रिलायंस फाउण्डेशन की किसानों को सलाह
- अरहर में फली छेदक कीटों की रोकथाम के लिए ट्राइजोफॉस 40 ईसी 800 एमएल प्रति हेक्टेयर की दर से दवा का छिड़काव करें तथा आगामी दिनों में वर्षा नहीं होने की संभावना व्यक्त की गई है। अरहर की फसल में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें।
- गेंहू की उन्नत किस्में- पूर्ण सिंचित किस्में- जे.डब्ल्यू.-1203, जे.डब्ल्यू.-1215, एच.आई.-1544 आदि, 1 से 2 सिंचाई वाली किस्में- जे. डब्ल्यू.-3288, जे.डब्ल्यू.-3211, जे.डब्ल्यू.-3020, एच.आई.-1531 आदि हैं। असिंचित किस्में- जे. डब्ल्यू.-3288, जे.डब्ल्यू.-3173 आदि हैं।
- चने की बीज दर- छोटे एवं मध्यम आकार के दाने वाली किस्मों के लिए 60-80 किलोग्राम तथा बड़े दाने वाली किस्मों के लिए 80-100 किलोग्राम प्रति हेक्टर बीज की आवश्यकता होती है। बुआई 30-35 सेमी दूर कतारों में करें।
- अलसी की फसल की बुआई असिंचित अवस्था में अच्छा विकल्प है, बाजार की मांग के अनुसार इसकी उन्नतशील किस्में जेएलएस-27, 66, 69, 23 का चुनाव करें।
उद्यानिकी
- बादलयुक्त मौसम लगातार रहने पर भिंडी एवं मिर्च फसल में सफेद मक्खी एवं रसचूसक कीटों के नियंत्रण हेतु डाइमिथिएट 30 ईसी 700 मिली अथवा इथोफेनप्रॉक्स 10 ईसी एक लीटर दवा प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लिटर पानी के साथ मिला कर छिड़काव करें।
पशुपालन
- पौल्ट्री फार्म एवं पशुशाला में किल्ली एवं चिमड़ी के नियंत्रण हेतु मैलाथियान दवा 3 मि.ली. प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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