उत्तर प्रदेश सरकार की नई पहल: हर जिले में बनेगी आदर्श गोशाला, ‘काऊ टूरिज्म’ से बदलेगी तस्वीर
16 अक्टूबर 2025, भोपाल: उत्तर प्रदेश सरकार की नई पहल: हर जिले में बनेगी आदर्श गोशाला, ‘काऊ टूरिज्म’ से बदलेगी तस्वीर – उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है। इसके तहत राज्य के सभी 75 जिलों में आदर्श गोशालाएं स्थापित की जाएंगी, जिन्हें पर्यटन स्थलों के रूप में भी विकसित किया जाएगा। इस पूरी पहल को ‘काऊ टूरिज्म’ नाम दिया गया है, जिसका उद्देश्य न सिर्फ गौवंश संरक्षण को बढ़ावा देना है, बल्कि गोशालाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाना भी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इस योजना की रूपरेखा तैयार की गई है, जिसमें गोबर, गोमूत्र, दूध, घी व अन्य गौ-उत्पादों के व्यावसायिक उपयोग को भी बढ़ावा दिया जाएगा। सरकार का मानना है कि इस मॉडल से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर खुलेंगे और स्थानीय स्तर पर उत्पादों की मांग को भी बल मिलेगा।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगा नया आधार
प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह के अनुसार, इस योजना के अंतर्गत गोशालाओं को केवल पशुओं की देखभाल का स्थान न मानकर एक व्यावसायिक केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इन गोशालाओं में महिला स्वयं सहायता समूहों को भी जोड़ा जाएगा, जो गोबर से बनी दीये, मूर्तियां, खाद और सजावटी सामग्रियां तैयार करेंगी। खासकर दीपावली जैसे त्योहारों पर इन उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रचार अभियान चलाया जाएगा।
सरकार का फोकस है कि इन प्रयासों से ‘वोकल फॉर लोकल’ को नया आयाम दिया जा सके। गोबर और गोमूत्र जैसे पारंपरिक उत्पादों को आधुनिक तकनीक और नवाचार के साथ जोड़कर स्थानीय बाजारों में उतारा जाएगा। इसके लिए अधिकारियों को जिलावार योजनाएं तैयार करने और स्थानीय संसाधनों के अनुसार प्रोजेक्ट लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।
‘काऊ टूरिज्म’ बनेगा रोजगार और आत्मनिर्भरता का जरिया
प्रमुख सचिव पशुधन एवं दुग्ध विकास मुकेश मेश्राम के अनुसार, ‘काऊ टूरिज्म’ के तहत गोशालाओं को इस तरह विकसित किया जाएगा कि वे धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन का हिस्सा बन सकें। यहां आने वाले पर्यटकों को न सिर्फ गौसेवा का अनुभव मिलेगा, बल्कि गौ-उत्पादों की खरीदारी और स्थानीय संस्कृति से जुड़ने का भी अवसर मिलेगा। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और गोशालाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकेंगी।
सरकार को उम्मीद है कि यह योजना उत्तर प्रदेश के गांवों में समग्र विकास का माध्यम बनेगी और स्वदेशी उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने में मददगार साबित होगी।
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