बारिश के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा! जानिए सिंचाई के लिए सरकार की बड़ी योजना
08 फ़रवरी 2025, भोपाल: बारिश के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा! जानिए सिंचाई के लिए सरकार की बड़ी योजना – मध्यप्रदेश में जल संकट से जूझ रहे किसानों के लिए एक बड़ी पहल के तहत ताप्ती बेसिन मेगा रीचार्ज योजना पर काम तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। यह परियोजना मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के बीच एक अंतर्राज्यीय जल समझौते के रूप में प्रस्तावित है, जिसमें 31.13 टीएमसी जल का उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा। राज्य सरकार का दावा है कि यह विश्व की सबसे बड़ी भूजल पुनर्भरण योजना होगी।
महाराष्ट्र के साथ जल्द होगा समझौता
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को इस परियोजना को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक की और निर्देश दिए कि जल्द से जल्द महाराष्ट्र सरकार के साथ करार किया जाए। उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों के बीच जल बंटवारे से जुड़े मुद्दे सुलझाने के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को भोपाल बुलाकर बातचीत की जाएगी।
इस योजना के तहत ताप्ती नदी की तीन धाराएं बनाई जाएंगी, जिससे मध्यप्रदेश के 1,23,082 हेक्टेयर और महाराष्ट्र के 2,34,706 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र को स्थायी सिंचाई जल उपलब्ध होगा। इसका सीधा लाभ बुरहानपुर, खंडवा और छिंदवाड़ा जिलों के किसानों को मिलेगा।
परियोजना में पारंपरिक जल भंडारण के बजाय भूजल पुनर्भरण प्रणाली अपनाई गई है। इससे 66 टीएमसी क्षमता वाले बांध की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिससे 73 गांवों की 14 हजार की आबादी प्रभावित होने से बच जाएगी। प्रमुख जल संरचनाओं में खरिया गुटीघाट बांध, दाई तट और बाई तट नहरें शामिल हैं, जिनसे जल को सिंचाई के लिए उपयोग किया जाएगा।
मध्यप्रदेश की तीसरी महत्वपूर्ण अंतर्राज्यीय जल परियोजना
मुख्यमंत्री ने बताया कि मध्यप्रदेश में जल प्रबंधन को लेकर यह तीसरी महत्वपूर्ण परियोजना है। इससे पहले पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना (राजस्थान) और केन-बेतवा लिंक परियोजना (उत्तर प्रदेश) पर कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि हम “राज्यों के बीच जल विवादों को सुलझाकर किसानों के लिए जल उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहे हैं।”
परियोजना के तहत छिंदवाड़ा कॉम्प्लेक्स बहुउद्देशीय योजना को भी शामिल किया गया है, जिससे नागपुर समेत छिंदवाड़ा जिले में जल आपूर्ति होगी। वर्ष 2019 में 5,470.95 करोड़ रुपये की लागत से स्वीकृत इस योजना के तहत सिंचाई के लिए 1,90,500 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया जाएगा। इसके अलावा 30 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन और औद्योगिक क्षेत्रों के लिए जल आरक्षित किया जाएगा।
जल संकट से निपटने की कोशिश
राज्य सरकार का कहना है कि यह योजना नर्मदा जैसी अन्य प्रमुख नदियों पर जल दबाव कम करेगी और क्षेत्र में भूजल स्तर सुधारने में मददगार होगी। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी बड़ी जल परियोजना को लागू करने से पहले पर्यावरणीय प्रभावों का अध्ययन आवश्यक है।
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