वाटरशेड जनभागीदारी कप की शुरुआत: क्या है ये योजना, कैसे मिलेगा फायदा?
06 अप्रैल 2025, अजमेर: वाटरशेड जनभागीदारी कप की शुरुआत: क्या है ये योजना, कैसे मिलेगा फायदा? – राजस्थान के अजमेर जिले में भारत सरकार की प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0 के तहत वाटरशेड जनभागीदारी कप कार्यक्रम की शुरुआत हो गई है। इस पहल का मकसद जल संरक्षण को बढ़ावा देना और स्थानीय लोगों को इसमें शामिल करना है। लेकिन ये कार्यक्रम कितना कारगर होगा, ये इसके क्रियान्वयन पर निर्भर करता है।
क्या है वाटरशेड जनभागीदारी कप?
यह कार्यक्रम जलग्रहण परियोजनाओं में लोगों की भागीदारी को बढ़ाने के लिए शुरू किया गया है। इसके तहत अलग-अलग पंचायत समितियों में चल रही परियोजनाओं के बीच एक प्रतियोगिता होगी। बेहतर प्रदर्शन करने वाली परियोजनाओं को वाटरशेड जनभागीदारी कप के साथ 20 लाख रुपये की पुरस्कार राशि भी दी जाएगी। यह राशि संबंधित ग्राम पंचायत को मिलेगी। सरकार का कहना है कि इससे जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।
अजमेर जिले में यह योजना छह पंचायत समितियों – अराई, भिनाय, केकड़ी, किशनगढ़, पीसांगन और सरवाड़ – में चल रही है। कार्यक्रम की शुरुआत के मौके पर 5 अप्रैल को पीसांगन की गोला ग्राम पंचायत में एक कार्यशाला होगी। इसमें भारत सरकार के भू-संसाधन और ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त सचिव नितिन खडे शामिल होंगे। कार्यशाला में जनभागीदारी के कामों को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।
यहां कुछ काम शुरू भी हो गए हैं। मिसाल के तौर पर, चारागाह में एमपीटी निर्माण के लिए 1 लाख रुपये का काम जन सहयोग से होगा। भामाशाह मोहन सिंह शेखावत 50 हजार रुपये की लागत से 400 पौधे लगाएंगे। वहीं, सवेरा नाम की गैर सरकारी संस्था एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगी। जिले की बाकी परियोजनाओं में भी ऐसे ही जन सहयोग से काम शुरू करने की तैयारी है।
क्या होगा असर?
इस कार्यक्रम से जल संरक्षण और ग्रामीण विकास को लेकर कुछ उम्मीदें जताई जा रही हैं। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये योजना जमीन पर उतर पाएगी? पुरस्कार और प्रतियोगिता से लोगों का उत्साह बढ़ सकता है, पर असल नतीजे तभी दिखेंगे जब काम समय पर और पारदर्शी तरीके से होंगे। अजमेर जैसे इलाकों में पानी की कमी एक बड़ी समस्या है, ऐसे में स्थानीय स्तर पर सहयोग कितना बढ़ेगा, ये देखना होगा।
कार्यशाला और शुरुआती काम तो बस पहला कदम हैं। इस योजना की सफलता इस बात पर टिकी है कि लोग कितनी दिलचस्पी दिखाते हैं और अधिकारी इसे कितनी गंभीरता से लागू करते हैं। फिलहाल, अजमेर में ये प्रयोग शुरू हो चुका है, लेकिन इसके नतीजे आने में वक्त लगेगा।
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