राज्य कृषि समाचार (State News)फसल की खेती (Crop Cultivation)

अनार की खेती में निवेश क्यों है फायदेमंद? जानें विशेषज्ञों से

कुलपति डॉ बलराज सिंह ने दिया अनार उत्पादन को बढ़ावा देने का मंत्र

10 जनवरी 2025, जयपुर: अनार की खेती में निवेश क्यों है फायदेमंद? जानें विशेषज्ञों से – राजस्थान के श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर के कुलपति डॉ बलराज सिंह ने उद्यमिता से जुड़े छात्रों के साथ संवाद करते हुए अनार की खेती में आने वाली चुनौतियों और उनके समाधान पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि राजस्थान का पश्चिमी क्षेत्र ‘अनार के कटोरे’ के रूप में पहचान बना चुका है, और राज्य में अनार की खेती का रकबा 16,000 हेक्टेयर से अधिक हो गया है।

जोबनेर और उसके आसपास का क्षेत्र अनार उत्पादन के लिए आदर्श है। यहां किसानों द्वारा वर्षा जल संचयन प्रणाली का प्रभावी उपयोग किया जा रहा है। मिट्टी और तापमान की स्थिति अनार उत्पादन के लिए अनुकूल हैं, जिससे किसान बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

निर्यात में बाधाएं और समाधान

डॉ बलराज सिंह ने अनार निर्यात में आने वाली प्रमुख समस्याओं जैसे फल का छोटा आकार, रंग की कमी, और दरारों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अनियमित नमी और तेज धूप फल में दरारें पैदा करते हैं। इसका समाधान हाइड्रोजेल युक्त खाद को जड़ों के पास लगाना है, जिससे नमी लंबे समय तक बनी रहती है।

रोग और कीट प्रबंधन की चुनौतियां

राजस्थान के किसान बैक्टीरियल ब्लाइट और रूट नॉट नेमाटोड जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। महाराष्ट्र से रोपण सामग्री लाने के कारण ब्लाइट का खतरा बढ़ रहा है।

बैक्टीरियल ब्लाइट का समाधान: रोग-मुक्त रोपण सामग्री तैयार करने के लिए टिशू कल्चर तकनीक का उपयोग और एंटीबायोटिक्स का 7-8 बार स्प्रे करने की सलाह दी गई।

नेमाटोड का समाधान: रासायनिक वेलोम प्राइम और नेमाटोडिसाइड्स का छिड़काव करें।

दीमक प्रबंधन: अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद का उपयोग करें।

किसानों के लिए सुझाव

  1. प्रशिक्षण और छंटाई: समय पर करें।
  2. पवन अवरोधक: बाग के चारों ओर लगाएं।
  3. छाया जाल और सफेद ड्रिप प्रणाली: तेज़ गर्म हवाओं और वाष्पीकरण से बचाव।
  4. प्रतिरोधी किस्में: जालौर सीडलेस, गणेश और भगवा उगाएं।
  5. प्रसंस्करण: छोटे और फटे फलों को प्रसंस्करण में उपयोग करें।
  6. लिग्निन आधारित कार्बनिक मैट: पानी की बचत और मिट्टी के तापमान नियंत्रण के लिए उपयोग करें।

जोबनेर के रारी दुर्गापुरा स्थित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में टिशू कल्चर और एरोपोनिक्स तकनीक के माध्यम से अनार, खजूर, जरबेरा और अन्य पौधों के क्लीन प्लांट तैयार किए जाएंगे। यह पहल किसानों और बागवानी उद्योग को सशक्त बनाएगी।

डॉ बलराज सिंह ने बताया कि अनार के बीजों से तेल निकालकर उपयोगी उत्पाद बनाए जा सकते हैं। इस तेल में कैंसर रोधी गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा, अनार के छिलके और पाउडर का भी विभिन्न उत्पादों में उपयोग किया जा सकता है।

किसानों को कृषि विश्वविद्यालय और केवीके से परामर्श लेकर संगठित प्रयासों पर जोर देना चाहिए। कार्यक्रम के आयोजक सचिव डॉ बलवीर सिंह बधाला ने बताया कि इस कार्यक्रम में 122 छात्रों ने भाग लेकर अनार की खेती से जुड़े नवाचार और प्रबंधन के गुर सीखे।

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