सोयाबीन दाम को लेकर किसानों और सोपा का अभिमत
14 सितम्बर 2024, इंदौर: सोयाबीन दाम को लेकर किसानों और सोपा का अभिमत – धार जिले के लोहारी बुजुर्ग के उन्नत किसान श्री बने सिंह चौहान ने कहा कि 75 एकड़ में सोयाबीन लगाई है। सोयाबीन का न्यूनतम मूल्य 6 हज़ार रु/ क्विंटल की मांग वाज़िब है। सोयाबीन का औसत उत्पादन अच्छी परिस्थिति में 20 क्विंटल /हेक्टर है ,जबकि मध्यम में 15 -16 और निम्न परिस्थिति में 12 -13 क्विंटल /हेक्टर होता है। जबकि लागत दोगुनी हो गई है। खाद, बीज , दवाई भी महंगी है। डीज़ल के भाव भी बढ़ गए हैं। सोयाबीन के मजदूर 500 रु रोज लेते हैं। उपार्जन के समय आवक बढ़ने से भी दाम कम हो जाते हैं। अभी सोयाबीन की औसत लागत 20 हज़ार रु /हेक्टर तक लग जाती है। श्री सुरेंद्र सिंह डोडिया , ग्राम देवलाबिहार जिला शाजापुर ने 40 बीघा में सोयाबीन लगाई है। उनका कहना है कि सोयाबीन के किसान दस साल पहले वाली स्थिति में खड़े हैं , जबकि लागत दोगुनी हो गई है। सोयाबीन की खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है। खेती से जुडी हर चीज के दाम बढ़ने से खर्च ज़्यादा और मुनाफा कम होता जा रहा है। कम रकबे वाले किसानों की परेशानी ज़्यादा है। मजदूरों की भी समस्या है। इन सबको देखते हुए किसानों को सोयाबीन का दाम 6 हज़ार तो मिलना ही चाहिए। वहीं बैजापुर जिला खरगोन के उन्नत किसान श्री मोहन सिंह सिसोदिया ने कहा कि सोयाबीन का औसत उत्पादन 10 क्विंटल / हेक्टर है , लेकिन बिजाई से लेकर कटाई तक की लागत 60 हज़ार रु/ हेक्टर तक लग जाती है। ऐसे में 6 हज़ार की कीमत में भी सोयाबीन किसान को अधिक लाभ नहीं तो घाटा भी नहीं होगा। फिलहाल सोयाबीन का भाव 4200 है ,जबकि एमएसपी 4892 रु है ,लेकिन इसकी समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं की जा रही है।
श्री डी एन पाठक, निदेशक ,दि सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इण्डिया ( सोपा ) ,इंदौर ने कहा कि सोयाबीन का विषय दीर्घकालिक है, जिसमें कृषक, उद्योग और सरकार तीनों शामिल हैं। यह एक वृत्त है , जिसमें सब एक दूसरे को प्रभावित करते हैं । फिलहाल सोयाबीन की औसत उपज 11 क्विंटल /हेक्टर है। यदि यह उपज दोगुनी हो जाए तो किसानों को समस्या ही नहीं रहे। जब तक उत्पादकता नहीं बढ़ेगी , यह समस्या बनी रहेगी। हालांकि नाफेड वाले 12 % नमी वाली सोयाबीन खरीदते हैं ,जिससे किसानों को नमी का 2 % अधिक लाभ मिलता है। जबकि निजी क्षेत्र में यह अनुपात 10 % का है।
श्री पाठक ने कहा कि हाल ही में केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों के आयात शुल्क को 0 % से बढ़ाकर 20 % कर दिया है। अन्य उपकरणों को जोड़ने पर कुल प्रभावी शुल्क 27.5 % हो जाएगा । इससे तेल उद्योग और किसान दोनों को लाभ होगा। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी अभी ऑइल, डीओसी और पोल्ट्री फीड तीनों के दाम बहुत कम हैं। तेल उद्योग को एन्ड प्रोडक्ट का अच्छा दाम मिल जाए तो किसानों को सोयाबीन का समर्थन मूल्य से अधिक दाम देने में भी कोई दिक्कत नहीं है। दीर्घावधि में सोयाबीन की उपज बढ़ाना होगी , तभी इस समस्या का समाधान होगा।
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