प्राकृतिक खेती करे भूमि की उर्वरा शक्ति सुदृढ़
26 दिसम्बर 2022, खरगोन: प्राकृतिक खेती करे भूमि की उर्वरा शक्ति सुदृढ़ – कृषि विज्ञान केंद्र खरगोन में किसान दिवस के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. जीएस कुलमी के मार्गदर्शन में यह कार्यक्रम आयोजित हुआ । कार्यक्रम में सभी 9 जनपदों के 246 किसानों को प्राकृतिक खेती की विस्तृत जानकारी दी गई। किसान श्री अविनाश सिंह दांगी के मुख्य आतिथ्य एवं श्री मोहन सिंह सिसोदिया की अध्यक्षता में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथि श्री अविनाश दांगी ने किसानों के साथ अपने अनुभव साझा कर प्राकृतिक तकनीक की सलाह भी दी।
डॉ. कुलमी ने कहा कि वर्तमान में प्राकृतिक खेती अति महत्वपूर्ण विषय बन गया है, जिससे कृषकों को अपने खेतों की जैविक दशा को सुदृढ करने में सहायता मिलेगी। उन्होंने कृषकों को आह्वान करते हुए सीमित क्षेत्र में प्राकृतिक खेती अपनाने की बात कही। कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. संजीव वर्मा ने कृषकों से कहा कि अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के उपयोग से खेत में सूक्ष्म जीवों की संख्या असंतुलित हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप मिट्टी की उर्वरा शक्ति क्षीण हो रही है। इस समस्या से निजात पाने के लिए प्राकृतिक खेती करना अनिवार्य हो रहा है। प्राकृतिक खेती में जीवामृत, घनजीवामृत, बीजामृत, अग्निअस्त्र , ब्रम्हास्त्र, दसपर्णी अर्क, वापसा इत्यादि घटकों का उपयोग करते हुए सूक्ष्म जीवों की संख्या को बढ़ाकर उर्वरा शक्ति को सुदृढ़ किया जा सकता है। साथ ही फसलों में पोषण प्रबंधन कर गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. आरके सिंह ने प्राकृतिक खेती में जीवामृत, घनजीवामृत, बीजामृत, अग्निश्त्र, ब्रम्हास्त्र, दसपर्णी अर्क, वापसा इत्यादि घटकों के स्थानीय स्तर पर निर्माण की विधि एवं इनके उपयोग की विस्तृत जानकारी दी। डॉ. एसके त्यागी ने उद्यानिकी फसलों में प्राकृतिक खेती के महत्व को सविस्तार कृषकों को बताया। वहीं अन्य प्रमुख वक्ताओं में कृषि विभाग के श्री पीएस बार्चे एवं श्री संतोष पाटीदार द्वारा कृषकों को प्राकृतिक खेती की विस्तृत जानकारी दी गई।
मुख्य अतिथि श्री अविनाश सिंह दांगी जो खुद पिछले 20 वर्षों से प्राकृतिक जैविक खेती कर रहे हैं, उन्होंने किसानों से कहा कि आप हमारे फील्ड पर आएं और प्राकृतिक खेती के तौर तरीके देखें । जब ऐसी खेती देखेंगे तो ही प्रेरित होने के साथ-साथ एक नया स्कोप उभरेगा। प्राकृतिक खेती करना इतना मुश्किल भी नहीं है। ऐसे प्राकृतिक खेती कैसे इतने बड़े पैमाने पर भी की जा सकती है यह सब देखकर समझा जा सकता है। श्री दांगी ने कहा कि वे आज 25 एकड़ में पूरी तरह से प्राकृतिक जैविक खेती कर रहे है । आप सभी लोग भी एक एकड़-आधा एकड़ में शुरुआत कर इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए आगे आएं।
वहीं श्री मोहन सिंह सिसोदिया ने कृषि क्षेत्र में किए जा रहे उनके कार्यों को समस्त प्रतिभागी कृषकों से साझा करते हुए प्राकृतिक खेती अपनाने की बात कही। कार्यक्रम में सहायक संचालक कृषि डॉ. मीणा सोलंकी एवं उनके अन्य सहयोगी इफको के अधिकारी इत्यादि सम्मिलित हुए। कृषकों का पंजीयन श्री वीके मितोलिया एवं श्री संतोष पटेल ने किया। कार्यक्रम में कृषकों को पोस्टर प्रदर्शनी के माध्यम से भी प्राकृतिक खेती की पूर्ण जानकारी दी गई। कृषकों को केंद्र में स्थापित फसल संग्रहालय, प्राकृतिक खेती इकाई, गोपालन इकाई का भी भ्रमण कराकर विस्तृत जानकारी दी गई। कार्यक्रम का संचालन वैज्ञानिक डॉ. आरके सिंह ने एवं आभार कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. संजीव वर्मा ने माना।
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