पशुपालन (Animal Husbandry)

गर्म मौसम ने बिगाड़ी डेयरी उद्योग की हालत, 30% तक घटी दूध की पैदावार

16 जनवरी 2025, नई दिल्ली: गर्म मौसम ने बिगाड़ी डेयरी उद्योग की हालत, 30% तक घटी दूध की पैदावार – बढ़ते तापमान के कारण दूध उत्पादन और डेयरी उद्योग की उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि उत्पादन में यह भारी गिरावट उस क्षेत्र की स्थिरता के लिए खतरा बन रही है, जिसमें 70% से अधिक महिलाएँ जुड़ी हुई हैं।

केरल वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी के पूर्व निदेशक डॉ. टी.पी. सेतुमाधवन ने इस समस्या पर प्रकाश डालते हुए कहा, “प्रत्येक 1 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि से दूध उत्पादन 5–10% तक कम हो जाता है। फिलहाल, केरल राज्य में दूध उत्पादन पूर्व-गर्मी स्तर की तुलना में 30% तक घट गया है।”

तेज धूप, जलवायु परिवर्तन, चरागाह की कमी, पानी की कमी और बढ़ती उत्पादन लागत ने स्थिति को और खराब कर दिया है। हरे चारे की कमी और केंद्रित चारे की बढ़ती कीमतों से यह समस्या और गहराती जा रही है। व्यावसायिक डेयरी फार्म और कृषि उद्यम भी इस संकट का सामना कर रहे हैं।

डॉ. सेतुमाधवन ने बताया कि दूध उत्पादन में 30% की गिरावट से राज्य के डेयरी उद्योग को हर महीने ₹250 करोड़ का नुकसान हो सकता है। सहकारी समितियों को सीधे दूध बेचने वाले किसानों को केवल 10% से कम लाभ मिलता है। हालांकि, सीधे विपणन करने वाले किसानों को 20% तक लाभ हो सकता है, लेकिन उत्पादन में भारी कमी से डेयरी फार्मिंग के लिए कठिनाई बढ़ रही है।

इस संकट से निपटने के लिए डॉ. सेतुमाधवन ने वैज्ञानिक ग्रीष्मकालीन प्रबंधन तकनीकों को अपनाने की सलाह दी। इसमें पर्याप्त पानी की आपूर्ति, पशु शेड में वेंटिलेशन सुधार, मिस्ट सिस्टम और पंखे लगाना, जानवरों पर दिन में 3-4 बार पानी का छिड़काव करना, हरा चारा उपलब्ध कराना या नियमित रूप से विटामिन ए का पूरक देना शामिल है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि केंद्रित चारा और पानी को अलग-अलग दिया जाए, पशुओं को पेड़ों के नीचे छाया में रखा जाए और वैज्ञानिक दुग्ध उत्पादन पद्धतियों को अपनाया जाए।

मालाबार को-ऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन (मिल्मा) जैसी एजेंसियां इन नुकसानों को कम करने के लिए किसानों को अतिरिक्त प्रोत्साहन देने का प्रयास कर रही हैं। वहीं, केरल सरकार के डेयरी विकास विभाग ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए दुग्ध उत्पादन समयांतराल बढ़ाने की योजना बनाई है।

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements