राज्य कृषि समाचार (State News)

शान्ति खुशाल अन्य कृषकों के लिए बनी मिसाल

24 दिसम्बर 2022, झाबुआ: शान्ति खुशाल अन्य कृषकों के लिए बनी मिसाल – मेघनगर विकासखण्ड क्षेत्र आदिवासी बहुल  होकर अच्छी पारम्परिक खेती किसानी करने वाले क्षेत्र के रूप जाना जाता है। जिसमें श्रम की बहुत अधिक ज़रूरत होती है। लेकिन अब विभिन्न प्रकार के नवाचारों के माध्यम से विकासखण्ड के कृषक उन्नत तकनीकी से जुड़ने लगे हैं और यंत्रीकरण भी अपनाने लगे हैं। इसी क्रम में मेघनगर विकासखण्ड से 8 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम नौगांवा की जुझारू महिला कृषक श्रीमती शान्ति-खुशाल यंत्रीकरण अपना कर अन्य कृषकों के लिए  मिसाल बन गई हैं।

श्रीमती शान्ति खुशाल  विकासखण्ड मेघनगर के ग्राम नौगांवा के  उमरदा फलीये  निवासी श्रीमती शान्ति खुशाल ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं है। गृहिणी होने के साथ ही वे खेती के सभी काम कर लेती हैं । इनके पति शिक्षक होने के कारण कृषि में ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते थे। इस  कारण खेती करने में कई कठिनाइयों  का सामना करना पड़ता  था। खेती से ज्यादा मुनाफा नहीं हो पाता था,  क्योंकि  कृषि मजदूरों  पर निर्भर रह गई थी। खर्च काट कर संतुष्टि भरी आमदनी भी प्राप्त नहीं हो रही थी। लेकिन शांति ने हार नहीं मानी और खुद ने घरेलू कार्यों के साथ-साथ कृषि कार्य करने की ठानी। आत्मा परियोजना  एवं कृषि विभाग के अधिकारियों के सतत मार्गदर्शन में  कृषि की नई तकनीकी जानी। 

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शान्ति खुशाल अन्य कृषकों के लिए बनी मिसाल

कृषक सेमीनार /कृषक संगोष्ठी एवं  मेलों से प्राप्त ज्ञान से  इन्होंने  कृषि विभाग से 30 हजार अनुदान पर रोटावेटर प्राप्त किया तथा उसका उपयोग अपने खेत में किया जिससे उनके समय एवं श्रम दोनों की बचत हुई। अन्य कृषि में भी यंत्रीकरण को बढ़ावा दिया।  जिससे  कृषि कार्य आसानी से होने लगे और उत्पादन में वृद्धि हुई। इनके टीचर पति ने भी कृषि की नई नई तकनीकी जानी तथा उसका उपयोग अपनी खेती में किया।  गहरी जुताई व रेज्ड बेड तकनीकी से खेती  की तो वैज्ञानिक पद्धति और विभाग की योजनाओं पर विश्वास  बढ़ता गया। नई नई  तकनीकियों  को अपना कर स्वयं को कृषि में उन्नत बनाया।

श्रीमती शान्ति बताती हैं कि कृषि में नए -नए यंत्रों के आने  से  कृषि कार्यों में सुलभता हो गई  है। घंटों  के काम चन्द  मिनटों  में  पूरे  हो  जाते हैं। यंत्रों  की वजह से मक्का और गेहूं की फसल की कटाई करते  हैं  तथा कटाई के साथ थ्रेसिंग भी कर लेते हैं । इससे लागत, श्रम एवं समय में भी बचत होती है। इसके साथ-साथ ही बाकी समय में वे अपने यंत्रो का उपयोग अन्य किसानों के खेतो में जुताई, कटाई व गहाई कार्यों में करते है इससे उन्हें अतिरिक्त आय हो  जाती है। अपने कामकाज में  सुविधा के साथ ही अब उन्हे रोजगार के नवीन अवसर भी मिले हैं ।

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कृषक अनुसार रोटावेटर का उपयोग घर के अतिरिक्त  भाड़े  पर प्रति सीजन औसतन 70 घण्टे चलता है, जिससे 1000 रु. प्रति घण्टे के हिसाब से 70000 रू. आय प्राप्त होती है ,जिसमें से प्रति घण्टा 5 लीटर डीजल की खपत खर्च काटने पर भी अच्छा लाभ हो जाता है।  इसी तरह कल्टीवेटर थ्रेसर एवं रीपर भी घर के कार्य के अतिरिक्त फालतु समय में  भाड़े पर दिया जाता है, जिससे औसतन एक लाख तक की अतिरिक्त आय प्राप्त हो जाती है। कृषि में यंत्रीकरण से अतिरिक्त आय होने से वे  तथा उनका परिवार खुश है। प्रगतिशील महिला कृषक शांति की प्रगति अन्य कृषकों में प्रेरणा का संचार कर रही है। श्रीमती शांति ने सम्पर्क में आने वाले किसानों को सरकारी योजनाओ तथा यंत्रीकरण के फायदों को जरूर बताने का भरोसा दिया है।

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