राज्य कृषि समाचार (State News)

पर्यावरण संरक्षण के लिए मजबूत संकल्प की आवश्यकता

लेखक: माधव पटेल दमोह, मध्यप्रदेश, 9826231950, madhav11patel@gmail.com

03 जून 2025, भोपाल: पर्यावरण संरक्षण के लिए मजबूत संकल्प की आवश्यकता – हम में से शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जो पर्यावरणीय परिवर्तनों से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित न हुआ हो पर्यावरण क्षति सभी के जीवन को प्रभावित कर रही है एक समय था जब लगभग 50 – 100 फीट बोरिंग करने पर सहायता से पानी उपलब्ध हो जाता था परंतु आज 600-700 फीट बोरिंग करने के बाद भी पानी की उपलब्धता नहीं हो पा रही है इसका कारण हमारे द्वारा जल का अनियोजित उपभोग है साथ ही साथ जल संरक्षण के प्रति सचेत न होना इसका दूसरा प्रमुख कारण है विभिन्न अखबारों के माध्यम से हम पढ़ते हैं कि ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जहां पर पीने के पानी की बहुत बड़ी समस्या है भविष्य में यह परिस्थितियां और भी भयावह होने की संभावनाएं हैं।निश्चित रूप से हमारे देश में कहावतें बनाने वाले बड़े ही व्यावहारिक और दूरदर्शी हुआ करते थे इसी प्रकार एक कहावत है कि *जा के पैर न फटी बिवाई सो का जाने पीर पराई* यह कहावत आज पर्यावरण संरक्षण के संदर्भ में बहुत ही सार्थक परिलक्षित हो रही है क्योंकि आज ऐसा कोई शहर या गांव नहीं जहां पर लोग तापमान के कहर से हलाकान ना हो जहां देखें वहीं  तापमान 50 डिग्री सेल्सियस पारा छूने का प्रयास कर रहा है।निश्चित रूप से इस कहर बरपाती गर्मी ने हमें अपनी जीवन शैली को पुनर्वस्थित करने के लिए स्पष्ट संकेत दिया है। पहले इस प्रकार का तापमान केवल बड़े-बड़े शहरों में हुआ करता था परंतु आज तो हर गांव ही शहर बनने की राह पर चल पड़ा है जब कोई समस्या सामने आती है तभी लोग बड़ी-बड़ी बातें और रणनीति बनाते हैं परंतु जैसे वक्त निकल जाता है कहानी फिर पुरानी ढर्रे पर चलने लगती हैं। यही बात हमारे पर्यावरण संरक्षण पर सटीक बैठती है क्योंकि जैसे ही 5 जून आने को होती है हर कोई पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित दिखाई देता है और कुछ रस्म अदायगी भी कर देता है परंतु संपूर्ण वर्ष वही बिना संवेदनशीलता के, पर्यावरण की चिंता किए बगैर अपने कार्यों में संलग्न रहता है जो निश्चित रूप से एक चिंताजनक पहलू है। इसलिए आवश्यक है की परिस्थितियों को अपने हाथ से निकलने की पूर्व हमें पर्यावरण के प्रति न केवल सचेत होना चाहिए बल्कि उसे संरक्षित और सुरक्षित करने का हर संभव प्रयास करना चाहिए,पर्यावरण संरक्षण से तात्पर्य हमारे आसपास के वातावरण,पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, हवा,पानी के संरक्षण से है।प्रकृति और मनुष्य एक दूसरे के पूरक हैं।पर्यावरण के बिना मनुष्य के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। लगातार प्रकृति का दोहन के स्थान पर लालची होकर शोषण करने वाली प्रवृत्ति,अनियोजित औद्योगिक विकास के फल स्वरुप उत्सर्जित होने वाले ग्रीनहाउस गैस और क्लोरोफ्लोरो कार्बन ने लोगों का सुकून छीन लिया है।

पर्यावरण संरक्षण का उतना ही महत्व है जितना मानव जीवन का।इसके लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए और पेड़ों की रक्षा वैसे ही करनी चाहिए जैसे हम अपने बच्चों की करते हैं। ऐसी वस्तुओं का प्रयोग कम से कम करें जो पर्यावरण के लिए हानिकारक हो जैसे विषैली गैसें पर्यावरण में ना छोड़ें प्लास्टिक का प्रयोग न करें हमें जन आंदोलन की तरह इसे लेना होगा।हमें अपने अंत:करण की आवाज में शामिल करना होगा जैसे अपने आप ही जब हम किसी धार्मिक स्थल से गुजरते हैं तो श्रद्धा भाव से हमारा सिर झुक जाता है अपने से बड़ों के सामने बिना सोचे ही हम विनम्र हो जाते हैं इसी प्रकार हमें ऐसी आदतें विकसित करनी होगी कि पर्यावरण की सुरक्षा से संबंधित आदतें भी हमारी जीवन शैली में स्थाई स्थान बना ले। इसकी शुरुआत विद्यालयों से की जानी चाहिए जिसमें विद्यार्थी बचपन से ही पर्यावरण चेतना के महत्व को समझ सकें बच्चों के जन्मदिन पर उन्हें पौधे उपहार में दिए जाने चाहिए साथ ही साथ हमें स्वयं केवल अच्छी-अच्छी बातें ना करते हुए पर्यावरण को संरक्षित करने के कार्य भौतिक रूप से प्रदर्शित करने चाहिए जिससे वह जब दूसरों को दिखाई दें तो दूसरे लोग भी प्रेरित हो पर्यावरण का संरक्षण और उसको प्रोत्साहित करने वाले लोगों का सार्वजनिक सम्मान किया जाना चाहिए उन वस्तुओं के उपयोग से बचना चाहिए जो पर्यावरण के हित में नहीं है।

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