प्रस्तावित भूली जलाशय के प्रभावितों ने अपर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा
19 जुलाई 2024, (उमेश खोड़े, पांढुर्ना): प्रस्तावित भूली जलाशय के प्रभावितों ने अपर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा – पांढुर्ना जिले में जाम नदी पर प्रस्तावित भूली जलाशय को लेकर शासन ने गत 12 जुलाई को धारा 11 का पुनः प्रकाशन किया है, तबसे जलाशय निर्माण होने पर डूब क्षेत्र से प्रभावित होने वाले किसान सक्रिय हो गए हैं । इसी तारतम्य में मंगलवार की जन सुनवाई में किसानों ने ग्राम विकास संघर्ष समिति के लेटर पैड पर कलेक्टर को सम्बोधित अपनी सात सूत्रीय मांगों का ज्ञापन अपर कलेक्टर श्री नीलमणि अग्निहोत्री को सौंपकर मोरडोंगरी की गाईड लाइन के मुताबिक मुआवजा दिलाने की मांग की गई। श्री अग्निहोत्री ने किसानों के साथ जल्द ही बैठक आयोजित कर उनकी समस्याओं का समाधान करने का आश्वासन दिया । इस मौके पर एसडीएम नेहा सोनी भी मौजूद थीं।
कई बातें स्पष्ट नहीं – इस संबंध में ग्राम विकास संघर्ष समिति ,पांढुर्ना के अध्यक्ष श्री वृंदेश धर्माधिकारी ने कृषक जगत को बताया कि भूली जलाशय निर्माण के इस मामले में मुआवजा , पुनर्वास और रोजगार को लेकर कई बातें स्पष्ट नहीं होने से किसान चिंतित हैं। इन्हीं सब बातों को ज्ञापन में शामिल किया है। डूब क्षेत्र के सभी किसानों को मोरडोंगरी की मुआवजा दरों के हिसाब से भुगतान किया जाना चाहिए। भूली गांव के लोगों का पुनर्वास कहाँ किया जाएगा , यह भी अस्पष्ट है। 20 -25 किमी दूर का पुनर्वास स्वीकार नहीं है , क्योंकि जिनके खेत बच रहे हैं, वो किसान क्या करेंगे ? वर्तमान में एसडीओ जल संसाधन का ऑफिस सौंसर में है ,जो बहुत दूर है। पांढुर्ना में भी इनका ऑफिस होना चाहिए। डूब प्रभावित किसानों के परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने की भी मांग की गई है।
मोरडोंगरी के मुताबिक एक समान मुआवजा दें – वहीं धावड़ीखापा के श्री प्रकाश देशमुख ने बताया कि भूली जलाशय को लेकर कोई विरोध नहीं है। सभी किसान सहमत हैं ,लेकिन मुआवजे को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं होने से किसान आशंकित हैं । मोरडोंगरी की जो सबसे बड़ी गाइड लाइन है, उसके हिसाब से डूब क्षेत्र के सभी किसानों को एक देश , एक विधान और एक निशान के तहत एक समान मुआवजा दिया जाना चाहिए। प्रभावित किसानों के पुनर्वास के लिए क्या योजना बनाई है ,वह भी बताई जानी चाहिए। पुनर्वास स्थल पर बुनियादी सुविधाएं क्या और कैसे रहेंगी इसकी विडियोग्राफी कर किसानों को पहले बतानी चाहिए। डूब से प्रभावित प्रत्येक परिवार से एक व्यक्ति को सरकारी दें । धारा 11 के पुनः प्रकाशन का कोई कारण नहीं बताया है ( धारा 11 का पहला प्रकाशन फरवरी 2022 में किया गया था ) कलेक्टर ने किसानों के साथ अभी तक कोई बैठक नहीं की है।
शेष ज़मीन भी सरकार ले –ग्राम खड़की के श्री गणेश भांदे ने प्रभावितों को नंदापुर के पास पुनर्वास करने ,प्रभावित परिवार से एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने और मोरडोंगरी गाइड लाइन के अनुसार सभी प्रभावित किसानों को एक साथ एक मुश्त मुआवजा देने की मांग की, ताकि वह इस राशि का सदुपयोग कर सके। प्रशासन और सिंचाई विभाग के अधिकारी भूली जलाशय को लेकर पूरी जानकारी नहीं दे रहे हैं। बिना किसान की सहमति से कार्य शुरू नहीं किया जाए । जबकि धावड़ीखापा के श्री अनिल कामड़े ने कहा कि डूब क्षेत्र की ज़मीन , मकान , पेड़ पौधे का सही मूल्यांकन कर मोरडोंगरी हल्के के अनुसार मुआवजा और प्रभावित परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देना चाहिए। जिन किसानों की शेष ज़मीन बच रही है उसे भी सरकार ने लेना चाहिए ,क्योंकि जलाशय बनने के बाद उस इलाके में उन्हें खेती करने में बहुत परेशानी आएगी। धावड़ीखापा के अन्य किसान श्री मंशाराम झोटया खोड़े ,श्री संदीप खोड़े और श्री विनय डिगरसे ने भी अपनी बात रखी और अन्य किसानों की मांगों के प्रति अपनी सहमति जताई।
800 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित- उल्लेखनीय है कि भूली जलाशय के निर्माण से पांढुर्ना और सौंसर विकास खंड की पेयजल और सिंचाई समस्या का समाधान हो जाएगा। इस जलाशय के लिए 7 गांवों भूली , खड़की, धावड़ीखापा ,भुयारी ,मोरडोंगरी ,खेड़ीधान और नीलकंठ की करीब 800 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जाएगी। इस संबंध में कृषक जगत ने 22 जनवरी 2024 के अंक में ‘ प्रस्तावित भूली जलाशय निर्माण को लेकर किसान चिंतित ‘ शीर्षक से प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया था।
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