राज्य कृषि समाचार (State News)

अतिवृष्टि से सोयाबीन फसल खराब, उत्पादन और कीमत कम मिलने से किसान चिंतित

05 अक्टूबर 2024, इंदौर (विशेष प्रतिनिधि): अतिवृष्टि से सोयाबीन फसल खराब, उत्पादन और कीमत कम मिलने से किसान चिंतित – निमाड़ – मालवा के अलावा सुदूर पांढुर्ना जिले में भी इस वर्ष अतिवृष्टि  के कारण सोयाबीन की फसल खराब होने से जहाँ उत्पादन घटा है ,वहीं सोयाबीन की गुणवत्ता भी प्रभावित  हुई है। इससे किसानों को दाम भी कम मिलने की चिंता सता रही है । पांढुर्ना जिले के किसानों ने फसल नुकसानी के मुआवजे के लिए मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर मुआवजे की मांग की है।

दाने भी दागी हो गए –  देपालपुर तहसील के किसानों से चर्चा की। ग्राम सेमदा के किसान श्री गजराज सिंह परमार ने बताया कि उन्होंने सोयाबीन की किस्में  जेएस- 9560, जेएस -2303 , जेएस- 2172 आरवीएसएम – 1135 ,और पीएस- 1585 लगाई थी। इसमें से जेएस- 9560 और  जेएस -2303 की कटाई हो गई ,लेकिन काटने के बाद हुई बारिश से काफी नुकसान हुआ है। आधी से ज्यादा फसल खेत में खराब हो गई और दागी हो गई। किस्म -2303 को मंडी में लाया तो दागी होने से 3025 प्रति क्विंटल के भाव ही बिकी। बाकी सोयाबीन की कटाई अभी चालू है। वहीं ग्राम खजराया के किसान श्री दीपक नागर ने बताया  कि सोयाबीन किस्म जेएस- 9560,जेएस- 2172, आरवीएसएम – 1135,वैरायटी लगाई थी, जिसमें से जेएस- 2172 खेत में काट के रखी ही थी, कि वर्षा के कारण 4 बीघा की फसल खराब हो गई और उसमें वहीं अंकुरण होने लगा, जिसके कारण दाने भी दागी हो गए। इससे कीमत भी कम मिलेगी। ग्राम पाडल्या  के किसान श्री विजेंद्र उमानारायण सिंह पटेल इस मामले में खुशकिस्मत रहे। उन्होंने बताया कि सोयाबीन किस्म जेएस -9560, ब्लैकबोर्ड, ईगल 1008 बोई थी,जो काटी जा चुकी है। चूँकि मेरे खेत समतल है, इसलिए अधिक बारिश में भी जल भराव नहीं होता है, इसलिए मुझे कोई खास परेशानी नहीं हुई । उत्पादन में कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा ,लेकिन सोयाबीन फसल को घर ले जाने में खेत में नमी के चलते ट्रैक्टर ट्राली को ले जाने में थोड़ी परेशानी ज़रूर हुई । ग्राम हिंगोनिया ( इंदौर ) के श्री निर्मल सिंह सिसोदिया ने बताया कि इस बार खरीफ में 30 एकड़ में सोयाबीन किस्म आरवीएसएम 1135 लगाई थी। अधिक वर्षा से सोयाबीन फसल की ऊंचाई बहुत बढ़ गई। समय से पहले पकने से उत्पादन भी प्रभावित हुआ। कुछ सोयाबीन कट गई है और कुछ काटना बाकी है। दाने दागी हो गए हैं।अभी सोयाबीन नहीं बेची है। देवास जिले के किसान श्री मनोज मुकाती ने बताया कि 6 हेक्टेयर में सोयाबीन किस्म 9560 और ब्लैक बोर्ड लगाई थी।  अधिक वर्षा से उत्पादन पर असर पड़ा है।  जो फसल अब तक कटी है उसका औसत उत्पादन ढाई क्विंटल / बीघा ही निकला है। दाने भी दागी हो गए हैं, जिसका प्रभाव मूल्य पर पड़ेगा। कुछ फसल काटना अभी बाकी है।

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बड़वाह तहसील में अधिक नुकसान – खरगोन जिले के किसानों से हुई चर्चा में खुलासा हुआ कि बड़वाह तहसील में सोयाबीन फसल का अधिक नुकसान हुआ है। ग्राम बड़ेल तहसील बड़वाह के श्री धर्मराज जाट ने बताया कि अतिवृष्टि  से सोयाबीन फसल में जड़ गलन होने से आधे अधिक फसल खराब हो गई। सोयाबीन का दाना भी बारीक रह गया। वहीं इसी तहसील के ग्राम मेथावा के किसान श्री महेंद्र जाट ने बताया कि 10 बीघा में सोयाबीन किस्म 3117 और 3172  लगाई थी , लेकिन अधिक वर्षा होने से मात्र 10 % फसल ही बची है। इस इलाके में अधिक वर्षा होने से गांव के सभी किसानों की यही हालत है। कई किसान तो रोटावेटर से सोयाबीन को हटाकर रबी के लिए खेत तैयार करने लग गए हैं। ग्राम कठोरा तहसील कसरावद के किसान श्री तिलोक यादव ने बताया कि ज़्यादा बारिश से धूप नहीं मिलने से सोयाबीन का दाना छोटा रह गया। इससे कम उत्पादन हुआ है। वहीं ग्राम कोठा बुजुर्ग तहसील गोगांवा के श्री चंद्रशेखर कुमरावत ने बताया कि अत्यधिक वर्षा के कारण प्रकाश संश्लेषण नहीं होने से सोयाबीन का दाना परिपक्व नहीं हो पाया और दाना बारीक रह गया। उत्पादन कम होने के साथ ही कीमत पर भी असर पड़ेगा।

कई गांव अधिसूचित फसलों की सूची में  शामिल नहीं – पांढुर्ना जिले में भी अति वर्षा से सोयाबीन के अलावा गोभी की फसल को बहुत नुकसान हुआ है। ग्राम सिवनी जिला पांढुर्ना के श्री ज्ञानेश्वर डोंगरे ने बताया कि क्षेत्र में सोयाबीन का रकबा कम है, फिर भी नुकसान हुआ है।  लेकिन इधर गोभी बड़े रकबे में उगाई जाती है। इस साल अधिक वर्षा के कारण सभी गोभी उत्पादकों को बहुत नुकसान हुआ है। गोभी की फसल अधिक पानी के कारण खेत में ही सड़ गई। चूँकि उद्यानिकी फसलों का बीमा नहीं हो रहा है, इसलिए गोभी उत्पादक किसानों को यह हानि स्वयं वहन करनी होगी। इस लेकर पांढुर्ना जिले के किसानों ने मुआवजे के लिए मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को तीन बिंदुओं का ज्ञापन सौंपकर मुआवजे की मांग की है। ग्राम कामठीखुर्द तहसील पांढुर्ना के श्री मधुकर कलम्बे ने बताया कि 3 एकड़ में सोयाबीन किस्म 9560  लगाई थी। अति वर्षा से हुई फसल की नुकसानी को लेकर एक माह पहले जन सुनवाई में आवेदन दिया था , लेकिन अभी तक कोई अधिकारी फसल देखने नहीं आए हैं। ऐसी ही शिकायत 5 एकड़ में सोयाबीन लगाने वाले ग्राम परसोड़ी के श्री प्रकाश कलम्बे ने भी की और कहा कि सोयाबीन फसल की नुकसानी किसानों को ही उठाना पड़ेगी। ग्राम धावड़ीखापा के श्री मंसाराम झोट्या खोड़े ने बताया कि दो हेक्टेयर में बोई गई सोयाबीन फसल में अति वृष्टि के कारण करीब 60 % का नुकसान हुआ है। हमारे गांव में दो साल से सोयाबीन फसल का बीमा नहीं हो रहा  है। इसलिए किसानों को नुकसानी की भरपाई नहीं हो पाती है। किसानों की हर फसल का बीमा होना चाहिए। इस बारे में जानकारी निकाली तो पता चला कि वर्ष 2023 -24 से क्षेत्र में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अधिसूचित की जाने वाली फसलों की सूची में बीमा इकाई 2 स्तर पर 50  हेक्टेयर या उससे अधिक क्षेत्रफल वाली चयनित फसलों की सूची में इन किसानों के गांवों के नाम शामिल नहीं होने से इन्हें फसल बीमा का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

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