राज्य कृषि समाचार (State News)

आज विलुप्ति के कगार पर हैं परंपरागत बीज

11 सितम्बर 2025, नई दिल्ली: आज विलुप्ति के कगार पर हैं परंपरागत बीज – देश के किसानों द्वारा मौजूदा समय में भले ही हाइब्रिड बीजों का इस्तेमाल खेती में किया जाता हो लेकिन आज से तीन दशक पुरानी बात की जाए तो किसानों द्वारा परंपरागत देसी बीजों का ही उपयोग किया जाता था लेकिन वर्तमान स्थिति में अब आज परंपरागत देसी बीज विलुप्ति के कगार पर है।

क्या है पुराने देसी बीज 

रामदाना, तिल, अलसी, सावां, कुदो, और किन्नो…….. अगर आपके पास ये बीज उपलब्ध हैं, तो इन्हें सहेजकर रखना एक अनमोल कदम हो सकता है।

शुरू कर सकते है बीज बैंक

जिन किसानों के पास देसी परंपरागत बीज है तो उन्हें सहेजा जा सकता है और इसके लिए बीज बैंक भी बनाये जा सकते है। कृषि वैज्ञानिक डॉ दया श्रीवास्तव बताते है कि  ऐसी स्थिति में, भविष्य की पीढ़ियां शायद इन बीजों के बारे में केवल किताबों में पढ़ेंगी और इन्हें देख पाना उनके लिए नामुमकिन हो जाएगा। अगर आपके पास ये बीज उपलब्ध हैं, तो इन्हें सहेज कर रखना एक अनमोल कदम हो सकता है। इन्हें एक बीज बैंक के रूप में इकट्ठा करना भविष्य में एक महत्वपूर्ण उद्यम के रूप में उभर सकता है।

बीजों को संरक्षित करने के लिए युवाओं के लिए बीज बैंक स्थापित करना एक उद्यमिता का बड़ा क्षेत्र है। यदि आप एक युवा हैं और कृषि उद्यमी बनना चाहते हैं, तो आप परंपरागत बीजों का संग्रह कर अपना खुद का स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं। जैसे-जैसे इन बीजों की उपलब्धता कम होती जा रही है, वैसे-वैसे इनका महत्व बढ़ता जा रहा है। उदाहरण के तौर पर, अरहर के देसी बीज अब ढूंढना मुश्किल होता जा रहा है। किसानों के पास इन बीजों की कमी हो रही है, और ऐसी स्थिति में, बीज बैंक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

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