राज्य कृषि समाचार (State News)

निमाड़ के किसानों में जायद में सोयाबीन बोने का आकर्षण बढ़ा

  • दिलीप दसौंधी , खरगोन

22 फरवरी 2023,  निमाड़ के किसानों में जायद में सोयाबीन बोने का आकर्षण बढ़ा – खरीफ सीजन में मौसम की अनिश्चितता अर्थात् ज़रूरत के समय अवर्षा ,अति वर्षा अथवा फसल पकने पर अवांछित वर्षा के कारण किसानों को प्राय: हर साल सोयाबीन की फसल में नुकसान उठाना पड़ता है। इसीको देखते हुए पश्चिम निमाड़ के किसानों का जायद में सोयाबीन बोने का आकर्षण बढ़ा है। जायद की सोयाबीन फसल में कीट प्रकोप कम होने से लागत खर्च तो कम आता ही है ,बल्कि उत्पादन भी अच्छा मिलता है। नया बीज भी तैयार हो जाता है, जिसका खरीफ की सोयाबीन की बुवाई में उपयोग किया जा सकता है।

माकडख़ेड़ा  (कसरावद) के इंजीनियर  कृषक श्री विवेक (मोनू) डोंगरे ने  कृषक जगत को बताया कि जायद में सोयाबीन पहली बार बोई है। किस्म जेएस- 1135 की बोनी 10 एकड़ में 3 जनवरी को की थी। 35 दिन से अधिक की फसल हो चुकी है। फसल 120  दिन में पक कर तैयार हो जाएगी। मई के बाद खरीफ सीजन की तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिलेगा। क्षेत्र के ही अन्य 8-10  किसानों ने भी जायद में सोयाबीन की बोनी की है। 4 एकड़ में सोयाबीन बोना बाकी है। सुंद्रेल (धामनोद) के जैविक कृषक  श्री रामकृष्ण पाटीदार ने कृषक जगत को बताया कि 1997 से जैविक खेती कर रहे हैं। कृषि विकास अधिकारी की नौकरी छोडक़र पूर्णत: खेती को समर्पित हैं। परम्परागत के अलावा गन्ने की भी खेती करते हैं। पहली बार जायद में सोयाबीन किस्म 1135 की 12 जनवरी को बोनी की है। जायद में औसत 7-10  क्विंटल/एकड़ तक का उत्पादन मिल जाता है। चूँकि जायद सोयाबीन की फसल अप्रैल अंत तक आ जाती है, इसलिए खरीफ की तैयारी के लिए भी समय मिल जाता है। सुंद्रेल के अलावा बिखरौन में भी 5-10  किसानों ने जायद में सोयाबीन लगाई है। धामनोद के श्री अंकित पाटीदार ने भी एक सप्ताह पूर्व 3 एकड़ में जायद में सोयाबीन किस्म 1135  की बोनी की है।

 कोदलाखेड़ी के उन्नत कृषक श्री पृथ्वी सिंह सोलंकी ने कृषक जगत से हुई चर्चा में बताया कि सबसे पहले एनआरसी -142  के 350  ग्राम बीज को आधे एकड़ में प्रयोग के तौर पर लगाया था। नतीजे अच्छे मिले।  72  किलो बीज तैयार हुआ। बीज बहुगुणित होता जा रहा है।  गत 2  जनवरी को 6 एकड़ में किस्म एनआरसी-150  और एनआरसी- 152 की बोनी की है। वैसे तो यह 90 दिन की फसल  है, लेकिन अंकुरण देरी से होने से 95-96  दिन में पूरी तरह तैयार हो जाती है। 10 अप्रैल तक कटाई  शुरू हो जाएगी। उत्पादन भी अच्छा मिलने से मालवा-निमाड़ के कई किसान जायद में सोयाबीन की फसल ले रहे हैं। अनुमान है कि जायद में 250 एकड़ में सोयाबीन बोई गई है। खरीफ की तुलना में इस फसल के फायदे गिनाते हुए श्री सोलंकी ने कहा कि किसानों को वित्तीय मदद मिल जाती है। फसल के दाम भी अच्छे मिल जाते हैं। अच्छा गुणवत्तापूर्ण बीज भी तैयार हो जाता है, जिसे खरीफ में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। उत्तम किस्म का बीज चुनिंदा किसानों को देकर बीज की श्रृंखला तैयार की जा रही है। जायद सोयाबीन फसल की सिर्फ सिंचाई करनी पड़ती है। कीट प्रकोप भी कम होता है। इससे लागत खर्च भी कम ही आता है। खरीफ में मौसम की अनिश्चितता, अवर्षा, अतिवर्षा या फसल पकने पर अवांछित वर्षा का भय बना रहता है। इस फसल में यह चिंताएं नहीं रहती है। इन्हीं सब कारणों से किसानों का जायद सोयाबीन की तरफ आकर्षण बढ़ता जा रहा है। 

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