पराली प्रबंधन के लिए उत्तरप्रदेश सरकार की योजना- ‘पराली दो-खाद लो’
16 सितम्बर 2024, लखनऊ: पराली प्रबंधन के लिए उत्तरप्रदेश सरकार की योजना- ‘पराली दो-खाद लो’ – उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 2023 में एक योजना शुरू की, जिसे ‘पराली दो, खाद लो’ नाम दिया गया। इस योजना के तहत, किसान अब अपनी पराली को गौशालाओं में जमा करके बदले में गोबर की खाद प्राप्त कर सकते हैं। इस पहल के चलते, किसानों ने अब तक 5,000 टन पराली गौशालाओं को दी है और खाद प्राप्त किया है।
इस पहल के तहत, कृषि विभाग 7.5 लाख बायो-डीकंपोजर मुफ्त में वितरित करेगा। ये बायो-डीकंपोजर पराली के सड़ने में मदद करते हैं। एक बॉटल बायो-डीकंपोजर एक एकड़ क्षेत्र के लिए पर्याप्त होती है। पराली पर बायो-डीकंपोजर घोल छिड़कने से 15 से 20 दिनों में पराली गलने लगती है और खाद में बदल जाती है। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और वायु प्रदूषण भी कम होता है।
साथ ही, पराली में उपलब्ध सिलिका की मात्रा को ध्यान में रखते हुए, किसानों को गोशालाओं में चारे के 25 प्रतिशत पराली को मिलाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इस वित्तीय वर्ष में 20 हजार टन पराली को निराश्रित गोशालाओं में भेजने का लक्ष्य तय किया गया है।
कृषि विभाग ने जिला कृषि अधिकारियों को निर्देश दिया है कि बायो-डीकंपोजर पाने वाले किसानों की सूची तैयार की जाए और क्षेत्रवार रिपोर्ट बनाई जाए।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश के अनुसार, पराली जलाना दंडनीय अपराध है और इसके लिए पर्यावरण क्षति की भरपाई संबंधित व्यक्ति से की जाएगी। राजस्व विभाग ने पराली जलाने पर क्षेत्र के अनुसार 2,500 से 15,000 रुपये तक का जुर्माना तय किया है। लेखपाल की जिम्मेदारी होगी कि वे फसल अवशेष जलाने की घटनाओं को रोकें और यदि ऐसा न हो, तो उनके खिलाफ भी कार्यवाही की जाएगी।
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