गेहूं आयात पर 10 फीसदी शुल्क
नईदिल्ली। सरकार ने गेहूं पर 10 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने की घोषणा की जो मार्च 2016 तक लागू रहेगी। इससे इस जिंस के आयात पर अंकुश लगने और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों में पड़े हल्की गुणवत्ता वाले गेहूं की निकासी तेज होने की उम्मीद है। वित्त मंत्री ने इस संबंध में जारी अधिसूचना की एक प्रति लोकसभा के पटल पर प्रस्तुत की। इसके तहत सीमाशुल्क अधिनियम 1962 की धारा 159 के तहत 31 मार्च 2016 तक गेहूं पर 10 प्रतिशत की मूल दर से सीमा शुल्क लगाया गया है। फिलहाल गेहूं पर कोई आयात शुल्क नहीं था। निजी कारोबारी इस समय वैश्विक बाजार में कम कीमत का फायदा उठाने के लिए गेहूं का आयात कर रहे हैं। देसी बाजार में इस साल उच्च गुणवत्ता वाले गेहूं की कमी है।
फसल वर्ष 2014.15 में गेहूं की जोरदार फसल और एफसीआई के पास इफरात भंडार के बावजूद गेहूं का आयात हो रहा है। बेमौसम बारिश की वजह से इस साल एफसीआई ने गुणवत्ता मानकों में ढील देकर 2.80 करोड़ टन गेहूं खरीदा है। सरकार उस गेहूं को राशन की दुकानों, कल्याणकारी योजनाओं और खुले बाजार में बिक्री के जरिए प्राथमिकता के आधार पर बेचना चाहती है। उच्च गुणवत्ता वाले गेहूं की धीमी आपूर्ति के बीच निजी आटा मिल मालिकों ने इस दशक में पहली बार ऑस्ट्रेलिया से गेहूं आयात करना शुरू किया है। कारोबारियों और मिल मालिकों ने करीब 5 लाख टन ऑस्ट्रेलियाई गेहूं के लिए अनुबंध किए हैं। इसमें से करीब 3 लाख टन गेहूं भारत आ चुका है और शेष इस महीने पहुंचेगा। भारत में जून के दौरान करीब 1.38 लाख टन और जुलाई में 1.60 लाख टन आयातित गेहूं आया है।