुंगनूर गाय, जो अपने कद-काठी के लिए पूरी दुनियाभर में मशहूर है। पुंगनूर गाय दुनिया की सबसे छोटे गाय हैं, जो अब विलुप्ती की कगार पर हैं।
पुंगनूर गाय की विशेषताएँ
1. शरीर : पुंगनूर गाय दुनिया में बहुत कम पाई जाने वाली मवेशियों की नस्लों में से एक है। इसका शरीर पीछे की ओर से झुका हुआ और आगे से पीछे की ओर पूंछ जमीन को छूती हुई होती हैं।
2. शरीर का रंगः पुंगनूर मवेशी अलग-अलग रंगों में होंते हैं। इनके शरीर में सफेद रंग के साथ लाल, भूरे या काले रंग के धब्बे भी देखे जाते हैं।
3. सींग: पुंगनूर नस्ल का माथा चौड़ा और सींग छोटे होते हैं। सींग वर्धमान के आकार के होते हैं और अक्सर पुरुषों में आगे और पीछे की ओर और मादाओं में पार्श्व और आगे की ओर झुके हुए होते हैं।
पुंगनूर गाय की मुख्य पहचान
1. पुंगनूर गाय का पीछे का हिस्सा नीचे की और झुका हुआ होता हैं।
2. पुंगनूर मवेशी की पूंछ लंबी जमीन को छूती हुई होती हैं।
3. पुंगनूर गाय के सींग टेड़े-मेड़े होते हैं और पीठ सपाट होती हैं।
पुंगनूर गाय के उपयोग
1. पुंगनूर मवेशी मुख्य रूप से दूध उत्पादन के लिए उपयोग किए जाते हैं। इनके दूध में वसा की मात्रा अधिक होती है और ये औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं।
2. पुंगनूर मवेशी बहुत कठोर जानवर हैं। वे अपने गुणवत्तापूर्ण दूध उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं। अन्य मवेशियों की नस्लों के दूध की तुलना में उनके दूध में वसा की मात्रा अधिक होती है। आमतौर पर गाय के दूध में 3 से 5 प्रतिशत वसा की मात्रा होती है जबकि पुंगनूर गाय के दूध में लगभग 8 प्रतिशत वसा की मात्रा होती है।
3. पुंगनूर गाय की नस्ल अत्यधिक सूखा प्रतिरोधी है और सूखे चारे पर जीवित रह सकती है। गाय औसतन प्रतिदिन लगभग 3-5 किलोग्राम दूध का उत्पादन कर सकती हैं।
4. यह नस्ल प्रति दिन औसतन 3-5 लीटर दूध देती है और इसके लिए प्रतिदिन 5 किग्रा आहार की आवश्यकता होती है।
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