मुरैना में प्राकृतिक खेती उत्पादों की उत्पादन तकनीक पर प्रशिक्षण संपन्न
10 सितम्बर 2024, मुरैना: मुरैना में प्राकृतिक खेती उत्पादों की उत्पादन तकनीक पर प्रशिक्षण संपन्न – कृषि विज्ञान केंद्र ,मुरैना द्वारा ग्राम जेबराखेड़ा में गत दिनों प्राकृतिक खेती उत्पादों की उत्पादन तकनीक विषय पर 5 दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया , जिसमें 55 पुरुष /महिला कृषकों ने भाग लिया। इस प्रशिक्षण में कृषकों को प्राकृतिक खेती की विस्तार से जानकारी दी गई।
प्रशिक्षण के नोडल अधिकारी डॉ बी एस कसाना द्वारा किसानों को प्राकृतिक खेती उत्पादों एवं प्राकृतिक खेती से होने वाले लाभों के बारे में बताते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती का उद्देश्य प्राकृतिक रूप से उत्पन्न फसल एवं सब्जी/फल उत्पादों के माध्यम से गुणवत्ता युक्त भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित किया जाना है। डॉ कसाना ने कहा कि वर्तमान कृषि पद्धति से उत्पादित उत्पादों में रासायनिक दवाओं के अवशेषों से होने वाली बीमारियों एवं अन्य हानियों से बचाव के लिए प्राकृतिक खेती तकनीक का प्रयोग फल/सब्जी उत्पादन में किया जाय तो स्वास्थ्य लाभ, पर्यावरण सुरक्षा और अधिक प्रक्षेत्र आय भी सम्भव है। डॉ कसाना ने जीवामृत बनाने की तकनीक का भी प्रदर्शन किया तथा कृषकों को जीवामृत, बीजामृत एवं कीट नियंत्रण हेतु नीमास्त्र बनाने की तकनीक को विस्तार से बताया।
प्रशिक्षण के दौरान केंद्र प्रमुख डॉ प्रशांत कुमार गुप्ता द्वारा कृषकों को उद्यम विकास हेतु प्रोत्साहित किया तथा ऐसे युवा उद्यमी कृषकों को कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा सभी प्रकार का तकनीकी सहयोग देने का आश्वासन दिया गया एवं प्रशिक्षणार्थियों को सब्जी फसल उत्पादन करने की समझाइश दी गई। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ एस व्ही एस चौहान द्वारा कृषकों को प्रायोगिक तौर पर प्राकृतिक खेती कर प्रक्षेत्र आय में वृद्धि करने की सलाह दी गई। कीट वैज्ञानिक डॉ स्वाति सिंह तोमर द्वारा कृषकों को प्राकृतिक खेती तकनीक में कीट एवं रोग नियंत्रण हेतु प्राकृतिक उत्पादों नीमास्त्र ,आग्नेय अस्त्र और ब्रह्मास्त्र बनाने की तकनीक पर विस्तार से चर्चा की और उपयोग की विधि, समय और मात्रा के बारे में जानकारी दी गई। डॉ रीना शर्मा द्वारा कृषकों को प्राकृतिक खेती के विभिन्न घटक मुख्यतः जीवामृत , बीजामृत , वपासा एवं आच्छादन तकनीक पर प्रकाश डाला तथा इन सिद्धांतों से प्राकृतिक खेती करने पर होने वाले फायदों के बारे में कृषकों को विस्तार से बताया।
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