बीज-फसल की उपज बेचकर बढ़िया कमाई कर सकते हैं
02 अक्टूबर 2024, भोपाल: बीज-फसल की उपज बेचकर बढ़िया कमाई कर सकते हैं – उन्नत खेती से जुड़े प्रगतिशील किसानों से ये अपेक्षा होती है कि वो ख़ुद को बीज-फ़सल की खेती से अवश्य जोड़ें, क्योंकि ऐसा करके वो ना सिर्फ़ अपने लिए उत्तम किस्म के बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित कर सकते हैं, बल्कि अपने आसपास के किसानों और प्रमाणित बीज उत्पादक संस्थाओं को बीज-फसल की उपज बेचकर बढ़िया कमाई कर सकते हैं।
प्राणीजगत में हरेक नस्ल की अनुवांशिक क्षमता उसके बीजों या अंडाणु तथा शुक्राणु में निहित और समाहित होता है। इसे जीन्स यानी वंशानुगत जैविक गुणधर्म भी कहते हैं। वनस्पति जगत में पाये जाने हरेक बीज में एक अनाज की तरह इस्तेमाल होने का गुण तो होता है, लेकिन अनाज के हरेक दाने में एक योग्य बीज बनने की खूबियां नहीं हो सकतीं। लिहाज़ा, खेती-बाड़ी के संसार में ऐसे बीजों की अहमियत सर्वोपरि होती है जिनमें अनुकूल परिस्थितियों में अंकुरित होकर अगली फसल की बुनियाद तैयार करने की क्षमता हो।
इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कृषि वैज्ञानिकों की ओर से उन्नत और गुणवत्तापूर्ण बीजों के सतत संवर्धन, उत्पादन और संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। गुणवत्तापूर्ण बीजों की अनुवांशिक और भौतिक शुद्धता का हर हाल में सन्देह से परे होना अनिवार्य है। अच्छे गुणवत्तायुक्त बीजों का शुद्ध, स्वस्थ, सुडौल, बड़ा या एक जैसे आकार का होना ज़रूरी है क्योंकि ऐसे गुणों वाले बीजों की अंकुरण क्षमता अच्छी होती है।
बीज-फसल की खेती का महत्व
फसल उत्पादन में गुणवत्तायुक्त बीजों का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। आमतौर पर खेती की कुल लागत में उन्नत किस्म के बीजों पर होने वाले ख़र्च की हिस्सेदारी महज 2 से 5 प्रतिशत ही होती है। लेकिन यदि बीजों की गुणवत्ता उत्तम कोटि की हो तो साधारण बीजों के मुक़ाबले पैदावार में 20 से 25 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हासिल हो सकता है। इसीलिए किसानों को हमेशा ‘सही वक़्त पर उन्नत किस्म के बीजों के इस्तेमाल’ का मशविरा ज़रूर दिया जाता है।
कई बार उचित समय पर उन्नत किस्म के बीजों का पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होना एक चुनौती बन जाता है। इसीलिए उन्नत खेती से जुड़े प्रगतिशील किसानों से ये अपेक्षा होती है कि वो ख़ुद को बीज-फ़सल की खेती से अवश्य जोड़ें, क्योंकि ऐसा करके वो ना सिर्फ़ अपने लिए उत्तम किस्म के बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित कर सकते हैं, बल्कि अपने आसपास के किसानों और प्रमाणिक बीज उत्पादक संस्थाओं को बीज-फ़सल की उपज बेचकर बढ़िया कमाई कर सकते हैं।
किसी भी फ़सल, फल-सब्जी वग़ैरह की सामान्य पैदावार के मुक़ाबले उसके उत्तम किस्म के प्रमाणिक बीजों का बाज़ार भाव काफ़ी ज़्यादा होता है। लेकिन कोई भी किसान औरों के लिए प्रमाणिक बीजों का उत्पादक नहीं बन सकता। कृषि वैज्ञानिकों ने ‘प्रमाणिक बीज-फ़सल उत्पादक’ बनने के लिए ख़ास प्रक्रिया और नियम तय कर रखे हैं। इसके तहत ही राज्यों की बीज प्रमाणीकरण एजेंसियाँ बीजों के पंजीयन की कार्यवाही करती हैं।
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