Reliance Foundation (रिलायंस फाउंडेशन)

रिलायंस फाउंडेशन- किसानों को समसामयिक सलाह

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  • फसल कटाई के बाद किसी भी परिस्थिति में नरवाई खेत में ना जलाएं बल्कि खेत में जीवांश बढ़ाये। फसल अवशेषों में आग लगाने से भूमि में जीवांश की कमी होती हे। साथ ही खेत में उपलब्ध लाभदायक सूक्ष्म जीवाणु एवं मित्र कीट नष्ट होते है, जिससे खेत की उपजाऊ शक्ति में कमी आती हे, और प्रकृति तथा पर्यावरण में प्रदुषण भी बदता हे। 
  • फसलों की कटाई के बाद खेत की मिट्टी की जांच करवाये। जिससे खरीफ फसल लगाने के पूर्व, प्राप्त मिट्टी परीक्षण परिणामो, के आधार पर उर्वरको का सन्तुलित मात्रा में, उपयोग कर अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते है।
  • तीन साल में एक बार गहरी जुताई माह अप्रैल-मई में अवष्य करें। उसके बाद बख्खर एवं पाटा चलाकर खेत की तैयारी करें। 
  • रबी फसलों की गहाई के बाद विशेषकर चना, मसूर एवं गेंहू को, तरपोलीन या प्लास्टिक की चादरों पर फैलकर, तेज धूप मे 2 से 3 दिन तक अच्छी तरह सूखा ले, ताकि दानों मे नमी की मात्रा 12 प्रतिशत से कम हो जाए। दानों को दांत से दबाने पर कट की आवाज आवें तब भंडारण करें। अधिक नमी होने पर कीट बीमारियो का प्रकोप अधिक होता है, तथा बीज अंकुरण पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।
  • बीज भंडारण के समय बोरियों की ढेर की ऊँचाई तीन मीटर से अधिक नही होना चाहिये अन्यथा बीज की अंकुरण क्षमता कम होती हे। भंडार गृह के दो बोरो के ढेरो या दीवार से 30 सेमी का अंतर रखे। 
  • अनाज भंडारण हेतु जीआई शीट की बनी बीन्स; कोठिया या साइलो का उपयोग करना चाहिए। 
  • ग्रीष्मकालीन मूँग, उडद में सफेद मक्खी एवं रसचूसक कीटो के प्रकोप की संभावना है, इनके द्वारा पीला मोजेक वाइरस फलता है। नियंत्रण के लिए इथोफेनप्रोक्स 10 ई.सी. एक लिटर दावा 500 लिटर पानी(25 से 30 मिली प्रति पम्प) के साथ मिला के छिड़काव करें।
  • ग्रीष्मकालीन फसल जैसे मक्का, मुंग, उर्द और मूंगफली की कतार के बीच में वानस्पतिक मल्च या प्लास्टिक मल्च बिछाएं साथ ही सिंचाई पर विशेष ध्यान रखें तथा दो सिंचाईयों के अंतराल को कम करे।

पशुपालन 

  • दुधारू पशुओं को शुद्ध पानी सुबह और शाम अवष्य पिलाऐं एवं साफ दाना, हरे एवं शुष्क चारे का मिश्रण खिलायें। दुधारू पशुओं को घर पर बांधकर चारा खिलाने से दूध की उत्पादन क्षमता बढ़ती है।
  • पशुओं के लिए पानी का महत्त्व- आमतौर पर एक स्वस्थ वयस्क पशु एक दिन मे लगभग 75 से 80 लीटर तक पानी की पीता है। चूंकि दुग्ध मे 85% जल होता है अत: एक लीटर दूध देने के लिये ढाई लीटर अतिरिक्त पानी की अवश्यकता होती है।

कृषि, पशुपालन, मोसम, स्वस्थ, शिक्षा अदि की जानकरी के लिए जियो चेट डाऊनलोड करे- डाऊनलोड करने की प्रक्रिया 

  • गूगल प्ले स्टोर से जिओ चेट एप का चयन करे और इंस्टाल बटन दबाए 
  • जिओ चेत इंस्टाल करने के बाद ओपन बटन दबाए 
  • उसके बाद चेनल बटन पर क्लिक करे और चेनल Information Service MP चेनल का चयन कर सकते हे।

अधिक जानकारी के लिए सुबह 9:30 से शाम 7:30 के मध्य टोल फ्री नं 18004198800 पर संपर्क करें।  

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