घाटे में चल रहे म.प्र. बीज निगम पर लटकी तलवार
लेखक: अतुल सक्सेना, वरिष्ठ पत्रकार, मो. : 9826335662
31 जुलाई 2024, भोपाल: घाटे में चल रहे म.प्र. बीज निगम पर लटकी तलवार – प्रदेश में स्थित ज्यादातर निगम-मंडल सरकार के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहे हैं। क्योंकि इन पर बजट पूरा खर्च हो रहा है परन्तु लाभ सरकार एवं किसान को नहीं मिल रहा है। इसे देखते हुए शासन ने लगभग 40 निगम मंडलों को बंद करने का विचार किया है तथा कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है। परन्तु दूसरी ओर राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक दूसरे दलों से भाजपा में आए कद्दावर नेताओं को साधने के लिए निगम मंडलों में नियुक्त करने की बात की जा रही है, वह भी कैबिनेट एवं राज्यमंत्री का दर्जा देने के साथ। घाटे में चल रहे निगम मंडलों में से एक है म.प्र. बीज निगम। इस पर भी तलवार लटक रही है। कब बंद हो जाएगा, कहा नहीं जा सकता। प्रदेश के अधिक से अधिक किसानों को आधार बीज देकर ज्यादा से ज्यादा प्रमाणित बीज का उत्पादन कराने तथा शासन द्वारा उचित दर पर कृषकों को प्रमाणित बीज उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 1980 में बीज निगम की स्थापना की गई थी परन्तु चार दशक से अधिक समय होने के बाद भी निगम अब घाटे में चल रहा है। प्रबंध संचालक के रूप में कई आईएएस एवं आईएफएस अफसर यहां पदस्थ किए गए, पर कोई भी अफसर इसे घाटे से नहीं उबार पाया। ऐसा प्रतीत होता है कि शासन ने बीज निगम को लूपलाईन स्टेशन बना दिया है। यहां आईएएस अफसर आते हैं और चले जाते हैं, परन्तु निगम की हालत में तथा कार्यप्रणाली में कोई सुधार नहीं होता।
प्रदेश में 7 क्षेत्रीय कार्यालय, 42 कृषि प्रक्षेत्र एवं 54 बीज प्रक्रिया केन्द्रों से सुसज्जित बीज निगम सफेद हाथी बन कर रह गया है। लगभग 40 करोड़ रुपए की अंशपूजी वाला यह बीज निगम करोड़ों के घाटे में चल रहा है। जानकारी के मुताबिक वर्ष 2020-21 में लगभग 4 करोड़ रुपए से अधिक के घाटे में था, जो वर्ष 2021-22 में बढ़कर दोगुना से अधिक लगभग 9 करोड़ रुपए हो गया है। अब इसके वर्ष 2022-23 में और अधिक बढऩे की संभावना है। इन परिस्थितियों को देखते हुए शासन की तलवार निगम मंडलों पर लटक रही है। परन्तु राजनैतिक मोह निगम बंद करने की कार्यवाही करने में अड़चन पैदा कर रहा है। क्योंकि अन्य दलों से आए नेताओं को भी उपकृत करना है।
जानकारी के मुताबिक बीज निगम द्वारा वर्ष 2020-21 खरीफ में 25 हजार 200 क्विंटल से अधिक, 2021-22 में 19 हजार 300 क्विंटल, 2022-23 में 12 हजार 600 क्विंटल आधार एवं प्रमाणित बीज वितरण किया गया है। और इस वर्ष 2023-24 में केवल 16200 क्विंटल बीज वितरण का अनुमान है।
कार्यप्रणाली की धीमी गति युवाओं एवं किसानों के लिए परेशानी का सबब बन रही है। वर्तमान का युवा किसान त्वरित निर्णय चाहता है। वर्तमान में निगम अपने गठन के मुख्य उद्देश्य से ही भटक गया है। इसके अधीन प्रक्षेत्रों का न पूर्णत: विकास हो रहा है न ही कुशलता पूर्वक संचालन। ऐसी स्थिति में निगम को लाभ में लाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। इस स्थिति में अब लटकी तलवार कभी भी गिर सकती है।
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