मध्यप्रदेश में विशेष व्यवस्था के तहत यूरिया वितरण
मध्यप्रदेश में विशेष व्यवस्था के तहत यूरिया वितरण – मध्यप्रदेश में विशेष व्यवस्था के तहत सरकार यूरिया वितरण पर पिछले 3 माह से अनुपातिक व्यवस्था लागू किये है।
80% यूरिया सहकारी समितियों के, और 20% यूरिया निजी व्यापारियों के माध्यम से बेचा जा रहा है। यह व्यवस्था सिर्फ मध्यप्रदेश में लागू है, और इसके चलते जो विसंगतियां उत्पन्न हुई हैं, उनके चलते यूरिया की समस्या प्रदेश में चहुँ ओर देखी जा रही है।
- प्रदेश में लगभग 50% किसान ही समितियों के सदस्य हैं, और इनमें से लगभग 50 % किसान/समितियाँ डिफॉल्टर हैं। अर्थात लगभग 25% किसानों के लिए 80% यूरिया और शेष बचे 75% किसानों के लिए 20%. समस्या यहीं शुरू हो जाती है। समिति वाले उस यूरिया को ट्रक बंदी ऐसे व्यापारियों के हाथ बेच देते हैं जो 350/- के भाव खरीद कर 400/- से 500/- के भाव में कालाबाजारी कर देते हैं।
- समितियों में कार्य दिवस और कार्य के घंटे निर्धारित हैं। समितियों की संख्या भी कम है।
- बाजार का सिद्धांत है कि जो वस्तु प्रचुरता से अनेक स्थानों पर उपलब्ध होगी उसमें ग्राहक को हमेशा प्रतिस्पर्धी मूल्यों पर माल उपलब्ध होता रहेगा, और जिन वस्तुओं पर एकाधिकार / नियंत्रण रहेगा, और मांग अधिक रहेगी, उनकी कालाबाजारी रोकना मुश्किल होता है।
- यूरिया ऐसी खाद है जिसमें उपभोक्ता को मात्र 25% कीमत अदा करनी होती है, शेष सरकार अनुदान देती है। अनुदान और मांग/ वितरण व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए भारत सरकार ने mfms व्यवस्था (mobile fertilizer management system) लागू कर रखा है, जिसके चलते समितियों/विक्रेताओं को POS मशीन से यूरिया विक्रय करना अनिवार्य है।
- कालाबाजारी के चक्कर में अधिकांशतः ऐसा नही होता, इसलिए mfms पर यूरिया स्टॉक में दिखता है, जबकि गोदाम में वस्तुतः नही होता। इससे व्यवस्था चरमरा जाती है, और गलत आंकडो के चलते केंद्र प्रदेश को यूरिया का आवंटन कम कर देता है। इसी का दूसरा पहलू यह है कि खाद स्टॉक में दिखती है तो यूरिया निर्माता कंपनी/आयातक को केंद्रीय सरकार अनुदान नही देती। इसके चलते इन कंपनियों की लंबी राशि अटक जाती है जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान होता है, और वे प्रदेश में अपना यूरिया नही लाना चाहती।
- निजी विक्रेता को ये सारी यूरिया कंपनियां यूरिया कमी की आड़ में अन्य बहुत सी वस्तुएं टैग करके महंगे दामों में बेचतीं रहती हैं, जो वे समितियों को नही बेच पातीं, इसलिए 80:20 कि नीति के चलते उन्हें प्रदेश में यूरिया लाना नहीं पूरता।
- 80:20 की नीति से सहकारिता से जुड़े नीचे से ऊपर तक लोगों को अच्छी खासी कमाई हो रही है, सो यूरिया वितरण नियंत्रण मुक्त न हो जाये इसके लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाया जा रहा है, और शासन किसी भी दल का हो, प्रदेश में यह नीति जारी है जिसके कारण आप स्वयं समझ सकते हैं।
- प्रचुर मात्रा में यूरिया उपलब्ध हो इसके लिए आवश्यक है कि शासन किसान के हित में इस आनुपातिक वितरण प्रणाली को समाप्त कर नियंत्रण मुक्त व्यवस्था लागू करे जिससे प्रतिस्पर्धी मूल्यों पर सुगमता से यूरिया हर जगह उपलब्ध हो।
- यदि यह बात आपको ठीक लगे कृपया इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए यथासंभव प्रयास करें।