मक्का जैसे अनाज को इसलिए मिल रहा है बढ़ावा
22 नवंबर 2024, भोपाल: मक्का जैसे अनाज को इसलिए मिल रहा है बढ़ावा – जिस तरह से गेहूं का उत्पादन हमारे देश में किया जाता है उसी तरह से मक्का जैसा अनाज भी लोग पसंद करते है क्योंकि यह अनाज न केवल पाचक रहता है वहीं स्वास्थ्य के लिए भी इस जैसे अनाज का सेवन करने की सलाज डॉक्टर देते है, लिहाजा मक्का जैसे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा मिल रहा है और किसान भाई
भी गेहूं के अलावा मक्का का उत्पादन कर रहे है।
मक्का, जिसे मक्कई या कॉर्न के नाम से भी पहचाना जाता है और यह भारत के किसानों के लिए एक प्रमुख फसल है। पहले के समय में मोटे अनाजों का बड़ा महत्व था, लेकिन गेहूं और चावल की बढ़ती मांग और हरित क्रांति के बाद मोटे अनाजों की खेती घट गई। अब, लोगों में स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती जागरूकता और बदलते खानपान के कारण मक्का जैसे अनाज को फिर से बढ़ावा दिया जा रहा है। मोटे अनाज न केवल पोषण से भरपूर होते हैं, बल्कि ये पर्यावरण के लिए भी लाभदायक हैं क्योंकि इनकी खेती में कम पानी और उर्वरकों की आवश्यकता होती है। मक्का की खेती के लिए गर्म और समशीतोष्ण जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है। यह फसल 21-27 डिग्री सेल्सियस तापमान में बेहतर उगती है।
हालांकि, मक्के के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त है, लेकिन यह बलुई दोमट और काली मिट्टी में भी उगाई जा सकती है। रबी सीजन में मक्का की खेती सिंचाई के साथ सफलतापूर्वक की जा सकती है। खेत की जुताई मोल्डबोर्ड हल से 2 से 3 बार करनी चाहिए, इससे मिट्टी नरम हो जाती है और खरपतवार समाप्त हो जाते हैं। जुताई के बाद मिट्टी को भुरभुरी बनाने के लिए रोटावेटर का इस्तेमाल करें। जुताई के बाद प्रति एकड़ 10 टन गोबर खाद या जैविक खाद का छिड़काव करें. यह मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है और पौधों को आवश्यक पोषण प्रदान करता है। बीजों को बुवाई से पहले उपचारित करना आवश्यक है ताकि फसल में किसी भी प्रकार की बीमारी का खतरा कम हो. बीजों को थायमेथोक्सम 19.8% या साइनट्रेनिलिप्रोल 19.8% का 6 मि.ली. प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करें।
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