मिट्टी परीक्षण – उन्नत खेती की पहली सीढ़ी
लेखक – डॉ. शुभम सिंह, वैज्ञानिक, डॉ. मनोजित चौधुरी, वैज्ञानिक, डॉ. रंजय कुमार सिंह, प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख, कृषि विज्ञान केंद्र, भा. कृ. अनु. प.-केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल
14 जुलाई 2025, भोपाल: मिट्टी परीक्षण – उन्नत खेती की पहली सीढ़ी –
मिट्टी परीक्षण क्या है?
मिट्टी परीक्षण एक वैज्ञानिक विधि है जिससे यह जाना जाता है कि मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्व उपलब्ध हैं और उनकी मात्रा कितनी है। साथ ही यह मिट्टी की pH (अम्लीयता/क्षारीयता), EC (विद्युत चालकता), जैविक कार्बन, जैसी भौतिक एवं रासायनिक विशेषताओं की भी जानकारी देता है।
मिट्टी परीक्षण की आवश्यकता क्यों है?
- पौधों के लिए 16 आवश्यक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इनमें से:
- मुख्य तत्व: N (नाइट्रोजन), P (फास्फोरस), K (पोटाश)
- द्वितीयक तत्व: Ca (कैल्शियम), Mg (मैग्नेशियम), S (सल्फर)
- सूक्ष्म तत्व: Fe, Zn, Cu, Mn, B, Mo, Cl, Ni आदि।
- बार-बार फसल लेने से पोषक तत्वों की मिट्टी में कमी हो जाती है।
- बिना परीक्षण के उर्वरक डालना शरीर को बिना जांच के दवा देने जैसा है।
- सही मात्रा में खाद देने से लागत घटती है, फसल उत्पादन व गुणवत्ता बढ़ती है, और मृदा स्वास्थ्य दीर्घकालिक रूप से सुधरता है।
मिट्टी परीक्षण के प्रमुख उद्देश्य:
- फसल-विशेष के अनुसार पोषक तत्वों की आवश्यकता निर्धारित करना।
- अम्लीय, क्षारीय या लवणीय भूमि का सुधार करना।
- खेत का मृदा उर्वरता मानचित्र बनाना।
- उर्वरकों का स्थान, समय और मात्रा अनुसार प्रबंधन ।
मिट्टी नमूना एकत्रीकरण की प्रक्रिया
आवश्यक सामग्री: खुरपी, फावड़ा, साफ बाल्टी, कपड़ा, प्लास्टिक थैली, सूचना पत्रक
मूना लेने की प्रक्रिया (फ्लो चार्ट):
सूचना पत्रक में निम्न विवरण दें:
- किसान का नाम व पता
- खेत का खसरा नंबर
- सिंचाई की स्थिति (सिंचित/असिंचित)
- पूर्व एवं आगामी फसल
- नमूना तिथि और लेने वाले का नाम
नमूना लेने में सावधानियां:
- खाद/गोबर के ढेर या पगडंडी के पास से नमूना न लें।
- जंग लगे औजारों का प्रयोग न करें।
- हर 2-3 वर्ष में एक बार नमूना दोहराएं।
उर्वरक प्रबंधन में मिट्टी परीक्षण के लाभ:
- 15–25% तक उर्वरक की बचत
- फसल उत्पादन में 20–30% की वृद्धि
- मृदा स्वास्थ्य का संरक्षण
- पर्यावरण प्रदूषण में कमी
मिट्टी नमूना का प्रयोगशाला में विश्लेषण एवं परिणाम
एकत्रित किये गये नमूनो को किसान भाई अपने ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी की मदद से जिले की निकटतम मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओ में परीक्षण हेतु भिजवाये ।
प्रयोगशालाओ में सामान्यत:
मिट्टी परीक्षण से प्राप्त परिणामों के आधार पर पोषक तत्वों के निम्नस्तर (कमी) मध्यम स्तर (पर्याप्त) एवं उच्च स्तर (अधिकता) के हिसाब से आगे बोयी जाने वाली फसल के लिये उर्वरक एवं खाद को दी जाने वाली मात्राओ की सिफारिश की जाती है । इस आधार पर कृषक, उर्वरको का सार्थक उपयोग कर अच्छा फसल उत्पादन प्राप्त कर सकते है तथा उर्वरको पर खर्च किये गये पैसों का समुचित उपयोग कर सकते है । सूक्ष्म पोषक तत्वों के विश्लेषण हेतु नमूना सावधानीपूर्वक एकत्रित कर तथा विशिष्ट रूप से यह अंकित कर भेजे कि मृदा में सूक्ष्म तत्व विश्लेषण भी चाहते है ।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: