राज्य कृषि समाचार (State News)किसानों की सफलता की कहानी (Farmer Success Story)

मध्यप्रदेश के झाबुआ में स्ट्रॉबेरी की खेती ने बदली किसानों की आर्थिक स्थिति

12 दिसंबर 2024, भोपाल: मध्यप्रदेश के झाबुआ में स्ट्रॉबेरी की खेती ने बदली किसानों की आर्थिक स्थिति – मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में जनजातीय किसानों ने परंपरागत खेती से हटकर उद्यानिकी में कदम रखते हुए ऐसा काम किया है, जो न केवल उनके जीवन में आर्थिक समृद्धि लाएगा, बल्कि अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बनेगा। पारंपरिक ज्वार-मक्का की खेती के लिए पहचाने जाने वाले झाबुआ के किसानों ने पहली बार स्ट्रॉबेरी जैसी ठंडी जलवायु की फसल को उगाकर एक नई कहानी लिखी है।

स्ट्रॉबेरी खेती: परंपरा से नवाचार की ओर बढ़ा कदम

झाबुआ जिले के रामा ब्लॉक में स्थित तीन गांव—भुराडाबरा, पालेड़ी और भंवरपिपलिया—में आठ किसानों ने स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की। महाराष्ट्र के सतारा जिले से 5000 पौधे मंगवाए गए, जिन्हें प्रत्येक किसान के खेत में 500 से 1000 पौधों के रूप में लगाया गया। हर पौधे की कीमत मात्र 7 रुपये थी। इस फसल के साथ किसानों ने ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का भी उपयोग किया।

रोटला गांव के प्रगतिशील किसान रमेश परमार ने अपने खेत में 1000 पौधे लगाए। रमेश बताते हैं, “पहले बाजार में स्ट्रॉबेरी देखी थी, लेकिन इसे खरीदने की हिम्मत नहीं होती थी। अब अपने खेत में इसे उगाकर न केवल इसका स्वाद चखा बल्कि इसकी कीमत का महत्व भी समझा।” रमेश ने 8 अक्टूबर 2024 को पौधों की बुवाई की थी, और मात्र तीन महीने में फसल तैयार हो गई। बाजार में स्ट्रॉबेरी की कीमत 300 रुपये प्रति किलो है, जिससे किसानों को अच्छे मुनाफे की उम्मीद है।

रमेश परमार अकेले नहीं हैं। उनके साथ भंवरपिपलिया के लक्ष्मण, भुराडाबरा के दीवान और पालेड़ी के हरिराम ने भी स्ट्रॉबेरी की खेती में सफलता पाई है। सभी किसानों के पौधे फलों से लदे हुए हैं। किसान अपनी उपज को स्थानीय बाजारों और हाईवे के किनारे बेचने की योजना बना रहे हैं।

झाबुआ में स्ट्रॉबेरी की खेती केवल एक फसल तक सीमित नहीं है, यह एक नवाचार और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन गई है। सही मार्गदर्शन और मेहनत के साथ झाबुआ के किसानों ने यह दिखा दिया है कि सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े बदलाव संभव हैं।

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