राज्य कृषि समाचार (State News)

वर्षा न होने से सोयाबीन की बढ़वार धीमी

वर्षा न होने से सोयाबीन की बढ़वार धीमी

इंदौर। वर्षा न होने से सोयाबीन की बढ़वार धीमीभारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर ने सोयाबीन किसानों को सलाह दी है कि कई क्षेत्रों में पिछले कुछ दिनों से वर्षा नहीं होने से सोयाबीन की वृद्धि रुकी हुई है। ऐसी स्थिति में खेत में नमी बनाए रखने के लिए निराई- गुड़ाई, डोरा कुल्पा चलाएं, पलवार लगाना आदि का प्रयोग करें। 10 -15 दिन सूखे की स्थिति रहने पर सुविधानुसार सोयाबीन के खेत में सिंचाई करें। इसके अलावा अनुशंसित खरपतवारनाशकों में से किसी एक का जरूरत के अनुसार छिड़काव करें।

कुछ क्षेत्रों में पीला मोजाइक वायरस जनित बीमारी का प्रकोप होने की जानकारी मिली है। इसकी रोकथाम के लिए सलाह है कि फसल पर ऐसे लक्षण दिखते ही वायरस से ग्रसित पौधों को खेत से बाहर कर दें। सफ़ेद मक्खी, जो इस वायरस को स्वस्थ पौधों में फ़ैलाने का कार्य करती है, के नियंत्रण के लिए अनुशंसित पूर्व मिश्रित सम्पर्क रसायन बीटासायफ्लूथ्रिन+ इमिडाक्लोप्रिड (350 मि.ली. /हे.) या पूर्व मिश्रित थायोमिथाक्सम + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली/ हे.) का छिड़काव करें। जिससे सफ़ेद मक्खी के साथ पत्ती खाने वाले कीटों का भी नियंत्रण हो सके। सोयाबीन फसल में नुकसान पहुंचाने वाले विभिन्न कीट (पर्ण भक्षी, तना मक्खी, सफ़ेद मक्खी , गर्डल बीटल, चने की इल्ली) के नियंत्रण हेतु अनुशंसित कीटनाशकों की मात्रा को 500 लीटर /हे. की दर से पानी के साथ फसल पर छिड़काव करें।

मौसम विभाग से प्राप्त जलवायु संबंधित आंकड़ों के आधार पर आगामी दिनों में जिलों/क्षेत्रों में सोयाबीन फसल पर निम्न कीटों का प्रकोप होने की सम्भावना है। तम्बाकू की इल्ली म.प्र. के बालाघाट, बैतूल, धार, होशंगाबाद, सिवनी और हरी अर्ध कुंडलक इल्ली की बालाघाट जिले में संभावित है। कृषकों को सलाह है कि कीटनाशकों का छिड़काव कर कीट नियंत्रण करें। इसी तरह कुछ क्षेत्रों में सोयाबीन फसल पर फफूंदजनित एन्थ्रेक्नोज बीमारी का प्रकोप होने की सूचना मिली है। इसके नियंत्रण के लिए टेबूकोनाझोल (625 मि.ली /हे.) अथवा टेबूकोनाझोल+सल्फर (1 किग्रा /हे.) अथवा पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20 डब्ल्यू. जी (500 ग्राम/ हे.) अथवा हेक्जाकोनाझोल 5 प्रतिशत ई.सी (800 मिली/हे.) से छिड़काव करें। लौह तत्व की कमी के कारण अस्थायी रूप से पीली पडऩे वाली सोयाबीन फसल से घबराए नहीं, समय के साथ-साथ फसल अपने आप पूर्ववत हो जाएगी।

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