इस खरीफ में सुनहरी सोयाबीन का रकबा बढ़ा
13 अगस्त 2022, भोपाल: (अतुल सक्सेना) इस खरीफ में सुनहरी सोयाबीन का रकबा बढ़ा – देश में सोयाबीन का बढ़ता रकबा और बेहतर उत्पादन की उम्मीद ने किसानों को सुनहरे सपने दिखाने शुरु कर दिए है। सोयाबीन से होता मोह भंग फिर अपने शबाब पर लौट रहा है। इसका मुख्य कारण गत वर्ष मिलने वाली अच्छी कीमत, बेहतर उत्पादन है। परन्तु दूसरा पहलू यह है कि सोयाबीन का पुराना स्टाक एवं चालू वर्ष का बढ़ा रकबा और अधिक उत्पादन की आशा किसानों को भारी भी पड़ सकती है। क्योंकि इससे सोयाबीन के दाम गिर सकते है और खाद्य तेल के दामों में कमी हो सकती है जो उपभोक्ताओं के लिए लाभदायक तथा राहत की खबर होगी परंतु किसानों के लिए परेशानी का सबब बन सकती है।
सोयाबीन का रकबा
गत 12 अगस्त की स्थिति में देश में 118.74 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बोनी हो गई है जो गत वर्ष इसी अवधि में 117.93 लाख हेक्टेयर थी। इस प्रकार गत वर्ष की तुलना में रकबा बढ़ा है। प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्यों में म.प्र. देश में सबसे आगे है। यह देश में कुल सोयाबीन उत्पादन में लगभग 60-65 फीसदी की भागीदारी करता है। इसलिए इसे सोया राज्य कहते है। अब तक यहां लगभग 50 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोई गई है। हालांकि यह गत वर्ष की तुलना में लगभग 3.50 लाख हेक्टेयर कम है इसके बावजूद मौमस की अनुकूलता के कारण बंपर उत्पादन की उम्मीद है। वहीं चालू वर्ष में महाराष्ट्र में 47.75 लाख हेक्टेयर, राजस्थान में 11.46, कर्नाटक में 4.27, गुजरात में 2.16, तेलंगाना में 1.52 लाख हेक्टेयर एवं छत्तीसगढ़ में 38 हजार हेक्टेयर रकबा कवर हुआ है। गत वर्ष की तुलना में महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना एवं कर्नाटक में इस वर्ष सोयाबीन का रकबा बढ़ा है।
समर्थन मूल्य एवं बढ़ती कीमत
देश के सोयाबीन उत्पादक राज्यों की मंडियों में वर्तमान में 5 से 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक सोयाबीन का भाव किसानों को मिल रहा है। जबकि वर्ष 2022-23 के लिए सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4300 रुपये क्विंटल निर्धारित किया गया है इसके पूर्व गत वर्ष 2021-22 में 3950 रुपये प्रति क्विंटल सोयाबीन का एमएसपी था। परन्तु किसानों को 10 हजार रुपये क्विंटल तक भाव मिला। कोरोना काल एवं इसके पूर्व वर्षों में मौसम की बेरुखी एवं अतिवृष्टि से सोयाबीन उत्पादन प्रभावित हुआ था, इसके साथ बढ़ती लागत से किसान निराश हो गए थे तथा सोयाबीन से मुंह मोडऩे लगे थे। अब फिर से सोयाबीन का बढ़ता रकबा, अच्छी कीमत किसानों के इस नकदी फसल की ओर लौटने का संकेत है।
कीमत कम होने की संभावना
बंपर उत्पादन की उम्मीद, बढ़ता रकबा, बेहतर कीमत, बढ़े समर्थन मूल्य से उत्साहित किसानों के लिए सोयाबीन परेशानी का सबब भी बन सकती है, अधिक पैदावार से कीमत में कमी आएगी। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) की रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर 2022 से शुरु होने वाले नए आईल सीजन की शुरुआत सोयाबीन के अच्छे पुराने स्टाक लगभग 27 लाख टन से अधिक से होने के कारण भाव में नरमी आ सकती है।
प्रमुख राज्यों में सोयाबीन बुवाई (12 अगस्त, 2022)
(लाख हेक्टेयर में)
राज्य | 2022 | 2021 |
म.प्र. | 50 | 53.87 |
महाराष्ट्र | 47.75 | 44.73 |
राजस्थान | 11.46 | 10.31 |
कर्नाटक | 4.27 | 3.82 |
गुजरात | 2.16 | 2.23 |
तेलंगाना | 1.52 | 1.4 |
छत्तीसगढ़ | 0.38 | 0.5 |
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