प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: बीमा तो हुआ, पर मुआवजा नहीं? किसानों के क्लेम पर बड़ा सवाल
07 फ़रवरी 2025, नई दिल्ली: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: बीमा तो हुआ, पर मुआवजा नहीं? किसानों के क्लेम पर बड़ा सवाल – प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (RWBCIS) के तहत देशभर में बीमा लेने वाले किसानों की संख्या बढ़ी है, लेकिन राजस्थान सहित कुछ राज्यों में किसानों द्वारा किए गए बीमा दावों में गिरावट दर्ज की गई है।
यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में लिखित उत्तर में दी।
राजस्थान में बीमा दावों में गिरावट, अन्य राज्यों में क्या हाल?
2019-20 में राजस्थान में 22.97 लाख किसानों ने बीमा दावा किया था, जो 2022-23 में बढ़कर 27.28 लाख हो गया। लेकिन 2023-24 में यह संख्या 19.06 लाख पर आ गई, जो एक महत्वपूर्ण गिरावट है।
जिलों में बीमा क्लेम के आंकड़े:
जिला | किसान आवेदन जिन्हें पीएमएफबीवाई/आरडब्ल्यूबीसीआईएस के तहत दावों का भुगतान किया गया (संख्या) | ||||
2019-20 | 2020-21 | 2021-22 | 2022-23 | 2023-24 | |
अजमेर | 48,010 | 39,445 | 76,561 | 89,315 | 1,03,912 |
अलवर | 67,758 | 15,747 | 2,514 | 37,585 | 2,168 |
बांसवाड़ा | 35,285 | 4,555 | 13,139 | 12,569 | 9,356 |
बारां | 41,628 | 38,537 | 59,655 | 20,786 | 9,395 |
बाड़मेर | 1,17,845 | 1,43,193 | 5,30,202 | 1,52,481 | 3,57,456 |
भरतपुर | 43,607 | 6,761 | 15,133 | 47,278 | 4,203 |
भीलवाड़ा | 87,585 | 1,03,159 | 1,40,420 | 95,872 | 1,05,947 |
बीकानेर | 1,10,911 | 2,11,203 | 2,67,995 | 1,01,439 | 67,632 |
बूंदी | 59,231 | 72,508 | 70,729 | 44,193 | 9,587 |
चित्तौड़गढ़ | 1,22,597 | 56,774 | 1,24,936 | ||
चित्तौड़गढ़ | 1,29,059 | 1,38,887 | |||
चुरू | 2,57,302 | 2,91,895 | 2,64,576 | 3,56,924 | 38,244 |
दौसा | 15,527 | 12,532 | 90 | 7,836 | 2,955 |
धौलपुर | 3,349 | 66 | 961 | ||
धौलपुर | 1,518 | 254 | |||
डूंगरपुर | 18,978 | 14,536 | 16,862 | 25,021 | 9,715 |
हनुमानगढ़ | 1,77,117 | 2,31,777 | 2,50,335 | 2,18,984 | 94,632 |
जयपुर | 50,220 | 50,166 | 50,589 | 76,582 | 1,02,835 |
जैसलमेर | 51,375 | 65,289 | 40,355 | 31,220 | 35,188 |
जालौर | 1,08,491 | 1,27,656 | 3,37,612 | ||
जालौर | 2,09,275 | 72,150 | |||
झालावाड़ | 1,16,138 | 1,35,414 | 1,17,951 | 88,815 | 21,217 |
झुंझुनूं | 1,24,499 | 99,426 | 1,86,095 | 1,92,809 | 76,186 |
जोधपुर | 82,488 | 81,992 | 2,55,539 | 1,51,266 | 2,05,358 |
करौली | 5,830 | 3,642 | 6,652 | 2,516 | 137 |
कोटा | 54,449 | 16,234 | 59,719 | 44,217 | 5,734 |
नागौर | 91,844 | 63,827 | 1,51,289 | 1,00,352 | 1,06,183 |
पाली | 47,864 | 36,536 | 1,26,373 | 25,778 | 76,189 |
प्रतापगढ़ | 38,186 | 27,624 | 25,578 | 23,205 | 22,994 |
राजसमंद | 10,060 | 6,526 | 1,367 | 6,131 | 1,649 |
सवाई माधोपुर | 36,337 | 16,183 | 24,010 | 35,526 | 21,775 |
सीकर | 85,866 | 57,567 | 74,066 | 1,94,480 | 1,30,719 |
सिरोही | 5,133 | 3,350 | 25,001 | 2,220 | 8,082 |
श्रीगंगानगर | 86,501 | 92,744 | 1,01,704 | 53,902 | 53,188 |
टोंक | 65,336 | 57,600 | 33,272 | 1,10,177 | 6,540 |
उदयपुर | 30,276 | 29,439 | 42,055 | 38,748 | 5,785 |
कुल | 22,97,623 | 22,13,903 | 34,93,335 | 27,28,079 | 19,06,252 |
वहीं, राज्यों में बीमा लेने वाले किसानों की संख्या बढ़ी है:
राज्य | संख्या | ||||
2019-20 | 2020-21 | 2021-22 | 2022-23 | 2023-24 | |
अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह | 99 | 339 | 535 | 173 | 187 |
आंध्र प्रदेश | 27,88,373 | 1,25,63,699 | 1,29,01,749 | ||
असम | 10,06,212 | 16,60,076 | 9,96,027 | 4,89,983 | 7,95,553 |
छत्तीसगढ़ | 40,17,118 | 51,58,351 | 58,38,755 | 77,30,260 | 81,24,956 |
गोवा | 886 | 84 | 64 | 403 | 234 |
गुजरात | 24,80,726 | ||||
हरियाणा | 17,10,601 | 16,50,558 | 14,52,842 | 14,46,631 | 1,01,74,480 |
हिमाचल प्रदेश | 2,84,009 | 2,40,727 | 2,33,725 | 2,67,643 | 2,78,051 |
जम्मू एवं कश्मीर | 90,834 | 91,582 | 2,45,630 | ||
झारखंड | 10,92,116 | ||||
कर्नाटक | 19,45,207 | 15,87,801 | 19,17,808 | 26,84,781 | 30,15,023 |
केरल | 58,135 | 76,317 | 98,510 | 1,46,546 | 1,74,141 |
मध्य प्रदेश | 83,97,265 | 84,52,044 | 92,64,216 | 1,77,32,045 | 1,77,95,819 |
महाराष्ट्र | 1,45,66,294 | 1,24,06,368 | 99,02,582 | 1,07,33,909 | 2,41,85,161 |
मणिपुर | 3,256 | – | 2,807 | 4,066 | 5,073 |
मेघालय | 607 | 130 | 337 | 38,569 | |
ओडिशा | 48,79,301 | 97,52,474 | 81,73,856 | 80,20,763 | 1,40,97,157 |
पुदुचेरी | 12,014 | 10,980 | 35,818 | 38,384 | 42,224 |
राजस्थान | 86,16,616 | 1,07,59,591 | 3,44,70,735 | 3,90,96,690 | 3,89,87,544 |
सिक्किम | 21 | 85 | 2,422 | 5,025 | 3,104 |
तमिलनाडु | 38,93,787 | 58,87,474 | 59,11,015 | 61,43,139 | 54,55,753 |
तेलंगाना | 10,34,223 | ||||
त्रिपुरा | 36,382 | 2,57,236 | 3,35,514 | 3,56,201 | 3,73,362 |
उत्तर प्रदेश | 46,97,567 | 41,90,508 | 40,68,679 | 42,83,804 | 60,25,293 |
उत्तराखंड | 2,12,675 | 1,70,812 | 1,82,762 | 2,82,068 | 2,26,809 |
कुल | 6,17,33,490 | 6,22,61,955 | 8,29,79,506 | 11,21,18,132 | 14,29,45,872 |
PMFBY और RWBCIS: कैसे अलग हैं ये बीमा योजनाएं?
- PMFBY: यह योजना बीज बोने से लेकर कटाई के बाद तक की प्राकृतिक आपदाओं (सूखा, बाढ़, ओलावृष्टि, कीट रोग) को कवर करती है।
- RWBCIS: यह केवल मौसम-आधारित बीमा है, जिसमें फसल नुकसान के बजाय तापमान, वर्षा और अन्य मौसम संकेतकों पर मुआवजा दिया जाता है।
बीमा दावों में गिरावट की वजहें क्या हैं?
विशेषज्ञों का मानना है कि बीमा दावों में गिरावट की कुछ प्रमुख वजहें हो सकती हैं:
- दावों के निपटारे में देरी – किसानों को समय पर मुआवजा नहीं मिलने से उनका भरोसा कम हो सकता है।
- बीमा कंपनियों की प्रक्रियाएं जटिल होना – किसानों को क्लेम प्रक्रिया में कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
- राज्यों द्वारा प्रीमियम में कटौती – कुछ राज्यों ने किसानों की बीमा प्रीमियम राशि को कम करने के लिए कदम उठाए हैं, जिससे बीमा की कवरेज प्रभावित हो सकती है।
प्रीमियम दरों में बदलाव और इसका असर
सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (RWBCIS) के तहत प्रीमियम दरों में कई बदलाव किए हैं। खरीफ फसलों के लिए अधिकतम 2%, रबी फसलों के लिए 1.5%, और व्यावसायिक/बागवानी फसलों के लिए 5% प्रीमियम तय किया गया है। हालांकि, कुछ राज्यों में किसानों को और राहत दी गई है। महाराष्ट्र, ओडिशा, मेघालय, पुडुचेरी और झारखंड जैसे राज्यों में सरकार किसानों की पूरी प्रीमियम राशि का भुगतान कर रही है, जिससे किसानों को बीमा के लिए सिर्फ 1 रुपये देना पड़ रहा है।
इसके अलावा, केंद्र और राज्य सरकारें सामान्य राज्यों में प्रीमियम को 50:50 अनुपात में साझा करती हैं, जबकि पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए यह अनुपात 90:10 कर दिया गया है। सरकार का दावा है कि इन बदलावों से किसानों पर वित्तीय बोझ कम होगा, लेकिन यह देखना जरूरी है कि क्या वास्तव में इससे किसानों को समय पर और उचित मुआवजा मिल रहा है या नहीं।
किसानों को सही लाभ मिल रहा या सिर्फ आंकड़ों में बढ़ोतरी?
देशभर में बीमा योजनाओं से जुड़े किसानों की संख्या 2019-20 में 6.17 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में 14.29 करोड़ हो गई है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि अधिक किसान बीमा योजना का हिस्सा बन रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या उन्हें समय पर मुआवजा भी मिल रहा है?
विशेषज्ञों के मुताबिक, किसानों को क्लेम मिलने में अक्सर देरी और जटिल प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ता है। बीमा कंपनियों द्वारा सर्वेक्षण में लगने वाला समय और दस्तावेज़ीकरण की बाधाएं किसानों के लिए परेशानी का सबब बन रही हैं। राजस्थान में 2023-24 में बीमा दावों की संख्या में भारी गिरावट देखी गई, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या किसान बीमा योजना में भरोसा खो रहे हैं?
इसके अलावा, कई किसान रिपोर्ट करते हैं कि उन्हें बीमा की पूरी जानकारी नहीं मिलती और क्लेम के अस्वीकृत होने के कारण भी स्पष्ट नहीं बताए जाते। इस स्थिति में, बीमा योजनाओं का विस्तार केवल कागजी आंकड़ों में ही दिख सकता है, जबकि वास्तविकता में किसानों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है।
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