धारवाड़ पद्धति से बोई गई अरहर को कीट-रोग से बचायें : श्री बिलैया
होशंगाबाद। बीएल बिलैया संयुक्त संचालक, किसान कल्याण तथा कृषि विकास नर्मदापुरम् संभाग होशंगाबाद ने बताया गया है कि वर्तमान में विशेषकर दलहन फसल के रकबे में बढ़ोतरी हुई है। संभाग में धारवाड़ पद्धति से अरहर फसल की बोनी की गई है।
धारवाड़ पद्धति अरहर फसल हेतु स्थानीय (धारवाड़ क्षेत्र में) कृषकों द्वारा अपनाई जाने वाली फसल पद्धति है। इस पद्धति द्वारा बोई गई फसल का 30 से 35 प्रतिशत उत्पादन अधिक प्राप्त होता है। इस पद्धति से बोई गई अरहर फसल में संयुक्त संचालक कृषि ने सलाह दी है कि -जैविक नियंत्रण नीम करनाल तेल (एजेरेक्टीन) 0.03 प्रतिशत या 0.15 प्रतिशत 70 से 80 एम.एल. प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। एनपीव्ही 250 एल.ई. 100 एम.एल. प्रति एकड़ घोल बनाकर छिड़काव करें। यांत्रिक नियंत्रण चने की इल्ली तृतीय एवं चतुर्थ स्टार को हाथ से चुनकर नष्ट करें या 25 से 30 फीट लम्बी रस्सी लेकर दो व्यक्तियों द्वारा दोनों सिरे पकड़कर पौधों को झंझोड़े एवं गिरी हुई इल्लियों को एकत्रित कर कीटनाशक घोल में डुबोकर नष्ट करें। प्रकाश प्रपंच अवश्य लगाना चाहिए।
रसायनिक नियंत्रण फल मक्खी इस कीट का प्रकोप होने पर इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत 400 एमएल प्रति एकड या प्रोफेनोफॉस 50 ईसी 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। फलीछेदक इल्लियों हेतु 14.5 ईसी इण्डोक्साकार्ब 500 एमएल या क्विनालफॉस 25 ईसी 1.5 लीटर 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। दोनो कीटों के नियंत्रण हेतु तीन छिड़काव आवश्यक है।
आवश्यकता अनुसार पौध संरक्षण दवा उपलब्धता के आधार पर छिड़काव पद्धति अपनावे। तीन छिड़काव में प्रथम फूल बनना प्रारंभ होने पर दूसरा 50 प्रतिशत फूल बनने पर एवं तीसरा छिड़काव 75 प्रतिशत फली बनने की अवस्था पर करने से सफल कीट नियंत्रण होता है।