विदिशा में येलो मोजेक एवं कीट व्याधि नियंत्रण के उपाय बताए
19 सितम्बर 2025, विदिशा: विदिशा में येलो मोजेक एवं कीट व्याधि नियंत्रण के उपाय बताए – उप संचालक कृषि श्री केएस खापेडिया ने जिले के सभी किसान भाइयों से अपने खेतों की सतत निगरानी करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि यदि कि खेत में येलो मोजेक एवं कीट व्याधि नजर आती है तो अविलंब उपचार कर फसलों को क्षति पहुंचाने से बचाएं ।
येलो मोजेक एवं कीट व्याधि से बचाव के सुझाव – उप संचालक ने बताया कि विगत दिनों जिले में अत्यधिक वर्षा के कारण खरीफ की खड़ी फसलों में जल भराव की स्थिति बन गई है। अतः कृषकों को सलाह दी जाती है कि वह अपने खेतों से पानी निकासी की उचित व्यवस्था करें। अपने खेत की नियमित निगरानी कर 3-4 जगह के पौधों को हिलाकर सुनिश्चित करें कि क्या आपके खेत में किसी इल्ली, कीट का प्रकोप तो नहीं हुआ। यदि हुआ है तो कीड़ो की अवस्था क्या है। तदानुसार उनके नियंत्रण के उपाय अपनायें।
पीला मोजेक रोग के नियंत्रण हेतु सलाह है कि तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें तथा इन रोगों को फैलाने वाले वाहक जैसे सफेद मक्खी एवं एफिड की रोकथाम हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायमिथोक्सम लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली / हे ) या बीटासायफ्लुथ्रिन इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/ हे ) का छिड़काव करें। इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है।जहाँ पर केवल चक्र भृंग का प्रकोप हो, इसके नियंत्रण हेतु प्रारम्भिक अवस्था में ही टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250 से 300 मिली /हे ) या थाय क्लोपिड 21.7 एस.सी. (750 मिली/ हे ) या प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी. (1 ली / हे) या इमामेक्टीन बेन्जोएट (425 मिली/ हे ) का छिड़काव करें। यह भी सलाह दी जाती है कि इसके फैलाव की रोकथाम हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे के ग्रसित भाग को तोड़कर नष्ट कर दें। तना मक्खी, चक्र भृंग तथा पत्ती खाने वाली इल्लियों के एक साथ नियंत्रण हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30ः लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 04.60र्ः ब् (200मिली /हे ) या बीटासायफ्लुथ्रिन इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/ हे ) या पूर्वमिश्रित थायमिथोक्सम लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली /हे ) का छिड़काव करें। धान की फसल में ब्लास्ट नामक बीमारी का प्रकोप बढ़ रहा है इसकी रोकथाम हेतु कार्वन्डेजिम 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें। धान की फसल में कही-कही पर जीवाणु झुलसा रोग का प्रकेाप भी बढ रहा है। इसके प्रबंधन हेतु कापर आक्सीक्लोराइड की 2.5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें।
यदि सोयाबीन की फसल पर एन्थ्रेक्नोज नामक फफूंद जनित रोग या राइजोक्टोनिया एरिअल ब्लाइट के प्रारम्भिक लक्षण देखे जाते है तो इसके नियंत्रण हेतु टेबुकोनाजोल 25.9 प्रतिशत ई.सी. (625 मिली /हे ) या टेबुकोनाजोल सल्फर (1.25 किग्रा /हे ) या पायराक्लोस्ट्रोबिन 20 डब्लू.जी. (500 ग्रा./हे ) का छिड़काव करें। कीटनाशक या खरपतवारनाशक के छिड़काव के लिये पानी की अनुशंसित मात्रा का उपयोग करें (नेप्सेक स्प्रेयर से 450 ली /हे या पावर स्प्रेयर से 120 ली/ हे न्यूनतम)किसी भी प्रकार का कृषि आदान क्रय करते समय दुकानदार से हमेशा पक्का बिल लें जिस पर बैच नंबर एवं एक्सपायरी दिनांक स्पष्ट लिखा हो ।
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