गर्मियों में करें मक्का की खेती
मक्का की खेती मुख्य रूप से 3 उद्देश्यों के लिए की जाती है-
1. दाने के लिये 2. चारे के लिये 3. भुट्टे के लिए
मक्का विशेष रूप से गरीब जनता का मुख्य भोजन है। मक्का में कार्बोहाइड्रेट 6 प्रतिशत, प्रोटीन 10 प्रतिशत तथा अन्य पौष्टिक तत्व पाये जाते हैं।
मक्का की खेती आर्थिक, शारीरिक एवं स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण एवं उपयोगी है।
जलवायु
मक्का की सभी अवस्थाओं में औसत तापमान 25 डिग्री सेन्टीग्रेट लगभग होना चाहिये। पौधे की अच्छी वृद्धि के लिए 60-70 प्रतिशत आपेक्षित आद्र्रता सबसे उत्तम है। ऊष्ण एवं आद्र्र जलवायु की फसल हैं।
भूमि
मक्का की खेती के लिये उचित जल निकास वाली बलुई तथा बलुई दोमट सबसे उपयुक्त होती है। पीएच-6-7 वाली भूमि में मक्का खेती की जा सकती है।
उन्नत किस्में – | |||||
संकर प्रजातियाँ अवधि उपज | संकुल प्रजातियाँ अवधि उपज | ||||
गंगा – 11 | 100-105 | 70-80 | तरूण | – | – |
गंगा-7 | – | – | नवीन | 85-90 | 35-40 |
गंगा-5 | 100-110- | 50-55 | श्वेता | 90-95 | 40-45 |
गंगा सफेद | 100-105 | 45-50 | बीएल-16 | – | – |
प्रज्ञा संकर | 85-90 | 35-40 | प्रोटीना | 105-110 | 40-45 |
डेक्कन 101 | 90-95 | 40-45 | शक्ति | 85-90 | 35-40 |
भूमि की तैयारी
खेत की तैयारी के लिये पहला पानी गिरने के बाद मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करनी चाहिए। हैरो से पाटा चला देना चाहिए। गोबर की खाद जमीन में मिला दें तत्पश्चात हैरो करना चाहिए।
बुवाई समय
मक्का की बुवाई जून के मध्य या तीसरे सप्ताह बुवाई करनी चाहिए। बुवाई पलेवा करके करनी चाहिए।
फसल चक्र
एक वर्षीय-
- मक्का – आलू
- मक्का – मटर
- मक्का – आलू – तम्बाकू
- मक्का – गेहूं
दो वर्षीय
- मक्का – गेहूं -गन्ना
- मक्का-आलू-गन्ना
- मक्का -जई-नेपियर घास
बीज की मात्रा
बीज प्रमाणित एवं शुद्ध बोना ही लाभदायक होता है।
संकर प्रजातियों 20-25 कि./हे.
संकुल प्रजातियों 15-20 कि./हे.
चारे वाली प्रजातियों 40-45 कि./हे.
बीजोपचार
बीज बोने से पूर्व थायरम अथवा एग्रोसेन (फफूंदीनाशक) 2.5-3 ग्राम/किग्रा से बीज उपचारित कर बोना चाहिए।
पौध अन्तरण | |
संकर प्रजातियां | संकुल प्रजातियां |
कतार से कतार 60 सेमी. | संकुल 75 सेमी. |
पौध से पौध 20 सेमी. | संकुल 25 सेमी. |
उपज – | ||
संकर प्रजातियाँ | संकुल प्रजातियाँ | चारे के लिए बोई गई प्रजातियाँ |
30-40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर | 35-45 क्विं. प्रति हेक्टेयर | 200-250 क्विंटल तक हरा चारा / 30-35 हजार भुट्टे प्रति हेक्टेयर |
खाद एवं उर्वरक | |||
किग्रा./हे. | एन. | पी. | के. |
संकर | 120 | 50 | 40 |
संकुल | 100 | 40 | 30 |
चारे के लिए | 40 | 30 | 20 |
बीज बुवाई विधि/तरीका
बीज की बुवाई 3.5 सेमी. की गहराई पर करनी चाहिए।
- हल के पीछे कूंड में बुवाई
- सीडड्रिल से बुवाई
- छिटकवां विधि
सिंचाई
खरीफ में बोई गई फसल में सदैव जब मृदा में 50 प्रतिशत नमी उपलब्ध हो सिंचाई करनी चाहिए।
- सामान्यत: मक्का में 8-10 सिंचाई की आवश्यकता होती है।
- खरीफ की फसल सामान्य तौर पर सिंचाई पर निर्भर होती है।
- मक्का की सिंचाई की महत्वपूर्ण अवस्था पुष्पन और दाने भरते समय का है।
खरपतवार नियंत्रण, निराई-गुड़ाई
एट्राजीन (50 प्रतिशत सिमेजिन) नामक रसायन की 1.5-2 कि.ग्रा. मात्रा 800-1000 ली. में घोलकर छिड़काव बुवाई के तुरन्त बाद लाभदायक है। खरपतवार नियंत्रण के लिये 2-3 निराई गुड़ाई करनी चाहिए। गुड़ाई 4-5 सेमी. से अधिक नहीं होनी चाहिए।
कटाई
दानों में 25 प्रतिशत नमी रह जाये तब कटाई करनी चाहिए चारे के लिये कोई फसल 60-65 दिन, संकर एवं संकुल जातियाँ 90-115 दिन बाद काट लेनी चाहिए।
- अभिनव दीक्षित
- डॉ. विनीता देवी