एग्रीस्टैक क्या है? राजस्थान में कैसे बदलेगा किसानों का भविष्य?
23 जनवरी 2025, जयपुर: एग्रीस्टैक क्या है? राजस्थान में कैसे बदलेगा किसानों का भविष्य? – राजस्थान में किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ पारदर्शी तरीके से उपलब्ध कराने और कृषि क्षेत्र को डिजिटल बनाने के लिए एग्रीस्टैक प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई है। राज्य सरकार ने इसे दिसंबर में बूंदी जिले में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया था, जिसे अब फरवरी से पूरे प्रदेश में विस्तार दिया जाएगा।
क्या है एग्रीस्टैक और कैसे होगा किसानों को फायदा?
एग्रीस्टैक एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिसके तहत किसानों की जानकारी का एक व्यापक डेटाबेस तैयार किया जाएगा। प्रत्येक किसान को एक विशिष्ट फार्मर आईडी मिलेगी, जिससे सरकारी योजनाओं का लाभ लेने की प्रक्रिया सरल और पारदर्शी होगी। केंद्र सरकार द्वारा विकसित इस प्रणाली में क्रॉप सर्वे, फार्मर रजिस्ट्री और भू-संदर्भित नक्शों का डिजिटल डेटाबेस तैयार किया जाएगा।
राज्य सरकार का दावा है कि इस डेटा के आधार पर पीएम किसान सम्मान निधि, किसान क्रेडिट कार्ड योजना समेत अन्य योजनाओं का लाभ किसानों तक बिना किसी देरी के पहुंचेगा। साथ ही, ग्राम पंचायत स्तर पर कैंप लगाकर किसानों का पंजीकरण किया जाएगा, जिससे कोई भी किसान योजनाओं से वंचित न रहे।
ई-गिरदावरी के लिए नया ऐप, किसान खुद कर सकेंगे फसल सर्वे
सरकार ने एग्रीस्टैक प्रोजेक्ट के तहत किसान गिरदावरी ऐप विकसित किया है, जिससे किसान अपनी फसल की गिरदावरी खुद कर सकेंगे। इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है या क्यूआर कोड स्कैन कर इंस्टॉल किया जा सकता है।
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बूंदी जिले में रबी 2024 सीजन के लिए 1.40 लाख खसरों की ई-गिरदावरी का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए कृषि अधिकारियों और कृषि पर्यवेक्षकों को किसानों को ऐप डाउनलोड करने और उसका उपयोग करने के लिए जागरूक करने की जिम्मेदारी दी गई है।
एग्रीस्टैक के तहत किसानों का डिजिटल डेटा तैयार करने से सरकारी योजनाओं के लाभ वितरण में सुधार की संभावना जताई जा रही है। हालांकि, यह भी देखा जाना बाकी है कि क्या तकनीकी संसाधनों की कमी और डिजिटल साक्षरता की चुनौती किसानों के लिए किसी परेशानी का कारण बनेगी या नहीं।
यदि इस प्रणाली को प्रभावी तरीके से लागू किया गया तो यह किसानों के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में पारदर्शिता और जमीनी स्तर पर डिजिटल सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना जरूरी होगा।
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